दृष्टि के NCERT कोर्स के साथ करें UPSC की तैयारी और जानें

State PCS Current Affairs



उत्तर प्रदेश

बटागुर कछुआ

  • 24 May 2022
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

23 मई, 2022 को विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर टर्टल सर्वाइवल एलायंस (टीएसए) के प्रोजेक्ट ऑफिसर पवन पारीक ने बताया कि दुनिया में विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके बटागुर कछुओं की संख्या बढ़कर 500 हो गई है।

प्रमुख बिंदु

  • पारीक ने बताया कि बटागुर कछुओं में साल और ढोर प्रजाति शामिल हैं। दोनों ही प्रजाति के कछुए चंबल नदी में पाए जाते हैं।
  • गौरतलब है कि चंबल नदी में कछुओं की आठ प्रजातियाँ संरक्षित हो रही हैं, जिनमें साल, ढोर, सुंदरी, मोरपंखी, कटहवा, भूतकाथा, स्योत्तर, पचेड़ा शामिल हैं।
  • वर्ष 2008 में टर्टल सर्वाइवल एलायंस ने चंबल में कछुओं के संरक्षण पर काम शुरू किया था। टर्टल सर्वाइवल एलायंस की टीम इटावा और बाह रेंज से नेस्टिंग सीजन में अंडों को एकत्रित कर गढ़ायता कछुआ संरक्षण केंद्र में रखती है। तत्पश्चात् दोनों रेंज के जिन घाटों से अंडे एकत्रित किये जाते हैं, वहीं कछुए छोड़ दिये जाते हैं। पारीक के अनुसार इस साल 311 नेस्ट हैचरी में थे।
  • बटागुर कछुओं की आबादी में तेज़ गिरावट बाढ़, नदी किनारे पर कछवारी, चोरी-छिपे होने वाले खनन और मछली पकड़ने को डाले गए जाल में फँसने से होने वाली मृत्यु तथा मांस और शक्तिवर्धक दवाओं के लिये होने वाली तस्करी आदि के कारण हुई है।
  • इसे आईयूसीएन की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Critically Endangered) श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
close
Share Page
images-2
images-2