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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

हज़ नीति में सुधार हेतु समिति का गठन

  • 06 Feb 2017
  • 4 min read

सन्दर्भ

  • हज़ करना हर मुसलमान की ख्वाहिश होती है। हज़ इस्लाम धर्म के पाँच आयामों में से एक है और भारत में आमतौर पर मुसलमान जीवन भर बचत कर एक बार हज़ यात्रा जरूर करना चाहता है।
  • हाल ही में केंद्र ने भारत की हज़ नीति सुधारने के तरीकों पर एक रिपोर्ट देने और साथ ही हज़ यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी को धीरे धीरे कम करने तथा 2022 तक खत्म करने के 2012 में दिये गए उच्चतम न्यायालय के आदेश के परिपे्रक्ष्य में सब्सिडी मुद्दे पर ध्यान देने के लिये एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया है।

समिति के संबंध में महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • सउदी अरब के जेद्दा में भारत के पूर्व महावाणिज्य दूत रह चुके अफजल अमानुल्ला को उच्च स्तरीय समिति का संयोजक नियुक्त किया गया है। समिति इस पहलू पर ध्यान देगी कि सब्सिडी न होने पर क्या भारतीय हज़ यात्री कम खर्च पर सऊदी अरब जा सकेंगे!
  • भारत की हज़ नीति को सुधारने, श्रद्धालुओं को अधिकतम रियायत देने और हज के बेहतर प्रबंधन के तरीके को लेकर एक या दो महीने में समिति को रिपोर्ट देना है।
  • उल्लेखनीय है कि पिछले महीने सऊदी अरब ने भारत के सालाना हज़ कोटे में अब तक का सबसे अधिक इज़ाफा किया था। यह हज़ कोटा 34,500 हज़ यात्री से बढ़ाकर इसे 1,36,020-1,70,520 हज़ यात्री कर दिया गया है।
  • यह समिति वर्ष 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में हज की सब्सिडी को धीरे-धीरे कम करने और वर्ष 2022 तक इसे पूरी तरह खत्म करने पर भी अपनी रिपोर्ट देगी।


क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?

  • विदित हो कि वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को धीरे-धीरे हज़ सब्सिडी कम कर इसे वर्ष 2022 तक खत्म करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हर साल हज सब्सिडी के रूप में खर्च किये जाने वाले 650 करोड़ रुपये को सरकार इस समुदाय के सामाजिक विकास के कार्यो में लगाए।

निष्कर्ष 

  • विदित हो कि सऊदी अरब सरकार भारत को मुसलमानों की आबादी के अनुपात में एक निर्धारित कोटा देती हैं जिसे केंद्र सरकार राज्य सरकारों को आवंटित करती हैं।आमतौर पर ये काम सेंट्रल हज़ कमेटी, मुंबई के जरिये संबंधित राज्य की स्टेट हज़ कमेटी करती है।
  • भारत में हज़ सब्सिडी लगभग 650 करोड़ रुपये है। ये आमतौर पर सऊदी अरब जाने के लिये हवाई किराए के रूप में दी जाती है। सरकारी तौर पर एयरलाइन का आने जाने का टिकट 70,340 रुपये का बताया जाता हैं जिसमें यात्री को केवल 45000 देने होते हैं बाकी का सब्सिडी के रूप में सरकार सीधे एयरलाइन्स को देती है।
  • हज़ सब्सिडी पर जब तब सवाल उठते रहे हैं। जहाँ बहुत से लोग हज़ सब्सिडी को खत्म करना चाहते हैं वहीं मुसलमान भी हज़ सब्सिडी के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं। हिन्दू संगठन जहाँ हज सब्सिडी को तुष्टिकरण की नीति का परिचायक मानते हैं वहीं मुसलमान इसको उनके कंधे पर रख कर बन्दूक चलाने वाली स्थिति कहते हैं। हालाँकि दोनों ही बातों असहमत हुआ जा सकता है।
  • परिस्थितियाँ चाहे जो भी हों, बहरहाल हज समिति के सन्दर्भ में 6 सदस्यीय समिति की निर्माण एक स्वागतयोग्य कदम है।
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