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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण के अंतर्गत सहकारी बैंक

  • 29 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, सरफेसी अधिनियम, 2002

मेन्स के लिये:

बैंकिंग क्षेत्र में सुधार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश, जिसके तहत भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) के पर्यवेक्षण के अंतर्गत सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को लाया जाएगा, को मंज़ूरी दे दी।

प्रमुख बिंदु:

  • सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पर्यवेक्षण के तहत लाने के निम्नलिखित कारण हैं:
    • केंद्र सरकार का यह फैसला धोखाधड़ी एवं गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के कई मामलों के बाद आया है, जिसमें वर्ष 2019 का पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी (Punjab and Maharashtra Co-operative- PMC) बैंक घोटाला भी शामिल है।
    • अभी तक सभी सहकारी बैंक RBI एवं सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के दोहरे विनियमन के अंतर्गत आते थे जिसके परिणामस्वरूप इनमें से कई बैंकों में विनियामक एवं पर्यवेक्षी त्रुटियाँ हो जाती थीं।
    • इसके अतिरिक्त RBI के पास सहकारी बैंक के पुनर्निर्माण से संबंधित एक प्रवर्तनीय योजना बनाने का अधिकार नहीं था।
    • हालाँकि अब सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंक RBI की प्रत्यक्ष निगरानी के अंतर्गत आएंगे।

लाभ:

  • केंद्र सरकार का यह निर्णय RBI को वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को विनियमित करने का अधिकार देगा।
  • यह सभी शहरी एवं बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों के जमाकर्त्ताओं को अधिक सुरक्षा भी प्रदान करेगा।
    • उल्लेखनीय है कि भारत में 1482 शहरी सहकारी बैंक एवं 58 बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं।
    • इन बैंकों के पास 8.6 करोड़ रुपए का एक जमाकर्त्ता आधार (Depositor Base) है जिससे इन बैंकों में 4.84 लाख करोड़ रुपए के रूप में एक बड़ी राशि की बचत की गई है।

निर्णय से संबंधित चिंता:

  • गौरतलब है कि इस निर्णय के बाद ग्रामीण सहकारी बैंक (Rural Co-operative Banks), RBI एवं सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के दोहरे विनियमन के तहत ही कार्य करते रहेंगे जबकि ग्रामीण सहकारी बैंक, शहरी सहकारी बैंकों की तरह ही दुर्व्यवहार एवं धोखाधड़ी के मुद्दे का सामना करते हैं।

सहकारी बैंकिंग (Co-operative Banking):

  • सहकारी बैंक का आशय उन छोटे वित्तीय संस्थानों से है जो शहरी और गैर-शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों को ऋण की सुविधा प्रदान करते हैं।
  • सहकारी बैंक आमतौर पर अपने सदस्यों को कई प्रकार की बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ जैसे- ऋण देना, पैसे जमा करना और बैंक खाता आदि प्रदान करते हैं।
  • सहकारी बैंक उनके संगठन, उद्देश्यों, मूल्यों और शासन के आधार पर वाणिज्यिक बैंकों से भिन्न होते हैं।
  • सहकारी बैंकों का स्वामित्व और नियंत्रण सदस्यों द्वारा ही किया जाता है, जो लोकतांत्रिक रूप से निदेशक मंडल का चुनाव करते हैं।
  • ये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित किये जाते हैं एवं बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के साथ-साथ बैंकिंग कानून अधिनियम, 1965 के तहत आते हैं।
  • ये संबंधित राज्यों के सहकारी समिति अधिनियम (Co-operative Societies Act) या बहु-राज्यीय सहकारी समिति अधिनियम, 2002 (Multi-State Co-operative Societies Act, 2002) के तहत पंजीकृत हैं।
  • उल्लेखनीय है कि सहकारी बैंक का प्राथमिक लक्ष्य अधिक-से-अधिक लाभ कमाना नहीं होता, बल्कि अपने सदस्यों को सर्वोत्तम उत्पाद और सेवाएँ उपलब्ध कराना होता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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