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बाल मृत्यु दर में कमी : स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में सकारात्मक रुख

  • 18 Jan 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण (Sample Registration Survey (SRS) से प्राप्त आँकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2010 के बाद से भारत में 5 वर्ष तक की आयु के शिशुओं की मृत्यु दर में (under-5 infant mortality rate - u5) बहुत तेज़ी से गिरावट दर्ज की गई है। प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 39 मौतें दर्ज की गई हैं, इन आँकड़ों में 43 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।

राज्यवार स्थिति

  • छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश को छोड़कर, सभी "बड़े राज्यों/संघ शासित प्रदेशों" में लड़कों के मुकाबले लड़कियों में उच्चतर u5 शिशु मृत्यु दर पाई गई है।
  • केरल में 1 से 5 साल तक की आयु के बीच में मरने वाले बच्चों की संख्या बहुत कम (प्रति 1,000 जीवित जन्मों में सिर्फ एक प्रति शिशु) पाई गई है। 
  • हालाँकि, आँकड़े बताते हैं कि देश के ज़्यादातर राज्यों की भाँति केरल में भी शिशु मृत्यु दर के संबंध में लिंग विभाजन और शहरी-ग्रामीण अंतर बना हुआ है। 
  • लड़कों की तुलना में लड़कियों के मरने की दर अधिक (10 लडकों की तुलना में 12 लडकियाँ) है।
  • इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्र में मृत्यु दर का अनुपात शहरी क्षेत्र की अपेक्षा अधिक (शहरी क्षेत्र में 10 और ग्रामीण क्षेत्र में 12) रहा है।
  • इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र की स्थिति में भी सुधार दर्ज किया गया है। वर्ष 2014 में 23, वर्ष 2015 में 24 की तुलना में वर्ष 2016 में u5 में प्रति 1,000 जन्मे बच्चों की तुलना में 21 बच्चों की मृत्यु दर्ज की गई है।
  • पिछले साल सितंबर माह में महाराष्ट्र राज्य में शिशु मृत्यु दर (0 से 1 वर्ष) में भी गिरावट दर्ज की गई है 
  • विशेष रूप से जवाहर, मोकादा, मेलघाट, पालघर आदि आदिवासी क्षेत्रों में हुआ यह सुधार नियमित स्क्रीनिंग और टीकाकरण शिविरों के परिणामस्वरूप दर्ज किया गया है।

ग्रामीण-शहरी स्थिति

  • वर्ष 2016 में भारत में जन्म दर में भी एक बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जो पहली बार 25 मिलियन से कम पाई गई।
  • इस गिरावट के बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक 29 शिशुओं में से एक शिशु, ग्रामीण क्षेत्र में हर 26 शिशुओं में से एक और शहरी क्षेत्र में हर 43 शिशुओं में से एक अपने जीवन के पहले वर्ष के भीतर ही काल का ग्रास बन जाता है। 

लिंगानुपात दर 

  • इसके अलावा, जन्म के समय लिंगानुपात की दर में भी वर्ष 2013 से एक स्थिर गिरावट की स्थिति बनी हुई है।
  • वर्ष 2016 में लिंगानुपात की दर (वर्ष 2013 के 909 की तुलना में) केवल 898 दर्ज की गई।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) के मुताबिक, वर्ष 2015 की तुलना में 2016 में करीबन 1,20,000 कम मौतें हुई हैं जो कि देश की स्वास्थ्य स्थिति के लिये एक "महत्त्वपूर्ण उपलब्धि" का प्रतीक है। 
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