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डेली न्यूज़

शासन व्यवस्था

शहरी क्षेत्रों में बाल देखभाल योजना

  • 28 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

समेकित बाल विकास योजना

मेन्स के लिये:

समेकित बाल विकास योजना के उद्देश्य

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार शहरी क्षेत्रों के लिये बाल देखभाल योजना (Child Care Scheme) हेतु नीति आयोग के माध्यम से एक मसौदा नीति (Draft Policy) विकसित करने पर विचार कर रही है।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्र सरकार शहरी क्षेत्रों के लिये एकीकृत बाल विकास योजना (Integrated Child Development Scheme- ICDS) कार्यक्रम पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित कर रही है, इसे देश में पोषण और पूर्व-स्कूली शिक्षा प्रदान करने के लिये देश भर के आँगनवाड़ियों या डे-केयर केंद्रों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है।
  • नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा मसौदे के अनुमोदन के बाद इसे निम्नलिखित मंत्रालयों के पास सलाह के लिये भेजा जाएगा-
    • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare)
    • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development)
    • शहरी आवास और मामलों के मंत्रालय (Ministry of Urban Housing and Affairs)
    • जल शक्ति मंत्रालय के अधीन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (Ministry of Jal Shakti-Department of Drinking Water and Sanitation)
  • वर्ष 2018 के सरकारी आँकड़ों के अनुसार, देश भर में स्थित 14 लाख आँगनवाड़ी केंद्रों में से शहरी क्षेत्रों में केवल 1.38 लाख आँगनवाड़ी केंद्र हैं।

ICDS के प्रमुख उद्देश्य-

  • 6 वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण की स्थिति में सुधार करना तथा उनकी मृत्यु दर और बच्चों की स्कूल छोड़ने की घटनाओं में कमी लाना।
  • बच्चे के उचित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक विकास के लिये उसे एक दृढ़ आधार प्रदान करना।
  • बाल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न विभागों के बीच नीतियों का क्रियान्वयन करना और जागरूकता कार्यक्रमों को आयोजित करना।

ICDS के तहत प्रदान की जाने वाली सेवाएँ :

  • पूरक पोषण (Complementary Nutrition)।
  • विटामिन ए (Vitamin A)।
  • आयरन और फोलिक एसिड की गोलियाँ (Iron and Folic Acid Tablets)।
  • टीकाकरण (Immunization)।
  • स्वास्थ्य जाँच (Health check up)।
  • सामान्य बीमारियों का उपचार (Treatment of Minor Ailments)।
  • रेफरल सेवाएँ (Referral Services)।
  • महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण पर गैर-औपचारिक शिक्षा (Non-formal Education। on Health and Nutrition to Women।
  • 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिये पूर्व-स्कूली शिक्षा (Preschool education to children 3–6 year old।
  • अन्य सहायक सेवाओं जैसे पानी, स्वच्छता आदि का अभिसरण (Convergence of other supportive services like Water, Sanitation etc)।

शहरी क्षेत्र में बाल देखभाल योजना की आवश्यकता:

शहरी क्षेत्र में बच्चों के पोषण की स्थिति पर पहली बार वर्ष 2019 में हुए अखिल भारतीय सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि-

  • शहरी बच्चों में कुपोषण का कारण स्तनपान की कमी है।
    • इसके पीछे यह तथ्य निहित है कि काम की वजह से महिलाओं को लंबी दूरी तय करनी होती है जिसके कारण वे बच्चों को स्तनपान के लिये पर्याप्त समय नही दे पाती हैं।
  • शहरी क्षेत्र में सापेक्ष समृद्धि के कारण जीवन शैली में परिवर्तन के साथ-साथ आयरन और विटामिन-डी की कमी के कारण बच्चों में मोटापे का एक उच्च स्तर पाया गया।
  • दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में दूध की कमी के कारण बच्चे स्टंटिंग के उच्च स्तर (Higher levels of Stunting) तथा कम भार (Underweight) से ग्रसित थे।
  • सर्वेक्षण से पता चला कि शहरी क्षेत्र के बच्चों की सबस्कैपुलर स्किनफोल्ड थिकनेस (Subscapular Skinfold Thickness-SSFT) के कारण ये बच्चे अधिक वज़न और मोटापे से ग्रस्त थे।
  • शहरों में 5 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों में SSFT का स्तर 14.5% था जबकि ग्रामीण क्षेत्र में इसी आयु वर्ग के बच्चों में SSFT का स्तर 5.3% था।
  • इस सर्वेक्षण में शहरी क्षेत्रों में 10-19 आयु वर्ग के किशोरों में SSFT का स्तर 10.4% जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 4.3% पाया गया।

आगे की राह:

  • ICDS कार्यक्रम के तहत सेवा वितरण में सुधार पर ध्यान देने के लिये शहरी क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे में सुधार आवश्यक है।
  • ICDS कार्यक्रम को सफल बनाने में आँगनवाड़ी केंद्रों एवं कार्यकर्त्रियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है अतः उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दिये जाने की ज़रूरत है।

स्रोत: द हिंदू

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