लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इसरो का आईआरएनएसएस 1I सेटेलाइट : क्या, क्यों, कैसे

  • 11 Apr 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

12 अप्रैल को पीएसएलवी-सी 41 (PSLV-C41) के माध्यम से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) के पहले लॉन्च पैड से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation - ISRO) द्वारा आईआरएनएसएस-1 आई सेटेलाइट को प्रक्षेपित किया जाएगा।

  • यह PSLV-XL संस्करण की 20वीं उड़ान होगी।
  • यह सेटेलाइट पोज़ीशन, नेविगेशन और समय के सटीक निर्धारण के लिये संकेत संचारित करेगा।
  • यह प्रक्षेपण इसरो की संचार सेटेलाइट जीएसएटी 6A (GSAT-6A) के प्रक्षेपण के दो हफ्ते बाद किया जा रहा है, इससे प्रक्षेपण के दो दिनों बाद ही संपर्क टूट गया था।

आईआरएनएसएस (IRNSS) क्या है?

  • आईआरएनएसएस का पूरा नाम भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (Indian Regional Navigation Satellite System) है। यह उपग्रहों अर्थात् सेटेलाइट का एक सेट है जो एक साथ भारत को जीपीएस के समान एक क्षेत्रीय स्थिति वाला सिस्टम प्रदान कर सकता है।
  • इसरो की वेबसाइट के मुताबिक, यह प्रणाली उपयोगकर्त्ताओं के प्राथमिक कवरेज क्षेत्र में 20 मीटर से अधिक तक की सटीक स्थिति हेतु डिज़ाइन की गई है। यह भारत की सीमा के करीब 1500 किमी. के घेरे में भी अपनी सेवाएँ प्रदान कर सकता है।

अभी तक कितने आईआरएनएसएस सेटेलाइट स्थापित किये गए हैं?

  • अभी तक कुल सात आईआरएनएसएस सेटेलाइट (1A से 1G तक) स्थापित किये गए हैं। 
  • सेटेलाइट A, B, F, G को जियो सिंक्रोनस ऑर्बिट (Geo synchronous orbit) में स्थापित किया गया है, जिसका अर्थ है कि वे पृथ्वी के ऊपर एक निश्चित स्थान पर अवस्थित हैं तथा वे पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करते हैं।
  • शेष तीन C, D, E को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (geostationary orbit) में स्थापित किया गया है। ये पृथ्वी के साथ-साथ भूमध्य रेखा पर स्थापित हैं तथा पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करते हैं।
  • पिछले आईआरएनएसएस 1 एच का प्रक्षेपण 31 अगस्त, 2017 को किया गया था, जो कि असफल रहा।

आईआरएनएसएस के प्रमुख अवयव क्या है?

  • ये सेटेलाइट न केवल भूमि के नेविगेशन में बल्कि समुद्री और हवाई नेविगेशन में भी मददगार हैं।
  • इन उपग्रहों से प्राप्त डेटा को वाहन चालकों को दृश्य और वोइस नेविगेशन सहायता देने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • ये सेटेलाइट आपदा प्रबंधन के साथ-साथ उचित समय प्रबंधन में भी मददगार साबित होते हैं।

IRNSS-1I की विशेषताएँ

  • इसका वज़न 321 टन है। पीएसएलवी-सी 41 आईआरएनएसएस -1 आई को प्रक्षेपण के बाद 19 मिनट:19 सेकेंड में कक्षा में स्थापित कर देगा। 
  • यह आईआरएनएसएस सेटेलाइट समूह की 9वाँ सेटेलाइट है।
  • इसे सब-जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसका सबसे नज़दीकी बिंदु पृथ्वी के ऊपर 284 किमी. पर होगा, जबकि सबसे दूरतम बिंदु पृथ्वी के ऊपर 20,650 किमी. पर होगा।
  • अन्य सभी आईआरएनएसएस उपग्रहों की तरह, आईआरएनएसएस -1 आई में भी दो पेलोड - एक, नेविगेशन पेलोड (navigation payload) और दूसरा, रैंगिंग पेलोड (ranging payload) होंगे।
  • नेविगेशन पेलोड का इस्तेमाल स्थिति, गति तथा समय के निर्धारण के लिये किया जाएगा, जबकि रैंगिंग पेलोड का इस्तेमाल सेटेलाइट की आवृत्ति रेंज का निर्धारण करने के लिये किया जाएगा।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2