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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पाकिस्तान में आज़ादी मार्च

  • 04 Nov 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

आज़ादी मार्च

मेन्स के लिये:

आज़ादी मार्च का भारत और पाकिस्तान पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

वर्तमान में पाकिस्तान में मौलाना फज़लुर रहमान के नेतृत्व में ‘आज़ादी मार्च’ जारी है। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराना है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने असंवैधानिक रूप से चुनावों में जीत हासिल की है, इसलिये वे प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

  • गौरतलब है कि पाकिस्तान की राजनीति में विपक्षी दलों द्वारा विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से लोकतांत्रिक सरकार को गिराने का प्रयास एक आम बात हो गई है और इस प्रकार की लगभग सभी घटनाओं में पाकिस्तानी सेना की एक विशेष भूमिका दिखाई देती है।

पाकिस्तान का नया संकट- आज़ादी मार्च

  • पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के पद ग्रहण करने के पश्चात् यह पहला मौका है जब उनके सामने कोई बड़ी राजनीतिक चुनौती उत्पन्न हुई है।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2018 में हुए पाकिस्तानी चुनाव काफी विवादास्पद थे और यह कहा गया था कि पाकिस्तानी सेना ने चुनावों में हेर-फेर कर इमरान खान को जिताने का प्रयास किया है।
  • प्रदर्शनकारी इसी विषय को लेकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं और उन्हें पाकिस्तान के प्रमुख विपक्षी दलों का समर्थन भी प्राप्त है।
  • प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे फज़लुर रहमान का कहना है कि वर्ष 2018 के चुनाव अनुचित थे और इसलिये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को अपना पद छोड़ देना चाहिये।
  • इसके अलावा फज़लुर रहमान का यह भी मानना है कि इमरान खान कश्मीर के मुद्दे पर कुछ नहीं कर रहे हैं एवं करतारपुर गलियारे की शुरुआत पाकिस्तान के हित में नहीं है।
  • गौरतलब है कि पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति भी अत्यंत खराब है, जिसे लेकर समय-समय पर प्रधानमंत्री इमरान खान के विरुद्ध आवाज़ उठती रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान अपने इतिहास में सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
    • पाकिस्तान के वर्तमान हालात भी इस प्रदर्शन के लिये ज़िम्मेदार माने जा सकते हैं और इसी कारण लोग प्रदर्शन को अपना समर्थन दे रहे हैं।

आज़ादी मार्च- भारत पर प्रभाव

  • विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान में हो रहे ‘आज़ादी मार्च’ का भारत पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के वर्तमान रिश्ते अपने सबसे खराब दौर से गुज़र रहे हैं।
  • यदि प्रदर्शन सफल रहता है, हालाँकि इसकी संभावना बहुत कम है, तो पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में काफी परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
  • इस प्रदर्शन की सफलता का भारत के लिये एक खतरा यह है कि मौलाना फ़ज़लुर रहमान, जो कि प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहा है, की छवि भारत के प्रति बहुत अच्छी नहीं मानी जाती है।
    • मौलाना फज़लुर रहमान के अफगान तालिबान के साथ घनिष्ठ संबंध बताए जाते हैं। साथ ही उसने विगत कुछ वर्षों में कई बार अमेरिकी विरोधी और तालिबान समर्थित प्रदर्शनों का नेतृत्व भी किया है।
    • वर्ष 2012 में उसने नोबेल विजेता मलाला यूसुफज़ई के विरोध में भी कई बयान दिये थे।

निष्कर्ष

पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन के कारण अफरा-तफरी का माहौल है, परंतु फिलहाल इस बात की संभावना नहीं है कि विपक्षी दल इमरान खान को सत्ता से हटा पाएंगे। हमेशा की तरह इस बार भी यही प्रतीत हो रहा है कि अंतिम निर्णय पाकिस्तानी सेना द्वारा ही लिया जाएगा। गौरतलब है कि इस प्रकार का पिछला प्रदर्शन इमरान खान के नेतृत्व में किया गया था और वे अपने मकसद में असफल रहे थे।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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