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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

देश भर में प्रत्येक प्रखंड एवं ग्राम पंचायत में जनऔषधि केन्द्रों की स्थापना

  • 20 Jan 2017
  • 5 min read

सन्दर्भ

भारत सरकार की देश के हर प्रखंड एवं ग्राम पंचायत में जनऔषधि केन्द्रों की स्थापना की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से भारतीय फार्मा पीएसयू ब्यूरो (Bureau of Pharma PSUs of India - BPPI)  और राष्ट्रीय युवा सहकारी समिति लिमिटेड (National Yuva Cooperative Society Ltd. - NYCS) के बीच सहमति-पत्र ( MoU ) पर हस्ताक्षर किये गए|

प्रमुख बिंदु 

  • देश के सभी नागरिकों को किफायती मूल्यों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाएँ मुहैया कराने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए सरकार ने इस उद्देश्य के लिये देश भर में हर प्रखंड एवं ग्राम पंचायत में जनऔषधि केन्द्रों की स्थापना की परिकल्पना की है| वस्तुतः सरकार का प्रयास देश के हर नागरिक को किफायती मूल्यों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाएँ मुहैया कराना है। 
  • भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल विभाग की एक पहल ‘प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना’ (पीएमबीजेपी) एक विशेष मिशन है जिसका दीर्घकालीन उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को किफायती मूल्यों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाएँ मुहैया कराना है। 
  • गौरतलब है कि सरकार का उद्देश्य मार्च 2017 तक ‘मिशन 3000’ के रूप में 3000 केन्द्रों की स्थापना है जिसके एक हिस्से के तहत देश में 1000 शहरी एवं ग्रामीण स्थलों पर प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केन्द्रों की स्थापना की जानी है। 
  • पीएमबीजेपी के लिये प्रमुख क्रियान्वयनकारी एजेंसी बीपीपीआई ही है।

प्रधानमंत्री भारतीय जनसुविधा परियोजना की प्रगति 

  • पीएमबीजेपी के ज़रिये सरकार ‘सभी के लिये किफायती दवाओं’ के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में पूरी सक्रियता के साथ काम कर रही है, जिसके तहत वर्तमान में 750 से भी ज़्यादा स्टोर हैं और इनके पोर्टफोलियो में 600 दवाएँ और 154 शल्य एवं उपभोक्ता वस्तुएँ हैं।
  • एनवाईसीएस के साथ हाथ मिलाकर देश के युवाओं की ऊर्जा का उपयोग इस लक्ष्य की प्राप्ति में किया जाएगा। 
  • सरकारी अस्पतालों में स्थापित किये जाने वाले इन केन्द्रों को वित्तीय सहायता के रूप में 2.5 लाख रुपए तक की सक्रिय वित्तीय मदद सरकार द्वारा दी जा रही है। 
  • इसी तरह, संबंधित व्यक्तियों को प्रोत्साहन दिये जा रहे हैं। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों तथा दिव्यांगजनों के लिये विशेष एवं उदार शर्तें तय की गई हैं। 
  • पिछले ढाई वर्षों के दौरान जनऔषधि केन्द्रों की संख्या सात गुना बढ़कर फिलहाल 750 के आँकड़े से भी ऊपर चली गई है। 
  • यही नहीं, देश भर में जनऔषधि केन्द्रों की स्थापना के लिये लगभग 20,000 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं और 5000 से भी ज़्यादा आवेदनों को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी जा चुकी है। 


निष्कर्ष 

सरकार ने देश भर में हर प्रखंड एवं ग्राम पंचायत में जनऔषधि केन्द्रों की स्थापना की परिकल्पना की है। 'स्वास्थ्य सुरक्षा' प्रदान करने से संबंधित विज़न, जिसे देश के हर नागरिक को किफायती मूल्यों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाएँ मुहैया कराकर साकार किया जाएगा, इसके तहत सरकार स्वदेशी जेनेरिक दवा उद्योग को बढ़ावा देने और इसे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना इस दिशा में एक अहम कदम है जो आम आदमी के स्वास्थ्य संबंधी खर्च में खासी कमी सुनिश्चित करेगा और इसके साथ ही फार्मा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को नई गति प्रदान करेगा।

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