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अंतरात्मा

  • 18 Feb 2020
  • 6 min read

किसी संस्थान/किसी सिविल सेवक या फिर किसी मनुष्य के समक्ष कार्यस्थल पर कई बार ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं जब उसे नैतिक रूप से सही और गलत के बीच निर्णय लेना होता है। नैतिक मार्गदर्शन के अभाव के कारण इस प्रकार की स्थिति में सिविल सेवक कई बार अपने कर्त्तव्यों एवं दायित्वों का सही ढंग से पालन नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में निर्णय लेने के लिये नैतिक मार्गदर्शन के रूप में कुछ महत्त्वपूर्ण मानक निर्धारित किये गये हैं, इन मानकों में शामिल हैं- कानून, नियमों, विनियमों के अलावा अंतरात्मा/अंतरात्मा की आवाज़ है।

अंतरात्मा/अंतरात्मा की आवाज़:

  • अंतरात्मा मानव मस्तिष्क की एक विशेष क्रिया (बौद्धिक कार्य ) है। यह तब सक्रिय होती है जब बौद्धिकता के आधार पर वस्तुनिष्ठ तथ्यों एवं आँकड़ों का विश्लेषण करते हुए सही और गलत के बीच निर्णय लिया जाता है।
  • अंतरात्मा का संबंध भावना से नहीं है, अर्थात् यह सुख, उदासी, प्रेम, उत्साह इत्यादि से संबंधित नहीं है।
  • सामान्यतः अंतरात्मा की क्रिया तब संपन्न होती है जब बौद्धिकता लगभग अपना आवेग (Impulse) समाप्त कर देती है।
  • अंतरात्मा विधि से भिन्न है। विधि,जहाँ क्रियाकलापों से संबंधित सामान्य नियम प्रस्तुत करती है, वहीं अंतरात्मा किसी विशेष कार्य पर विधि या नियमों को लागू करती है, इस प्रकार इन अर्थों में यह विधि से व्यापक है।
  • अंतरात्मा का ज्ञान वास्तविक होता है तथा उसके अनुभव इंद्रियातीत एवं सुझाव सर्वहितकारी होते हैं।
  • यह किसी विशेष कार्य के लिये व्यावहारिक नियम प्रस्तुत करती है।
  • निर्णय निर्माण के दौरान कानून, नियम-विनियम नैतिक मार्गदर्शन के रूप में कार्य करते हैं परंतु कभी-कभी ऐसी परिस्थितियाँ विद्यमान होती हैं जहाँ निर्णय निर्माण के दौरान इनकी सीमा निर्धारित होती है, उस स्थिति में नैतिक मार्गदर्शन के आंतरिक पक्ष यानी अंतरात्मा की आवाज़ द्वारा निर्णय लिया जाता है।

अंतरात्मा के प्रकार:

मनुष्य के निर्णय लेने के आधार पर अंतरात्मा के विभिन्न प्रकार हो सकते है-

  • सत्य अंतरात्मा (True Conscience)-
    इसका तात्पर्य है कि कोई भी नैतिक निर्णय तथ्यों के आधार पर लिया गया है तथा निर्णय लेने के दौरान सही एवं उचित कार्यवाही की गई है।
  • नियत अंतरात्मा (Certain Conscience)-
    इसका तात्पर्य है कि कार्यवाही के दौरान अंतरात्मा द्वारा लिया गया नैतिक निर्णय त्रुटि/भय से मुक्त है।
  • संदेहास्पद अंतरात्मा ( Doubtful Conscience)-
    इसका तात्पर्य है कि अंतरात्मा द्वारा लिया गया नैतिक निर्णय संदेह से युक्त है।
  • संभाव्य अंतरात्मा (Probable Conscience)-
    इसका तात्पर्य है कि जब एक सामान्य व्यक्ति इस बारे में लगभग निश्चित रहता है कि अंतरात्मा द्वारा लिया गया नैतिक निर्णय सही है, हालाँकि यह त्रुटिपूर्ण भी हो सकता है।

प्रशासन/कार्यस्थल पर अंतरात्मा का प्रयोग:

  • किसी संगठन/प्रशासन में कार्य के दौरान उत्पन्न नैतिक दुविधा के समाधान के लिये सिविल सेवक द्वारा अंतरात्मा का प्रयोग किया जाता है। कोई लोक सेवक अंतरात्मा की आवाज़ के आधार पर कार्य करते हुए लोक प्रशासन में सच्चरित्रता, सत्यनिष्ठता, निष्पक्षता और योग्यता के साथ अपने कार्यों का संचालन कर सकता है।
  • जब एक सिविल सेवक के समक्ष किसी समस्या के संदर्भ में निर्णय-निर्माण करते समय कई विकल्प उपलब्ध हों तो अंतरात्मा की आवाज़ द्वारा मौजूदा विकल्पों में से सबसे बेहतर एवं सही विकल्प का चुनाव किया जा सकता है।
  • किसी सिविल सेवक द्वारा ऐसा क्यों किया जाना चाहिये? किस कीमत पर किया जाना चाहिये? क्या ऐसा करने से उसे आंतरिक शांति या अपने द्वारा किये गए कार्य से संतुष्टि प्राप्त होगी? इन सभी प्रश्नों के जवाब अंतरात्मा की आवाज़ द्वारा ही प्राप्त किये जा सकते हैं।

निष्कर्ष:

लोकहित के कार्य करने के लिये या फिर किसी सिविल सेवक द्वारा अपने कर्त्तव्यों का बेहतर एवं निष्पक्षपूर्ण निर्वहन करने में अंतरात्मा की आवाज़ का अत्यधिक महत्त्व देखने को मिलता है। यह मनुष्य का एक विशेष व्यवहार है जो जनहित के कार्य में किसी सिविल सेवक को निर्णय या न्याय करने हेतु व्यावराहिक प्रतिरूपों से जोड़ने का कार्य करता है। अत: अंतरात्मा की आवाज़ द्वारा सही एवं गलत मानवीय क्रियाकलापों के आधार पर नैतिकता का निर्धारण किया जाता है।

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