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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ठेकेदारों के लिये तीन-वर्षीय लाइसेंस की सिफारिश

  • 07 Oct 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार द्वारा अनुबंध श्रम कानून में एक बड़ा बदलाव करते हुए नए नियमों की रुपरेखा प्रस्तुत की गई है। इन नए नियमों के अनुसार, नए काम हेतु एक अलग लाइसेंस की बजाय देश भर में काम करने के लिये ठेकेदारों को तीन साल का लाइसेंस प्रदान किये जाने का प्रावधान शामिल किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • अनुबंध श्रम (नियमन और उन्मूलन) अधिनियम [Contract Labour (Regulation and Abolition) Act], 1970 में प्रस्तावित परिवर्तनों के अनुसार, ठेकेदारों को अब प्रत्येक परियोजना के लिये एक नए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।
  • इस नए प्रस्ताव के अनुसार, यदि कोई ठेकेदार एक ही राज्य में तीन साल तक काम करना चाहता है तो उसे राज्य सरकार से परमिट लेना होगा।
  • हालाँकि, ठेकेदार को जब भी किसी कंपनी से काम करने का आदेश प्राप्त होगा तो उसे सरकार को सूचित करना आवश्यक होगा। ऐसा न करने पर उस ठेकेदार का लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है।

ज़िम्मेदारियों में विभाजन

  • प्रस्तावित कानून के अंतर्गत ऐसे ठेकेदार जो सेवाएँ प्रदान करते हैं तथा वे जो मानव संसाधन मुहैया कराते हैं, के मध्य विभेदन किया गया है। 
  • ऐसे ठेकेदार जो किसी कंपनी को मानव संसाधन मुहैया कराते हैं, वे अब श्रमिकों के लिये कैंटीन और टॉयलेट सुविधाएँ प्रदान करने के लिये ज़िम्मेदार नहीं होंगे। 
  • इन श्रमिकों को कैंटीन एवं शयनकक्ष जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी उस मुख्य नियोक्ता की होगी, जो ठेकेदार के माध्यम से श्रमिकों को काम पर रखता है।
  • श्रम कानून में प्रस्तावित प्रावधानों के अनुसार, अगर किसी ऐसे ठेकेदार को काम संबंधी आदेश दिया जाता है जिसने पेरोल पर कर्मचारियों को काम पर रखा है, तो उन श्रमिकों को अनुबंध श्रम (नियमन और उन्मूलन) अधिनियम के तहत अनुबंध श्रमिकों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा।
  • सरकार द्वारा नकद भुगतान के बदले इलेक्ट्रॉनिक तरीके से मज़दूरी का भुगतान करने संबंधी प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि प्रस्तावित श्रम कानून अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन कन्वेंशन 181 (निजी रोज़गार एजेंसियों के संबंध में) के अनुरूप तैयार किये गए हैं।
  • वर्तमान में, प्रत्येक कार्य के अनुबंध के साथ लाइसेंस के नवीनीकरण में शामिल जटिलताओं के कारण ठेकेदार श्रम कानूनों के अनुपालन से बचते रहते हैं।
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