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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अर्थव्यवस्था के मज़बूतीकरण का प्रयास

  • 25 Oct 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

  • अर्थव्यवस्था को गति देने, रोज़गार सृजन और बैंकिंग तंत्र को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से हाल ही में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को दो लाख 11 हज़ार करोड़ रुपए की पूंजी उपलब्ध कराने तथा सात लाख करोड़ रुपए के निवेश से पाँच वर्षों में 83, 677 किलोमीटर सड़कों के निर्माण की मंज़ूरी दी है।

वर्तमान प्रयास में क्या?

  • आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रही केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने लिये 9 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है।
  • इसके तहत साढ़े पाँच लाख करोड़ रुपए की 'भारतमाला परियोजना' शुरू कर देश में अभूतपूर्व स्तर पर हाइवे और एक्सप्रेसवे का जाल बिछाया जाएगा, जबकि सार्वजनिक बैंकों को अगले दो साल में दो लाख 11 हज़ार करोड़ रुपए की पूंजी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।
  • इन उपायों से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की न केवल स्थिति मज़बूत होगी, बल्कि ऋण देने की क्षमता में भी वृद्धि होगी तथा बड़े स्तर पर रोज़गार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
  • इंद्रधनुष योजना के तहत चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक बैंकों दी जाने वाली 10 हज़ार करोड़ रुपए की लक्षित राशि भी इसमें शामिल है। इंद्रधनुष के तहत अगले वित्त वर्ष तक कुल 18 हज़ार करोड़ रुपए बैंकों को दिये जाने हैं।

 ‘भारतमाला परियोजना’ क्या है?

  • भारतमाला राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना है। इसके तहत नए राजमार्गों के निर्माण के अलावा उन परियोजनाओं को भी पूरा किया जाएगा जो अब तक अधूरी हैं।
  • इस परियोजना में सीमावर्ती और ‘इंटरनेशनल कनेक्टिविटी’ वाली विकासात्मक परियोजनाएँ, बंदरगाहों को सड़कों से जोड़ना, नेशनल कॉरिडोर्स को और बेहतर बनाना भी शामिल है।
  • इसके तहत भारत के पूर्व से पश्चिम तक यानी मिज़ोरम से गुजरात तक सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें बनाई जाएंगी। भारतमाला योजना में रणनीतिक पहलू भी शामिल है। इससे सीमावर्ती क्षेत्रों से बेहतर कनेक्टिविटी संभव होगी।
  • देश की सड़कें बेहतर होने पर सैन्य परिवहन बेहतर हो सकेगा और सीमा व्यापार भी बढ़ेगा। कई राज्यों में बेहतर सड़कों से आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आएगी। इस योजना में सड़कों का ज़्यादातर हिस्सा पहाड़ी राज्यों में बनेगा, जहाँ कनेक्टिविटी और आर्थिक गतिविधियाँ कमज़ोर हैं।

इंद्रधनुष योजना क्या है?

  • देश के सरकारी बैंकों की हालत सुधारने के लिये सरकार ने वर्ष 2015 में एक सात सूत्रीय इंद्रधनुष योजना बनाई थी। इंद्रधनुष के 7 सूत्र इस प्रकार हैं:

1. नियुक्तियाँ।
2. बैंक बोर्ड ब्यूरो।
3. पूंजीकरण।
4. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर दबाव हटाना।
5. सशक्तीकरण।
6. जवाबदेही की योजना बनाना।
7. प्रशासनिक सुधार।  

  • इंद्रधनुष' योजना का उद्देश्य चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना, फँसे ऋणों की मात्रा में कमी करना और बैंकों का प्रदर्शन सुधारना है। 'इंद्रधनुष' के अंतर्गत पुनर्पूंजीकरण के उपाय किये जा रहे हैं और गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को कम करने में मदद की जा रही है।

क्यों ज़रूरी है यह कदम?

  • जून, 2017 तक भारतीय बैंकों के ‘बैड लोन्स’ के स्तर में रिकॉर्ड तोड़ 146 बिलियन डॉलर यानी की 9.5 ट्रिलियन रुपए की वृद्धि दर्ज़ की गई है।
  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office-CSO) द्वारा जारी आँकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून की तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर महज 5.7 फीसदी रही है।
  • भारत वास्तव में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन निवेश, उद्योग क्षमता, कृषि विकास आदि की चिंताजनक स्थिति के कारण यह रोज़गार सृजन के मोर्चे पर काफी कमज़ोर स्थिति में है।
  • जहाँ जीडीपी की वृद्धि दर में गिरावट की यह प्रवृत्ति चिंता का विषय है, वहीं हमारी अर्थव्यवस्था में अभी भी बैड लोन्स संबंधी समस्या पर नियंत्रण रखने के लिये कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि रोज़गार सृजन की चुनौती गंभीर होती जा रही है। ऐसे में यह प्रयास निश्चित ही महत्त्वपूर्ण है।
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