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डेली न्यूज़

सामाजिक न्याय

निमोनिया के कारण मौतें

  • 31 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

UNICEF, निमोनिया रोग

मेन्स के लिये:

बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे, सरकार द्वारा स्वास्थ्य की दिशा में उठाए गए कदम

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund- UNICEF) के हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत में वार्षिक तौर पर होने वाली पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कुल मृत्यु में से 14% मृत्यु का कारण निमोनिया (Pneumonia) होता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत में वार्षिक तौर पर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में 14% या लगभग 1,27,000 मौतों का कारण निमोनिया है। ध्यातव्य है कि वर्ष 2013 में यह आँकड़ा लगभग 1,78,000 था। इनमें से आधे से अधिक मौतें देश के उत्तरी भाग में होती हैं।
  • निमोनिया के कारण वर्तमान मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर पाँच है और इसे वर्ष 2025 तक तीन से कम करने का लक्ष्य है।
  • UNICEF के अनुसार, निमोनिया बच्चों के लिये सबसे बड़ा खतरा है। वैश्विक स्तर पर यह 1,53,000 से अधिक नवजात शिशुओं सहित हर वर्ष पाँच वर्ष से कम उम्र के 8,00,000 से अधिक संक्रमित बच्चों के जीवन को प्रभावित करता है। अर्थात् हर 39 सेकंड में एक बच्चा निमोनिया के कारण मर जाता है।
  • अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में निमोनिया से अत्यधिक मौतें होती हैं जिसमें डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया और पाकिस्तान शामिल हैं। ध्यातव्य है कि निमोनिया के कारण होने वाली कुल मौतों में लगभग आधी मौतें इन पाँच देशों में होती हैं।

निमोनिया के लक्षण:

  • चूँकि निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, इसलिये इसके सबसे आम लक्षण खाँसी, साँस लेने में परेशानी और बुखार हैं।
  • निमोनिया से पीड़ित बच्चों में तेज साँस लेने संबंधी लक्षण पाए जाते हैं।

क्या निमोनिया संक्रामक रोग है?

  • निमोनिया एक संक्रामक रोग है और वायुजनित कणों (खाँसी या छींक) के माध्यम से फैल सकता है।
  • यह अन्य तरल पदार्थों जैसे बच्चे के जन्म के दौरान रक्त या दूषित सतह के माध्यम से भी फैल सकता है।

निमोनिया के कारण:

  • निमोनिया से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • कुपोषण
    • टीकों और एंटीबायोटिक्स की पहुँच में कमी
    • वायु प्रदूषण
  • इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (The Institute for Health Metrics and Evaluation) के एक अध्ययन के अनुसार, निमोनिया के प्रमुख कारणों में वायु प्रदूषण का योगदान लगभग 17.5 प्रतिशत है।
  • खाना पकाने के ठोस ईंधन के उपयोग से होने वाले प्रदूषण के कारण लगभग 1,95,000 (या कुल मौतों का 29.4 प्रतिशत) मौतें होती हैं।

निमोनिया की रोकथाम के उपाय

  • पर्याप्त पोषण जैसे सुरक्षात्मक उपायों को बढ़ाकर और वायु प्रदूषण (जो फेफड़ों को संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है) तथा अच्छी स्वच्छता प्रथाओं का उपयोग करके जोखिम वाले कारकों को कम किया जा सकता है।
  • अध्ययनों से पता चला है कि यदि साबुन से हाथ धोया जाए तो बैक्टीरिया के संपर्क में आने से होने वाले निमोनिया के खतरे को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
  • निमोनिया का इलाज करने के लिये स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं की परिवारों तक आसान पहुँच, सही प्रशिक्षण, दवाओं और नैदानिक ​​उपकरणों का होना आवश्यक है।
  • रोकथाम और उपचार दोनों के लिये मज़बूत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ संलग्न एवं सशक्त समुदायों की आवश्यकता होती है। लेकिन विश्व स्तर पर निमोनिया से पीड़ित केवल 68 प्रतिशत बच्चे ही स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के पास पहुँच पाते हैं।

आगे की राह

  • देश में बुनियादी स्वास्थ्य ढाँचे को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, साथ ही देशवासियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने की भी आवश्यकता है।
  • ध्यातव्य है कि निमोनिया के उपचार और रोकथाम हेतु सेवाओं को बढ़ाकर दुनिया भर में पाँच वर्ष से कम उम्र के 3.2 मिलियन बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
  • इससे एक लहर प्रभाव (Ripple Effect) भी निर्मित होगा जिससे अन्य प्रमुख बचपन की बीमारियों से 5.7 मिलियन अतिरिक्त बच्चों की मृत्यु को रोका जा सकेगा और साथ ही एकीकृत स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता को कम किया जा सकेगा।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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