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शासन व्यवस्था

COVID-19 एवं ऑर्फन ड्रग अधिनियम

  • 01 Apr 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

COVID-19, दुर्लभ रोग

मेंस के लिये:

दुर्लभ रोगों हेतु राष्ट्रीय नीति-2020, ऑर्फन ड्रग अधिनियम, पेटेंट अधिनियम, 2005

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drug Administration- FDA) द्वारा COVID-19 (COVID-19) को ऑर्फन रोग (Orphan Disease) या दुर्लभ रोग (Rare Disease) घोषित कर दिया गया है। 

प्रमुख बिंदु:

  • FDA के अनुसार किसी रोग को ऑर्फन रोग तब घोषित किया जाता है जब अमेरिका में यह रोग 2 लाख से ज्यादा व्यक्तियों को हुआ हो।

दुर्लभ रोग:

  • दुर्लभ रोग एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति होती है जिसका प्रचलन लोगों में प्रायः कम पाया जाता है या सामान्य बीमारियों की तुलना में बहुत कम लोग इन बीमारियों से प्रभावित होते हैं।
  • दुर्लभ बीमारियों की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है तथा अलग-अलग देशों में इसकी अलग-अलग परिभाषाएँ हैं।
  • 80 प्रतिशत दुर्लभ बीमारियाँ मूल रूप से आनुवंशिक होती हैं, इसलिये बच्चों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • भारत की दुर्लभ रोगों हेतु राष्ट्रीय नीति-2020 के अनुसार, दुर्लभ बीमारियों में आनुवंशिक रोग ( Genetic Diseases), दुर्लभ कैंसर (Rare Cancer), उष्णकटिबंधीय संक्रामक रोग ( Infectious Tropical Diseases) और अपक्षयी रोग (Degenerative Diseases) शामिल हैं।
  • नीति के तहत, दुर्लभ बीमारियों की तीन श्रेणियाँ हैं:
    • एक बार के उपचार के लिये उत्तरदायी रोग (उपचारात्मक)।
    • ऐसे रोग जिनमें लंबे समय तक उपचार की आवश्यकता होती है लेकिन लागत कम होती है।
    • ऐसे रोग जिन्हें उच्च लागत के साथ दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता है।
      • पहली श्रेणी के कुछ रोगों में ऑस्टियोपेट्रोसिस (Osteopetrosis) और प्रतिरक्षा की कमी के विकार शामिल हैं।
  • भारत में 56-72 मिलियन लोग दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित हैं।

संयुक्त राज्य ऑर्फन ड्रग अधिनियम, 1983:

  • संयुक्त राज्य ऑर्फन ड्रग अधिनियम, 1983 के अनुसार यदि किसी रोग को ऑर्फन रोग घोषित कर दिया जाता है तो उस रोग के लिये जो कंपनी औषधि बनाती है उसे कई प्रकार के प्रोत्साहन प्रदान किये जाते हैं। जैसे-
    • उसे खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा कम समय में स्वीकृति मिल जाती है।
    • अनुसंधान और विकास के लिये सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • इसके अलावा उसे 7 वर्षों के लिये विपणन विशिष्टता (Market Exclusivity) मिल जाती है 

भारत के संदर्भ में:

  • भारत के पेटेंट अधिनियम, 2005 में यह प्रावधान है कि भारत जेनरिक ड्रग के उत्पादन के लिये किसी तीसरे पक्ष (Third Party) को लाइसेंस दे सकता है। ताकि आवश्यकता पड़ने पर ऐसी दवाओं का उत्पादन किया जा सके।

मुद्दे:

  • कोविद -19 दुर्लभ बीमारी नहीं-  ऑर्फन ड्रग अधिनियम COVID-19 के लिये संभावित दवाओं पर लागू होता है जो कि दुनिया भर में 800,049 मामलों की पुष्टि के साथ एक दुर्लभ बीमारी के अलावा कुछ भी नहीं है।
  • इसके अलावा दुर्लभ रोगों के लिये विकसित की गई दवाओं की कीमत साधारण दवाओं की तुलना में अधिक होती है।

आगे की राह:

  • भारत ने अभी तक पेटेंट अधिनियम, 2005 के प्रावधान का उपयोग नही किया है परंतु COVID-19 से निपटने के लिये इसका उपयोग किया जा सकता है। 

स्रोत: द हिंदू

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