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  • 13 Nov 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    ‘मध्य पूर्व क्षेत्र में भारतीय विदेश नीति का अमेरिका के साथ सामरिक अभिसरण भारत के हितों को प्रभावित कर सकता है’ इस कथन के संदर्भ में चर्चा करते हुए टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    दृष्टिकोण:

    • परिचय में भारत के लिये मध्य-पूर्व के महत्त्व का उल्लेख कीजिये।
    • हाल ही में मध्य-पूर्व में अमेरिकी विदेश नीति कार्यों के बारे में बताते हुए स्पष्ट कीजिये कि यह क्षेत्र भारतीय हितों को किस प्रकार प्रभावित करता है।
    • भारत द्वारा अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए लिये गए निर्णयों के बारे में बताइए।

    परिचय:

    • मध्य-पूर्व, भारत की विदेश नीति में ‘मुख्य क्षेत्र’ के रूप में अहम भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है बल्कि भविष्य में ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से मध्य एशियाई और यूरोपीय देशों के प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य करेगा। अतः इस क्षेत्र में स्थिरता कहीं न कहीं भारत के विकास के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
    • किंतु मध्य-पूर्व में विशेष रूप से ईरान और अफगानिस्तान में अमेरिकी हस्तक्षेप के कारण, इस क्षेत्र से संबंधित भारत के हित भी प्रभावित हो रहे हैं।

    प्रारूप:

    अमेरिका की मध्य-पूर्व नीति का भारतीय हितों पर पड़ने वाला प्रभाव:

    • प्रतिबंधों का पालन करना आवश्यक: ईरान पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारत को ईरान से अपने तेल आयात में कटौती करनी पड़ी है। यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये बहुत बड़ा जोखिम है जो भारतीय अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
    • भू-सामरिक निवेश का खतरा: अमेरिकी हस्तक्षेप से भारत द्वारा ईरान के चाबहार बंदरगाह में किये गए निवेश को भी खतरा हो सकता है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने का निर्णय देश में शांति एवं सुरक्षात्मक उपायों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। यह क्षेत्र भारत के लिये भू-सामरिक रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है अतः अफगानिस्तान में किसी भी प्रकार की अस्थिरता भारत की सुरक्षा के साथ-साथ उसकी अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकती है।
      • तालिबान के साथ चल रहे शांति समझौते में अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को शामिल करने का मुद्दा भारतीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है क्योंकि पाकिस्तान, कश्मीर में अशांति एवं अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न करने के लिये अल-कायदा जैसे आतंकवादी गुटों का इस्तेमाल कर सकता है।
      • इसके अलावा मध्य-पूर्व क्षेत्र में USA की वापसी मध्य एशिया एवं यूरेशिया में चीन की ‘बेल्ट एवं रोड इनिशिएटिव’ को अवसर प्रदान करेगी। जिससे भारत की सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न हो सकता है।

    संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सामरिक अभिसरण के लिये उठाए जाने वाले कदम:

    • भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका से रियायतें प्राप्त करने के लिये कूटनीतिक प्रयासों द्वारा समाधान खोजना होगा।
    • आर्थिक और सामरिक हितों की रक्षा: भारत सरकार को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) की सफलता के लिये चाबहार के रणनीतिक महत्त्व और ईरानी कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।
    • द्विपक्षीय कूटनीति को बढ़ाना: भारत को मध्य-पूर्व में अस्थिरता के कारण अपनी सुरक्षा चिंताओं को उजागर करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग करना चाहिये। वर्ष 2019, फ्राँस में संपन्न G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्य हुई बैठक के आधार पर कहा जा सकता है कि मज़बूत नेतृत्त्व देश के राष्ट्रीय हितों को महत्त्व देने में मदद कर सकता है।
    • वैश्विक समर्थन प्राप्त करना: भारत को अफगानिस्तान में पाकिस्तान की गहरी रणनीतिक गहराई को नजरअंदाज नहीं करना चाहिये साथ ही भारत को अफगानिस्तान में अपनी ‘सॉफ्ट-पावर डिप्लोमेसी’ के साथ अफगानिस्तान में अपनी भागीदारी को बढ़ाने के लिये नए रास्तों को खोजने की ज़रूरत है।
      • भारत को अफगानिस्तान में लोकतंत्र के भविष्य और तालिबान के सत्ता में आने के परिणामों पर वैश्विक जनमत जुटाना चाहिये।
      • पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते , भारत को मध्य-पूर्व देशों के साथ द्विपक्षीय रूप से जुड़ना चाहिये एवं अपनी मज़बूत वैश्विक आर्थिक साख का उपयोग करते हुए उन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश करनी चाहिये।

    निष्कर्ष:

    • एक उभरती हुई शक्ति के रूप में भारत स्वयं को दक्षिण एशियाई क्षेत्र तक सीमित नहीं रह सकता है। एक स्थिर एवं उभरता हुआ पड़ोसी देश (ईरान-अफगानिस्तान) न केवल भारतीय व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से भारत के हितों के लिये उचित है, बल्कि भारत को एक महाशक्ति के रूप में तब्दील होने की आकांक्षाओं में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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