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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

10 वीं कक्षा तक हिन्दी की अनिवार्यता को स्वीकृति

  • 19 Apr 2017
  • 6 min read

संदर्भ
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने संसदीय पैनल की उस अनुशंसा को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है, जिसमें कहा गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय, सी.बी.एस.ई. के सभी विद्यालयों तथा सभी केंद्रीय विद्यालयों में कक्षा 10 तक हिन्दी को अनिवार्य विषय बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।

 प्रमुख बिंदु

  • 31 मार्च को राष्ट्रपति की तरफ से जारी एक आदेश में कहा गया था कि 10वीं कक्षा तक हिन्दी को अनिवार्य विषय बनाने के लिये केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों से बात करके इस संदर्भ में एक नीति बनाए।  
  • ध्यातव्य है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा ऐसे सभी संस्थानों, जिनके पास पृथक हिन्दी विभाग नहीं है, को ऐसे विभाग के गठन के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। 
  • इससे पूर्व, आधिकारिक भाषा अधिनियम के तहत गठित पैनल ने वर्ष 2011 में राष्ट्रपति को अपनी अपनी नौवीं रिपोर्ट सौंपी थी।
  • तत्पश्चात पैनल की इन रिपोर्टों को विभिन्न मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के पास भेजा गया था।
  • उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये इस पैनल द्वारा 117 सिफारिशों प्रस्तुत की गई थीं, जिनमें से कई सिफारिशों को सरकार ने अस्वीकृत एवं परिवर्तित भी किया है। 

सरकार द्वारा पैनल की स्वीकृत प्रमुख सिफारिशें 

  • उच्च पदों पर आसीन सभी सरकारी अधिकारी, विशेष रूप से वे जो हिन्दी पढ़ते एवं बोलते हैं, वे अपने भाषण तथा वक्तव्य हिन्दी में ही देंगे है। गौरतलब है कि इस वर्ग में राष्ट्रपति सहित सभी मंत्री शामिल हैं।   
  • विभिन्न मंत्रालयों द्वारा आयोजित हिन्दी कार्यशालाओं में आमंत्रित मेहमान वक्ताओं (Guest speakers) को अन्य विषयों की कार्यशालाओं के मेहमान वक्ताओं के समतुल्य वेतन का भुगतान किया जाएगा।   
  • हिन्दी अनुवादकों को विदेशी भाषाओं के अनुवादकों के समतुल्य वेतन का भुगतान किया जाएगा।   
  • आकाशवाणी के हिन्दी वाचकों (Announcers) को  अन्य भाषाओं के उनके सह-वाचकों के बराबर पारिश्रमिक दिया जाएगा।   
  • गैर-हिन्दी भाषी राज्यों के उच्च शिक्षा संस्थानों में हिन्दी भाषा में उत्तर लिखने एवं इंटरव्यू देने का विकल्प होना चाहिये।   
  • रेलवे के लिये भाषा की आवश्यकता वाले सिर्फ वही उपकरण खरीदे जाएंगे जिनमें देवनागरी लिपि का भी विकल्प होगा।   
  • रेलवे तथा एयर इंडिया के टिकिटों में सभी सूचनाएँ हिन्दी में भी होंगी ।   
  • संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं में हिन्दी में उत्तर लिखने का विकल्प हो।   

सरकार द्वारा पैनल की अस्वीकृत प्रमुख सिफारिशें

  • जिन कंपनियों में आम जनता तथा सरकार के शेयर हों, वे आधिकारिक भाषा के रूप में हिन्दी का प्रयोग करेंगी।     
  • सरकारी कर्मचारियों की वार्षिक रिपोर्ट में एक कॉलम यह भी जोड़ा जाए कि उन्होंने हिन्दी संबंधी अपने मासिक एवं वार्षिक लक्ष्यों को कितना हासिल किया। साथ ही, एक कॉलम हिन्दी में उनकी लेखन क्षमता के संबंध में भी होना चाहिये।  
  • सरकारी नौकरी के लिये हिन्दी के न्यूनतम ज्ञान की आवश्यकता। इसके अलावा, सरकारी नौकरी की तलाश करने वालों के लिये हिन्दी की परीक्षा लेने का प्रावधान।    

सरकार द्वारा संशोधित की गई प्रमुख सिफारिशें

  • मूल सिफारिश यह थी कि “हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र (United nations) की भाषा बनाने के लिये  विदेश मंत्रालय एक समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करे” और इसे क्रियान्वित करे। इसे संशोधित करके यह प्रावधान किया गया है कि मंत्रालय इस योजना के लिये एक बजट अनुमान सुनिश्चित करे और फिर कार्यक्रम बनाने पर विचार करे।   
  • पूर्व में सभी कंपनियों के लिये अपने उत्पादों का विवरण हिन्दी में देना अनिवार्य था। अब, इस प्रावधान को संशोधित करके इसे सिर्फ सरकारी, अर्द्ध-सरकारी कंपनियों और/अथवा संगठनों के लिये ही अनिवार्य किया गया है।
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