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डेली न्यूज़

भारतीय राजव्यवस्था

बेलगाम विवाद

  • 01 Jan 2020
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

बेलगाम का ऐतिहासिक महत्त्व

मेन्स के लिये:

भाषायी आधार पर राज्यों का विलय एवं एकीकरण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कर्नाटक-महाराष्ट्र राज्य की सीमा पर स्थित बेलगाम पर अधिकार को लेकर दोनों राज्यों में तनाव की स्थिति देखी गई है।

मुख्य बिंदु:

  • बेलगाम कर्नाटक और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है, जहाँ मराठी भाषी बहुसंख्यक निवास करते हैं।

क्या है विवाद?

  • बेलगाम पर महाराष्ट्र अपना दावा करता रहा है क्योंकि यहाँ मराठी भाषी लोगों की बड़ी आबादी रहती है लेकिन यह ज़िला कर्नाटक के अंतर्गत आता है।
  • हाल ही में एक कन्नड़ संगठन की ओर से महाराष्ट्र एकीकरण समिति पर की गई टिप्पणी के बाद बेलगाम को लेकर जारी दशकों पुराना यह विवाद फिर से गरमा गया।
  • महाराष्ट्र एकीकरण समिति कर्नाटक के मराठी भाषी आबादी वाले इलाकों को महाराष्ट्र में सम्मिलित करने के लिये संघर्ष कर रही है।
  • महाराष्ट्र सरकार ने दिसंबर, 2019 की शुरुआत में कर्नाटक सरकार के साथ सीमा विवाद से संबंधित मामलों पर बातचीत तेज़ करने के प्रयासों की समीक्षा के लिये दो मंत्रियों को ‘समन्वयक’ बनाया है।

बेलगाम का ऐतिहासिक महत्त्व:

  • कर्नाटक के बेलगाम शहर का ऐतिहासिक महत्त्व है।
  • बेलगाम में 1924 में कॉन्ग्रेस का अधिवेशन हुआ जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की।
  • लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने वर्ष 1916 में बेलगाम से ही अपना ‘होम रूल लीग‘ आंदोलन शुरु किया था।

बदलते परिदृश्य में सरकारों को क्षेत्रवाद के स्वरूप को समझना होगा। यदि यह विकास की मांग तक सीमित है तो उचित है, परंतु यदि क्षेत्रीय टकराव को बढ़ावा देने वाला है तो इसे रोकने के प्रयास किये जाने चाहिये। वर्तमान में क्षेत्रवाद संसाधनों पर अधिकार करने और विकास की लालसा के कारण अधिक पनपता दिखाई दे रहा है। इसका एक ही उपाय है कि विकास योजनाओं का विस्तार सुदूर तक हो। सम-विकासवाद ही क्षेत्रवाद का सही उत्तर हो सकता है।

स्रोत- द हिंदू

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