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Sambhav-2024

  • 12 Feb 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस 73

    Q1. भारत में जलवायु-स्मार्ट कृषि से संबंधित लाभों एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। देश में जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने हेतु कौन से उपाय किये जा सकते हैं? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जलवायु-स्मार्ट कृषि का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • भारत में जलवायु-स्मार्ट कृषि से संबंधित लाभों एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • देश में जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियों को बढ़ाने के लिये उपाय बताइये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    जलवायु-कुशल या जलवायु-स्मार्ट कृषि (Climate-Smart Agriculture) एक दृष्टिकोण है जो कृषि-खाद्य प्रणालियों को हरित एवं जलवायु प्रत्यास्थी अभ्यासों में बदलने के लिये कार्रवाइयों को निर्देशित करने में मदद करती है। यह सतत् विकास लक्ष्य (SDGs) और पेरिस समझौते जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत लक्ष्यों तक पहुँचने का समर्थन करती है।

    मुख्य भाग:

    भारत में जलवायु स्मार्ट कृषि के प्रमुख लाभ:

    • उत्पादकता में वृद्धि: मृदा की उर्वरता, जल प्रतिधारण क्षमता एवं पोषक चक्रण को बढ़ाकर CSA से बदलती जलवायु परिस्थितियों में भी कृषि उत्पादकता को बढ़ावा मिल सकता है।
      • उर्वरक प्रबंधन हेतु नो-टिलेज उपागम सहायक है, जिससे उपज एवं पोषक तत्त्व उपयोग दक्षता को बढ़ावा मिल सकता है।
    • GHG उत्सर्जन में कमी: कृषि क्षेत्र से बड़ी मात्रा में GHG का उत्सर्जन होता है। वर्ष 2018 में GHG उत्सर्जन में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 17% थी। इस परिदृश्य में GHG उत्सर्जन को कम करने और जैवविविधता की रक्षा करने के लिये CSA का कार्यान्वयन महत्त्वपूर्ण है।
      • सीएसए को सफलतापूर्वक अपनाने से पेरिस समझौते के तहत GHG को कम करके ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
    • बाज़ार की माँगों के अनुरूप अनुकूलन: पर्यावरण के अनुकूल और सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार खाद्य उत्पादों हेतु उपभोक्ता प्राथमिकताओं को पूरा करने से किसानों के लिये नए बाज़ार के अवसर खुल सकते हैं।
    • छोटे और सीमांत किसानों के लिये सहायता: अधिकांश भारतीय किसान छोटे या सीमांत किसान हैं। इस परिदृश्य में उनके लाभ की वृद्धि करने में CSA महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
    • जैवविविधता संरक्षण: CSA का पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित दृष्टिकोण और विभिन्न फसल किस्में फसल भूमि एवं वन क्षेत्रों को एक साथ सह-अस्तित्व में रखने में मदद करती हैं। यह सहयोगात्मक प्रयास देशी पौध प्रजातियों को सुरक्षित रखने, परागणकों की आबादी को स्थिर बनाये रखने और पर्यावास क्षरण के प्रभावों को कम करने में मदद करता है।
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना: CSA फसल विविधीकरण को बढ़ावा देती है, जल दक्षता बढ़ाती है और सूखा-प्रतिरोधी फसल प्रकारों को एकीकृत करती है-जो जलवायु परिवर्तन के विघटनकारी प्रभावों को कम करने में मदद करती हैं।
      • CSA जलवायु संबंधी खतरों और असंतुलन के जोखिम को कम कर लघु मौसम अवधि एवं अनियमित मौसम पैटर्न जैसे दीर्घकालिक तनावों का सामना करने में प्रत्यास्थता को बढ़ाती है।

    भारत में जलवायु-स्मार्ट कृषि से संबंधित चुनौतियाँ:

