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कृषि

आपातकालीन चीनी रिज़र्व बनाने का प्रस्ताव मंज़ूर

  • 25 Jul 2019
  • 6 min read

चर्चा मे क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) द्वारा 4 मिलियन टन के आपातकालीन चीनी रिज़र्व (Sugar Reserve) बनाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई है। साथ ही यह भी तय किया गया है कि चीनी मिलें गन्ना किसानों को 275 रुपए प्रति क्विन्टल का भुगतान करेंगी।

प्रमुख बिंदु:

  • एक वर्ष के लिये 40 लाख मीट्रिक टन (LMT) चीनी का सुरक्षित भंडार बनाना और इसके लिये अधिकतम 1674 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च करना।
    • खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा बाज़ार मूल्य एवं चीनी की उपलब्धता के आधार पर किसी भी समय वापसी/संशोधन के लिये इसकी समीक्षा की जा सकती है।
  • योजना के अंतर्गत चीनी मिलों को तिमाही आधार पर प्रतिपूर्ति की जाएगी जिसे चीनी मिलों की ओर से बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान के लिये सीधे किसानों के खाते में डाल दिया जाएगा। यदि कोई पहले का भुगतान शेष होता है, तो उसे मील के खाते में जमा किया जाएगा।
  • चीनी मौसम (Sugar Season) 2017-18 (अक्तूबर-सितंबर) तथा चीनी मौसम 2018-19 के दौरान चीनी के उत्पादन, उद्योग में अधिक लाभ की स्थिति एवं तरलता में कमी को देखते हुए सरकार द्वारा ये निर्णय लिये गए हैं।
    • ऐसे निर्णय लेने के पीछे सरकार का उद्देश्य चीनी मिलों की तरलता में सुधार लाना, मीलों द्वारा किसानों के बकाया गन्ना मूल्यों का भुगतान सुनिश्चित करना तथा घरेलू बाज़ार में चीनी की कीमतों को स्थिर करना है।
  • सरकार द्वारा एक वर्ष के लिये (1 जुलाई, 2018 से 30 जून, 2019) 30 लाख मीट्रिक टन चीनी का सुरक्षित भंडार बनाने का निर्णय ऐसा ही एक प्रयास है।
  • चीनी उत्पादन मौसम 2017-2018 में घोषित सुरक्षित भंडार सब्सिडी योजना 30 जून, 2019 को समाप्त हो गई है। आगामी चीनी उत्पादन मौसम 2019-20 में मांग आपूर्ति संतुलन बनाए रखने तथा चीनी की कीमतें स्थिर रखने के लिये सरकार ने 1 अगस्त, 2019 से 31 जुलाई, 2020 तक एक वर्ष के लिये 40 लाख मीट्रिक टन चीनी का सुरक्षित भंडार बनाने का फैसला किया है।

लाभ:

  • चीनी मिलों की तरलता में सुधार होगा।
  • चीनी इंवेन्ट्री में कमी आएगी।
  • घरेलू चीनी बाज़ार में मूल्य भावना बढ़ाकर चीनी की कीमतें स्थिर की जा सकेंगी और परिणामस्वरूप किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान समय से किया जा सकेगा।
  • चीनी मिलों के गन्ना मूल्य बकायों की मंज़ूरी से सभी गन्ना उत्पादक राज्यों में चीनी मिलों को लाभ होगा।

पृष्ठभूमि:

  • गौरतलब है कि भारत विश्व में ब्राज़ील के बाद चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक एवं सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।
  • देश की वार्षिक चीनी खपत का लगभग 90% हिस्सा वाणिज्यिक कार्यों जैसे कि पैकेज खाद्य पदार्थ आदि के लिये उपयोग किया जाता है।
  • चीनी मिलें जिस मूल्य पर किसानों से गन्ना खरीदती हैं उसे उचित और लाभप्रद मूल्य (Fair and Remunerative Price-FRP) कहा जाता है। इसका निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission on Agricultural Costs and Prices-CACP) की सिफारिशों के आधार पर किया जाता है।

आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडल समिति

(Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA)

  • यह एक अतिरिक्त संवैधानिक निकाय है जिसका उद्देश्य आर्थिक क्षेत्र में सरकारी गतिविधियों को दिशा-निर्देश देना एवं समन्वित करना।
  • इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
  • विभिन्न मंत्रालयों के कैबिनेट इस समिति के सदस्य होते हैं।
  • इसके महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं :
    • आर्थिक रूझानों की समीक्षा करना और एकीकृत नीति ढाँचे को विकसित करना।
    • छोटे और सीमांत किसानों से संबंधित ग्रामीण विकास गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा करना।
    • विनिवेश से संबंधी मुद्दों पर विचार करना।

कृषि लागत और मूल्य आयोग

(Commission on Agricultural Costs and Prices-CACP)

  • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह आयोग जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया।
  • यह आयोग कृषि उत्पादों के संतुलित एवं एकीकृत मूल्य संरचना तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सलाह देता है।
  • इस आयोग द्वारा 24 कृषि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किये जाते हैं।
  • इसके अतिरिक्त गन्ने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की जगह उचित एवं लाभकारी मूल्य की घोषणा की जाती है। गन्ने का मूल्य निर्धारण आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा अनुमोदित किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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