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जैव विविधता और पर्यावरण

बैड ओज़ोन

  • 19 Jun 2020
  • 6 min read

भूमिका

  • ओज़ोन (O3) ऑक्सीजन के तीन अणुओं से मिलकर बनने वाली एक रंगहीन एवं क्रियाशील ऑक्सीकारक गैस है। पृथ्वी के वायुमंडल में ओज़ोन की उपस्थिति प्राकृतिक एवं मानवीय दोनों कारणों से होती है। यह समतापमंडल एवं क्षोभमंडल में पाई जाती है।
  • समतापमंडल में पाई जाने वाली ओज़ोन परत मानवीय जीवन के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरण को रोकती है, इसे गुड ओज़ोन (Good Ozone) कहते हैं।

क्या है बैड ओज़ोन?

  • निचले वायुमंडल अर्थात् क्षोभमंडल में ओज़ोन की उपस्थिति प्रदूषक का कार्य करती है। वस्तुत: क्षोभमंडल में पाई जाने वाली ओज़ोन एक मुख्य प्रदूषक है, जो पर्यावरण एवं मानव दोनों के लिये हानिकारक है, फलस्वरूप इसे बैड ओज़ोन (Bad Ozone) कहते हैं। अत: क्षोभमंडल में मिलने वाली ग्राउंड लेवल ओज़ोन ही बैड ओज़ोन कहलाती है।
  • बैड ओज़ोन प्राकृतिक एवं मानवीय दोनों ही कारणों से बनती है।

Bad-Ozone

बैड ओज़ोन का कारण?

  • ध्यातव्य है कि क्षोभमंडल में ओज़ोन को सीधे उत्सर्जित नहीं किया जाता बल्कि इसका निर्माण रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा होता है। वस्तुत: नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx) तथा वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC) के बीच रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा इसका निर्माण होता है।
  • कार, बिजली संयंत्र, औद्योगिक वॉयलर, रिफाइनरी, रासायनिक संयंत्र एवं अन्य स्रोतों से उत्सर्जित ओज़ोन के अग्रदूत प्रदूषक (मुख्यत: NOx व VOCs) सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में रासायनिक अभिक्रिया द्वारा ओज़ोन का निर्माण करते हैं।
  • क्षोभमंडल में यह धुएँ के मुख्य अवयव के रूप में पाई जाती है।
  • क्षोभमंडल में ओज़ोन की उपस्थिति को कई कारक प्रभावित करते हैं, यथा- सूर्य का प्रकाश, हवा की गति एवं दिशा, दिन का समय, वाहन परिचालन प्रतिरूप आदि।
  • क्षोभमंडल में ओज़ोन की सांद्रता और विकिरण की तीव्रता NOx और VOCs की पूर्ण सांद्रता तथा अनुपात से प्रभावित होती है।
  • ओज़ोन अग्रदूत उत्सर्जकों के स्रोत से सैकड़ों किलोमीटर दूर भी सूर्य के प्रकाश के प्रभाव में NOx व VOCs की प्रतिक्रिया से ग्राउंड लेवल ओज़ोन बन सकती है।
    • क्योंकि बैड ओज़ोन वायु के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरीय होती है। इसलिये निर्माण स्रोत से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी कभी-कभी इसकी अधिक सांद्रता देखी जाती है।
  • अनॉक्सीकारक जैविक प्रक्रियाएँ, विद्युत चमक, ज्वालामुखी प्रक्रियाएँ, वायुमंडल में NOx के प्रमुख प्राकृतिक योगदानकर्त्ता हैं, कभी-कभी तो NOx के उत्सर्जन में इनका योगदान 95% तक पाया जाता है।
  • मानव जनित स्रोतों में मोटर वाहन O3 अग्रदूत उत्सर्जन के मुख्य स्रोत हैं (VOCs)। इसके अन्य स्रोत रसायन एवं पेट्रोलियम उद्योग प्रमुख हैं।
  • गर्मी के मौसम में सौर प्रकाश की अधिकता एवं आर्द्रता के कारण O3 की सांद्रता में वृद्धि होती है, जिससे हवा अधिक प्रदूषित हो जाती है।
  • वस्तुतः क्षोभमंडल में O3 की अधिकतम सांद्रता दोपहर के समय देखी जाती है।

बैड ओज़ोन का मानव एवं पर्यावरण पर प्रभाव:

ओज़ोन मानव एवं पर्यावरण दोनों के लिये हानिकारक प्रभाव प्रदर्शित करती है-

  • सतही ओज़ोन फसलों और वनों दोनों के लिये हानिकारक है, इससे फसलों एवं वाणिज्यिक वनों की उपज में कमी आती है साथ ही पौधों की वृद्धि तथा विकास दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • इसके अलावा मानव स्वास्थ्य पर इसके अत्यधिक दुष्प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं, यथा- गले में खरास, कफ बनना तथा साँस लेने में समस्या आदि।
    • ब्रोक्टिस, एम्फीसीमिया, अस्थमा आदि रोग और अधिक घातक हो सकते हैं।
    • फेफड़ों की कार्यविधि प्रभावित होती है, जिससे सांस लेने में समस्या हो सकती है। ओज़ोन की लंबे समय तक निचले वायुमंडल में उपस्थिति फेफड़ों के ऊतकों को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर सकती है।

ओज़ोन प्रदूषण की रोकथाम हेतु सरकार द्वारा उठाए कुछ कदम

  • BS IV मानक के वाहनों को BS VI मानक के वाहनों से प्रतिस्थापित करना।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत करना।
  • विभिन्न ताप विद्युत संयंत्रों को बंद किया गया है, यथा दिल्ली के बदरपुर ताप विद्युत संयंत्र को बंद कर दिया गया है।
  • वायु गुणवत्ता की निगरानी हेतु लगभग सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में नेटवर्क की स्थापना की गई है।
  • फसल अवशेषों के जलाए जाने पर रोक लगाई गई है।
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