प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 10 जून से शुरू :   संपर्क करें
ध्यान दें:

Sambhav-2024

  • 24 Feb 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस 84

    प्रश्न 1. औद्योगिक क्षेत्र भारत में बुनियादी ढाँचे के विकास को कैसे प्रभावित करता है? उदाहरण सहित चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • भारत में औद्योगिक क्षेत्र के बुनियादी ढाँचे के विकास पर प्रभाव की चर्चा कीजिये।
    • साथ ही भारत के संदर्भ में इसे उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    भारत में बुनियादी ढाँचे के विकास में औद्योगिक क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे न केवल आर्थिक विकास को गति मिलती है बल्कि मज़बूत बुनियादी ढाँचे हेतु आवश्यक मांग भी सृजित होती है। औद्योगिक क्षेत्र और बुनियादी ढाँचे के विकास के बीच परस्पर संबंध होने के साथ यह एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।

    मुख्य भाग:

    बुनियादी ढाँचे के विकास पर औद्योगिक क्षेत्र का प्रभाव:

    • मांग बढ़ना:
      • उद्योग (विशेष रूप से भारी उद्योग) से विद्युत, परिवहन एवं संचार जैसे बुनियादी ढाँचे की मांग उत्पन्न होती है।
      • उदाहरण: इस्पात उद्योग के लिये कच्चे माल एवं तैयार माल हेतु मज़बूत परिवहन नेटवर्क की आवश्यकता होती है।
    • आर्थिक विकास:
      • औद्योगिक विकास से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है, जिससे बुनियादी ढाँचे में निवेश बढ़ता है।
      • उदाहरण: विनिर्माण उद्योगों की वृद्धि से दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे जैसे औद्योगिक गलियारों का विकास हुआ है, जिससे इन मार्गों पर बुनियादी ढाँचे के विकास में तेज़ी आई है।
    • रोज़गार सृजन:
      • उद्योगों से रोज़गार सृजन होता है, जिससे प्रवासन एवं शहरीकरण को बढ़ावा मिलने से बेहतर शहरी बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है।
      • उदाहरण: बेंगलुरु में आईटी उद्योग में उछाल के कारण यहाँ जनसंख्या में वृद्धि होने से इस शहर के बुनियादी ढाँचे में सुधार की आवश्यकता हुई।
    • प्रौद्योगिकी और नवाचार:
      • उद्योगों से तकनीकी प्रगति होने के साथ नई प्रौद्योगिकियों का समर्थन करने के लिये बुनियादी ढाँचे के उन्नयन की आवश्यकता होती है।
      • उदाहरण: इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के लिये चार्जिंग स्टेशनों हेतु बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है, जिसका असर विद्युत क्षेत्र पर पड़ता है।
    • संसाधन प्रयोग:
      • उद्योगों को अक्सर जल और ऊर्जा जैसे विशिष्ट संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिससे संसाधन प्रबंधन हेतु बुनियादी ढाँचे का विकास होता है।
      • उदाहरण: कपड़ा उद्योग में पर्याप्त जल आपूर्ति की आवश्यकता होती है, जिससे जल प्रबंधन संबंधी बुनियादी ढाँचे में निवेश को प्रोत्साहन मिलता है।
    • निर्यात और व्यापार:
      • उद्योगों से निर्यात में योगदान मिलने से बंदरगाहों, हवाई अड्डों एवं व्यापार से संबंधित बुनियादी ढाँचे के विकास की आवश्यकता होती है।
      • उदाहरण: फार्मास्युटिकल उद्योग की वृद्धि से फार्मास्युटिकल उत्पादों के निर्यात हेतु बंदरगाहों का विकास हुआ है।
    • शहरीकरण और आवास:
      • औद्योगीकरण से शहरीकरण को बढ़ावा मिलने से आवास, जल आपूर्ति एवं स्वच्छता हेतु बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है।
      • उदाहरण: ऑटोमोबाइल विनिर्माण की वृद्धि से पुणे जैसे विनिर्माण केंद्रों के आस-पास आवास एवं शहरी बुनियादी ढाँचे का विकास हुआ है।

    निष्कर्ष:

    औद्योगिक क्षेत्र एवं बुनियादी ढाँचे का विकास परस्पर संबंधित है और यह एक-दूसरे की वृद्धि तथा विकास को प्रेरित करते हैं। सतत एवं समावेशी विकास हेतु यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि औद्योगिक विकास को मज़बूत तथा कुशल बुनियादी ढांचे द्वारा समर्थित किया जाए।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2