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18 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 6
उत्तर प्रदेश स्पेशल
दिवस- 39: जल संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता में आर्द्रभूमि महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उत्तर प्रदेश की प्रमुख आर्द्रभूमियों का उल्लेख कीजिये। (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण :
- आर्द्रभूमि के महत्त्व के वर्णन के साथ उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- उत्तर प्रदेश की प्रमुख आर्द्रभूमियों पर चर्चा करें।
- तदनुसार निष्कर्ष निकालें।
परिचय:
आर्द्रभूमि को स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच संक्रमणकालीन भूमि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जहाँ जल स्तर आमतौर पर सतह पर या उसके निकट होता है या भूमि उथले पानी से ढकी होती है।
मुख्य भाग:
पर्यावरण और जल संरक्षण में आर्द्रभूमि का महत्त्व:
- आर्द्रभूमि अत्यधिक उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्र हैं, जो विश्व को लगभग दो-तिहाई मत्स्य पालन प्रदान करते हैं।
- जलग्रहण क्षेत्र की पारिस्थितिकी में आर्द्रभूमि एक अभिन्न भूमिका निभाती है। उथले पानी और पोषक तत्त्वों के उच्च स्तर का संयोजन उन जीवों के विकास के लिये आदर्श है जो खाद्य जाल का आधार बनते हैं तथा मछलियों, उभयचरों, शंख और कीड़ों की कई प्रजातियों को खिलाते हैं।
- आर्द्रभूमियाँ कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में वायुमंडल में उत्सर्जित करने की बजाय उसे अपने वनस्पति समुदायों और मिट्टी में संग्रहित कर लेती हैं।
- आर्द्रभूमि वनस्पति बाढ़ के पानी की गति को धीमा कर देती है, बाढ़ की ऊँचाई और मृदा अपरदन को कम करती है।
- आर्द्रभूमि भोजन, कच्चे माल और दवाओं के लिये आनुवंशिक संसाधनों का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
- कई आर्द्रभूमियाँ प्राकृतिक सौंदर्य के क्षेत्र हैं, जो पर्यटन को बढ़ावा देती हैं।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख आर्द्रभूमियाँ:
- अपर गंगा रिवर (बृजघाट से नरौरा तक): यह नदी IUCN रेड लिस्टेड गंगा नदी डॉल्फिन, घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुए और पक्षियों की सौ से अधिक प्रजातियों के लिये आवास प्रदान करती है। प्रमुख पौधों की प्रजातियाँ, जिनमें से कुछ उच्च औषधीय गुणों वाली हैं, में डालबर्गिया सिस्सू, सरका इंडिका आदि शामिल हैं।
- नवाबगंज अभयारण्य: यह उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में स्थित है। यह अभयारण्य गर्गनी टील, मैलार्ड आदि जैसे प्रवासी पक्षियों के लिये सर्दियों का निवास स्थान बन जाता है।
- सांडी पक्षी अभयारण्य: यह हरदोई ज़िले में मीठे पानी का दलदल है। यह हरदोई ज़िले में स्थित मीठे पानी का दलदल है। वर्ष 2018 में 40,000 से अधिक जलपक्षियों का सर्वेक्षण किया गया, यह स्थान जलीय पौधों से समृद्ध जलपक्षियों के लिये एक प्राकृतिक आवास है।
- समसपुर पक्षी अभ्यारण्य: यह रायबरेली ज़िले में स्थित है। यहाँ आने वाले प्रवासी पक्षियों में ग्रेलेग गूज, पिंटेल आदि शामिल हैं।
- समन पक्षी अभयारण्य: यह उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले में है। यह गंगा के बाढ़ के मैदान पर एक मौसमी ऑक्सबो झील है। यह अभयारण्य नियमित रूप से 50,000 से अधिक जलपक्षियों को शरण प्रदान करता है तथा ग्रेलैग गूज सहित कई प्रवासी पक्षियों के लिये सर्दियों के निवास स्थल के रूप में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य: यह दो ऑक्सबो झीलों से युक्त एक स्थायी मीठे पानी का वातावरण है। यह भारत की कुछ संकटग्रस्त गिद्ध प्रजातियों के लिये एक शरणस्थल है: गंभीर रूप से लुप्तप्राय सफेद-पंख वाले गिद्ध और भारतीय गिद्ध और लुप्तप्राय मिस्र के गिद्ध सभी को दर्ज किया गया है।
- सरसई नवार झील: यह उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले में एक स्थायी झील है। इस झील का एक प्रमुख पक्षी संकटग्रस्त सारस क्रेन है। अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों में गंभीर रूप से लुप्तप्राय सफेद पूँछ वाला गिद्ध शामिल है।
- सूर सरोवर: इसे कीठम झील के नाम से भी जाना जाता है। यह एक मानव निर्मित जलाशय है; मूल रूप से गर्मियों में आगरा शहर को पानी की आपूर्ति हेतु बनाया गया, यह आर्द्रभूमि जल्द ही एक महत्त्वपूर्ण और समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र बन गई। यह स्थल उन पक्षी प्रजातियों के लिये महत्त्वपूर्ण है जो मध्य एशियाई फ्लाईवे पर प्रवास करते हैं।
- हैदरपुर वेटलैंड: यह उत्तर प्रदेश में हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य के भीतर बिजनौर गंगा बैराज के पास स्थित है।
- बखिरा वन्यजीव अभ्यारण्य: संत कबीर नगर ज़िले में स्थित यह मीठे पानी की झील है। यह अभ्यारण्य पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा प्राकृतिक रूप से बाढ़ से निर्मित मैदान है। इस अभ्यारण्य की स्थापना वर्ष 1980 में हुई थी, यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972) के तहत संरक्षित है।
निष्कर्ष:
सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये आर्द्रभूमि का संरक्षण महत्त्वपूर्ण है। इसलिये इसके प्रबंधन को राज्य की विकास योजनाओं के साथ एकीकृत किया जाना चाहिये।