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  • 23 Nov 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    नारीवादी नैतिकता से आप क्या समझते हैं? ‘देखभाल की नैतिकता’, ‘न्याय की नैतिकता’ से किस प्रकार भिन्न है? (150 शब्द)

    उत्तर

    दृष्टिकोण:

    • नारीवादी नैतिकता की संक्षिप्त व्याख्या कीजिये।
    • "देखभाल की नैतिकता" और "न्याय की नैतिकता" के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • नारीवादी नैतिकता, पारंपरिक नैतिकता को संशोधित करने सुधारने या पुनर्विचार करने का एक प्रयास है। नारीवादियों ने नैतिकता के लिये लिंग-केंद्रित दृष्टिकोण की एक विस्तृत विविधता को विकसित किया है। कुछ नारीवादी नैतिकतावादी महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर जोर देते हैं, विशेष रूप से उनकी देखभाल से संबंधित मुद्दों पर। इसके विपरीत अन्य नारीवादी नैतिकतावादी राजनीतिक, कानूनी, आर्थिक और वैचारिक कारणों तथा महिलाओं के दूसरे लिंग की स्थिति के प्रभावों पर ज़ोर देते हैं लेकिन दोनों साझा लक्ष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमें महिलाओं से संबंधित लैंगिक नैतिकता का निर्माण करना शामिल है जो एक समूह के लोगों के उत्पीड़न को कम करने के लक्ष्य पर आधारित है।
    • नारीवादी ‘देखभाल की नैतिकता’ के समर्थक कैरोल गिलिगन का मानना है कि पारंपरिक नैतिक सिद्धांत, व्यवहार और नीतियांँ महिलाओं के प्रति इस हद तक प्रतिकूल हैं कि इनमें सांस्कृतिक रूप से जुड़े लोगों की कमी, अनदेखी, तुच्छीकरण या अवमूल्यन या सद्गुणों की कमी इत्यादि को देखा जाता है।

    प्रारूप:

    समय के साथ-साथ नैतिक विचारकों ने दो महान नैतिकताओं के बारे में बात की है: 'न्याय' और 'प्रेम'। जिसमे प्रेम की अवधारणा को 'अच्छाई', 'उपयोगिता' इत्यादि की अवधारणा से बदल दिया जाता है। कैरल गिलिगन का नैतिक सिद्धांत अनिवार्य रूप से ‘महिलाओं की सांप्रदायिक प्रकृति’ पर आधारित है। कैरल गिलिगन के इस सिद्धांत को ‘देखभाल की नैतिकता’ के रूप में विशिष्ट पारंपरिक पुरुष उन्मुख ‘न्याय की नैतिकता’ शीर्षक दिया दिया गया है।

    "देखभाल की नैतिकता" और "न्याय की नैतिकता" के मध्य अंतर:

    • कैरोल गिलिगन द्वारा इस दोनों के मध्य विभेद किया गया था। उनके अनुसार न्याय की नैतिकता के तहत पुरुष तब खुद को दोषी मानते हैं जब उनके द्वारा कुछ गलत किया जाता है। जबकि ‘देखभाल की नैतिकता’ के तहत महिलाएंँ कार्रवाई करने के प्रति अनिच्छुक होती हैं।
    • खुद के प्रति मूल्यांकन की अनिच्छा दूसरे के लिये देखभाल और चिंता का संकेत हो सकती है। इस प्रकार महिलाएंँ केवल देखभाल और चिंता के मामले में स्वयं को परिभाषित नहीं करती हैं जिसके परिणामस्वरूप उनके नैतिक विचार-विमर्श पुरुषों से काफी अलग हो जाते हैं।
    • कैरल के विचार में दोनों प्रणालियों में संबंधों की गुणवत्ता और मात्रा का बहुत महत्त्व है - व्यक्तिगत लक्ष्यों को दूसरों के साथ व्यक्तिगत संबंध स्थापित किये बिना भी प्राप्त किया जा सकता है।
    • न्याय का संबंध किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है, जबकि दूसरों के प्रति संवेदनशीलता, निष्ठा, ज़िम्मेदारी, आत्म बलिदान और शांति आदि सब पारस्परिक सहभागिता को दर्शाते हैं।

    निष्कर्ष:

    नारीवादी नैतिकतावादियों द्वारा विशेष रूप से महिलाओं की समग्र स्थिति में सुधार करने के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण है कि बच्चों, बुजुर्गों, दुर्बल, विकलांग और वंचित अल्पसंख्यकों एवं अन्य कमजोर लोगों के लिये भी लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिये।

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