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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वायु प्रदूषण - एक राष्ट्रीय समस्या

  • 12 Jan 2017
  • 6 min read

पृष्ठभूमि

पिछले कई महीनों से दिल्ली की विषाक्त वायु चर्चा का विषय बन हुई है, लेकिन यहाँ सबसे अधिक गौर करने वाली बात यह है कि वर्तमान में न केवल दिल्ली बल्कि समस्त देश में वायु प्रदूषण का स्तर अपने भयावह स्तर पर पहुँच चुका है| हाल ही में 11 जनवरी, 2017 को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के तकरीबन 90 प्रतिशत से अधिक शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों की तुलना में काफी अधिक दर्ज किया गया है|

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2015 में ग्रीनपीस इंडिया (Greenpeace) द्वारा देश के 168 शहरों में किये गए वायु परीक्षण में यह पाया गया कि देश के तकरीबन 154 शहरों की वायु में औसत प्रदूषक कणों का स्तर राष्ट्रीय मानक से कहीं अधिक था|
  • जिन भी शहरों में यह परीक्षण संपन्न किया गया है, उनमें से किसी भी शहर की वायु की गुणवत्ता “विश्व स्वास्थ्य संगठन “(World Health Organisation- WHO) द्वारा निधारित मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई है|
  • हालाँकि, यह स्पष्ट कर देना अत्यंत आवश्यक है कि एकमात्र कर्नाटक राज्य के हासन (Hasan) शहर की वायु का स्तर “विश्व स्वास्थ्य संगठन” द्वारा तय किये गए मानकों के काफी नज़दीक पाया गया|
  • विभिन्न राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण निकाय, उनकी वेबसाइट तथा आरटीआई के प्रश्नों के माध्यम से प्राप्त डेटा का प्रयोग करते हुए इस रिपोर्ट के अंतर्गत शामिल शहरों को पीएम10 (Particulate mater) के राष्ट्रीय औसत के आधार पर श्रेणीबद्ध किया गया है| 
  • ध्यातव्य है कि पीएम10 ऐसे कण होते हैं जिनका व्यास 10 माइक्रोन से कम होता है| इसके अतिरिक्त, इनमें हानिकारक कण पीएम 2.5 भी सम्मिलित होते हैं|

प्रमुख पाँच शहर

  • आश्चर्यजनक रूप से इस रिपोर्ट में दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहर पाया गया है| दिल्ली में पीएम10 का औसत वार्षिक स्तर 268 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर अथवा केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) के राष्ट्रीय व्यापक वायु गुणवत्ता मानकों ((National Ambient Air Quality Standards) यानी 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से चार गुना अधिक पाया गया है|
  • दिल्ली के बाद इस सूची में क्रमशः गाज़ियाबाद, इलाहबाद, बरेली (उत्तर प्रदेश) और फरीदाबाद (हरियाणा) को स्थान दिया गया है| इन पाँचों शहरों को पीएम10 स्तर के मामले में सबसे खराब स्थिति वाला पाया गया है| ध्यातव्य है कि इन सभी शहरों का औसत वार्षिक संकेंद्रण राष्ट्रीय मानकों से चार गुना अधिक है| 
  • गौरतलब है कि उत्तर और मध्य भारत की वायु में इन कणों (पीएम10 ) का स्तर हानिकारक स्तर पर पाया गया, जबकि दक्षिण भारत की वायु को इसकी तुलना में स्वच्छ करार दिया गया है|
  • इसके अतिरिक्त, देश के सबसे कम प्रदूषित 10 शहर दक्षिण तथा पूर्वी भारत से हैं| इनमें से आठ शहर कर्नाटक तथा अन्य दो ओडिशा व तमिलनाडु से हैं|
  • गौरतलब है कि उत्तर भारत में हिमालय की उपस्थिति एवं ठंडी जलवायु होने के बावजूद अतिरिक्त औद्योगिक संकेंद्रण के कारण ही प्रदूषण का स्तर अधिक पाया गया है| इसके विपरीत दक्षिण भारत को समुद्री हवाओं की उपस्थिति के कारण इस स्थिति में लाभ प्राप्त होता है| 
  • चूँकि प्रदूषण एक राष्ट्रीय स्तर की समस्या है, अतः इसका उपचार भी इसी स्तर पर किया जाना चाहिये|

वायु प्रदूषण के मुख्य दोषी

  • प्रदूषण के मुख्य स्रोतों के विषय में अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि पार्टिकुलेट मैटर में जीवाश्म ईंधनों का सर्वाधिक योगदान होता है, फिर चाहे ये जीवाश्म ईंधन परिवहन क्षेत्र में हों अथवा औद्योगिक क्षेत्र में|  जीवाश्म ईंधनों का अनियंत्रित दहन वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है| उदहारणस्वरूप, चेन्नई समुद्र तट पर अवस्थित है तथापि यहाँ वायु में पीएम10 का औसत स्तर 81 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है| 
  • ध्यातव्य है कि वायु प्रदूषण का एक अन्य प्रमुख कारण डीज़ल से चलने वाले सार्वजनिक परिवहन वाहन तथा शक्ति संयंत्र भी होते हैं|
  • उल्लेखनीय है कि इस रिपोर्ट में सभी शहरों को पीएम10 के औसत स्तर पर मापा गया है, तथापि कुछ शहरों, जैसे दिल्ली में अन्य शहरों की तुलना में कई अधिक निगरानी केंद्र अवस्थित होने के बावजूद वायु का निम्न स्तर चिंता का विषय बना हुआ है| 
  • इस रिपोर्ट में ग्रीनपीस इंडिया द्वारा प्रदूषण के स्तरों की उन्नत पहचान हेतु कुछ अन्य निगरानी केन्द्रों को स्थापित करने की भी अनुसंशा की गई है|
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