    • जागरूकता और ज्ञान की कमी: नई कृषि पद्धतियों को अपनाने में यह एक आम चुनौती है। किसानों और विस्तार कार्यकर्त्ताओं (extension workers) के बीच CSA के लाभों या इन अभ्यासों को प्रभावी ढंग से लागू करने के तरीके के बारे में जानकारी की कमी हो सकती है।
    • वित्त, बीमा और बाज़ार तक सीमित पहुँच: किसानों के लिये CSA से जुड़ी नई तकनीकों एवं अभ्यासों में निवेश कर सकने के लिये वित्तपोषण महत्त्वपूर्ण है। वित्त, बीमा और बाज़ार तक पहुँच की कमी CSA को अपनाने में बाधक सिद्ध हो सकती है।
    • अपर्याप्त अवसंरचना और संस्थागत समर्थन: CSA की सफलता सहायक अवसंरचना और संस्थानों पर निर्भर करती है। इसमें सिंचाई प्रणालियाँ, भंडारण सुविधाएँ और विभिन्न संगठन शामिल हैं जो सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
    • नीति और नियामक बाधाएँ: जो नीतियाँ CSA का समर्थन या प्रोत्साहन नहीं करतीं, वे एक बड़ी बाधा सिद्ध हो सकती हैं। नियामक बाधाएँ भी CSA अभ्यासों के विस्तार की गति को मंद कर सकती हैं।

    जलवायु-स्मार्ट कृषि को बेहतर ढंग से अपनाने के लिये उपाय:

    • क्षमता निर्माण और जागरूकता: प्रशिक्षण, प्रदर्शन, किसानों का परस्पर संपर्क और मास मीडिया के माध्यम से CSA के सिद्धांतों एवं अभ्यासों पर किसानों तथा विस्तार कार्यकर्त्ताओं की क्षमता व जागरूकता की वृद्धि करना।
    • वित्तीय और तकनीकी सहायता: CSA प्रौद्योगिकियों और नवाचारों को अपनाने के लिये किसानों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता (जैसे- सब्सिडी, ऋण, बीमा, बाज़ार लिंकेज तथा डिजिटल प्लेटफॉर्म) प्रदान करना।
    • नीतिगत और संस्थागत सुदृढ़ीकरण: CSA को बढ़ावा देने और इसके स्तर को बढ़ाने के लिये नीतिगत एवं संस्थागत ढाँचे को सुदृढ़ करना, जैसे- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय तथा राज्य कार्य-योजनाओं में CSA को एकीकृत करना, एक समर्पित CSA फंड का सृजन करना व CSA समन्वय समिति की स्थापना करना।
    • हाशिये पर स्थित समूहों को भागीदारी के लिये प्रोत्साहित करना: CSA योजना-निर्माण एवं कार्यान्वयन में महिलाओं और हाशिये पर स्थित समूहों की भागीदारी तथा सशक्तीकरण को प्रोत्साहित करना, जैसे कि CSA समितियों में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना, उन्हें संसाधनों व अवसरों तक समान पहुँच प्रदान करना और उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं को संबोधित करना।
    • नवाचार और सहकार्यता का समर्थन: संदर्भ-विशिष्ट एवं मांग-प्रेरित CSA समाधानों को विकसित करने और प्रसारित करने के लिये विभिन्न अभिकर्त्ताओं तथा क्षेत्रों के बीच नवाचार व सहकार्यता को बढ़ावा देना, जैसे कि भागीदारीपूर्ण अनुसंधान में किसानों को शामिल करना, सार्वजनिक-निजी भागीदारी का सृजन करना और बहु-हितधारक मंचों की सुविधा प्रदान करना।

    निष्कर्ष:

    जलवायु-स्मार्ट कृषि (CSA) में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, किसानों को सशक्त बनाने तथा नवाचार, लचीलापन एवं स्थिरता को बढ़ाकर हमारे संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने की क्षमता है। जलवायु परिवर्तन के आलोक में CSA पहल एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के क्रम में विश्व के लिये प्रेरणा और परिवर्तन के स्रोत के रूप में सामने आई है।

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