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UP PCS Mains-2024

  • 17 Apr 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 6 उत्तर प्रदेश स्पेशल

    दिवस- 38: जलवायु परिवर्तन से उत्तर प्रदेश की संवेदनशीलता में कैसे वृद्धि होती है? इससे निपटने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं (125 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए से उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन के प्रति कितना संवेदनशील है, समझाइये।
    • इससे निपटने के उपाय सुझाएँ।
    • SDG लक्ष्य 13 के साथ उत्तर को समाप्त कीजिये।

    परिचय:

    जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य तापमान और मौसम के प्रारूप में दीर्घकालिक बदलाव से है। ये बदलाव प्राकृतिक हो सकते हैं, लेकिन 1800 के दशक (औद्योगीकरण के बाद) से, मानवीय गतिविधियाँ जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण रही हैं, मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (जैसे कोयला, तेल और गैस), जो गर्मी को रोकने वाली गैसें उत्पन्न करते हैं।

    जलवायु परिवर्तन उत्तर प्रदेश को कृषि उत्पादकता को कम करने से लेकर बाढ़ के प्रति इसकी संवेदनशीलता को बढ़ाने तक कई तरह से प्रभावित कर रहा है। राज्य में कृषि की जलवायु संवेदनशीलता बहुत अधिक है और उच्च स्तर की गरीबी, बाढ़, ऊष्ण लहरों और शीत लहरों के साथ तेज़ी से शहरीकरण इसे भारत के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक बनाता है।

    मुख्य भाग:

    उत्तर प्रदेश और जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता

    • अनुमान के अनुसार, वर्ष 2050 के दशक में वार्षिक वर्षा में 15% से 20% की वृद्धि होने का अनुमान है। इस अवधि के दौरान अधिकतम तापमान में 1.8 डिग्री सेल्सियस से 2.1 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि का भी अनुमान है।
    • बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के सभी ज़िले जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कृषि क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान है। औद्योगिक युग के दौरान मीथेन का स्तर पहले ही 2.5 गुना बढ़ चुका है। मीथेन का मुख्य स्रोत कृषि क्षेत्र (खासतौर पर डूबे हुए चावल के खेत और मवेशियों की बढ़ती जनसंख्या) है।
    • जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील माना गया है, क्योंकि फसल उत्पादन और जलीय कृषि को तापमान में वृद्धि, बाढ़ और सूखे की बढ़ती आवृत्तियों और जैविक तनावों से खतरा होगा।
    • उच्च तापमान से कार्बनिक पदार्थों की प्राकृतिक अपघटन प्रक्रिया में तेज़ी आने की संभावना है, तथा अन्य मृदा गतिविधियों की दर में भी वृद्धि होने की संभावना है, जो मृदा की उर्वरता और उत्पादकता को प्रभावित करती हैं।
    • गर्मी के मौसम में गर्मी के कारण तनाव का असर मानव और पशु उत्पादकता पर भी पड़ता है। गर्मी के कारण अधिकांश पशु प्रजातियों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। उदाहरण के लिये, हाल ही में उत्तर प्रदेश में हीटवेव के कारण हुई मौतें।
    • भारत में गरीबों की सबसे बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश में रहती है जिससे जलवायु परिवर्तन से उन पर दबाव पड़ता है।
    • राज्य के कुछ हिस्सों में कम बारिश के कारण सूखे की स्थिति बनी हुई है। बुंदेलखंड और मिर्जापुर तथा इलाहाबाद का कुछ हिस्सा सबसे अधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र है।
    • हिमालय की तलहटी में जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक वर्षा और नेपाल से निकलने वाली नदियों के अंतर्देशीय प्रवाह के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश और तराई क्षेत्र में बाढ़ आती है। अनुमान है कि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 30.45% हिस्सा बाढ़ प्रवण है।

    उपचारात्मक उपाय:

    • उत्तर प्रदेश के किसानों को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की कृषि मौसम परामर्श सेवाओं के तहत समय पर मौसम का पूर्वानुमान मिलेगा, जिसका उद्देश्य उन्हें बारिश और ओलावृष्टि, जो उपज को भारी नुकसान पहुँचाते हैं, सहित अचानक चरम मौसम की स्थिति से अपनी फसलों को बचाने में मदद प्रदान करना है।
    • जलवायु-स्मार्ट ग्राम:
      • यह उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन प्राधिकरण की पहल है। इसके अंतर्गत किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीली प्रजातियाँ उगाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
      • जलवायु-स्मार्ट ग्रामों में कार्बन अवशोषण, जल संरक्षण, ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान और बेहतर उपज के लिये फसल की किस्म में बदलाव से संबंधित अनेक सुविधाएँ होंगी।
      • स्थानीय स्तर पर जलवायु पूर्वानुमान के अतिरक्त, जलाभाव की स्थिति में उपज को अप्रभावित रखने हेतु किसानों को जल कुशल फसलों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
    • राज्य ने सतत् विकास लक्ष्य 2030 के अनुरूप उत्तर प्रदेश ‘राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (SAPCC)’ को संशोधित कर कार्यान्वित किया है। UPSAPCC इसके क्रियान्वयन के लिये कमियों की पहचान के साथ वित्तीय संसाधनों का प्रतिचित्रण करता है और साथ ही इसका समय पर और प्रभावी क्रियान्वयन किये जाने के उद्देश्य से एक सुव्यवस्थित रूप से एकीकृत निगरानी और मूल्यांकन ढाँचा तैयार करता है।
    • उत्तर प्रदेश ने जलवायु अनुकूलन और लचीलेपन के स्थानीयकरण के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिये, सरकार ने राज्य में स्थानीय जलवायु क्रियाकलापों को बढ़ाने के लिये पंचायतों का सम्मेलन आयोजित किया है।
    • उत्तर प्रदेश ने ग्राम पंचायत विकास योजनाओं के माध्यम से स्थानीय नियोजन प्रक्रिया में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और लचीलेपन को मुख्यधारा में लाने और एकीकृत करने के लिये 58000 ग्राम पंचायतों की क्षमता निर्माण की कार्ययोजना तैयार की है।
    • जलवायु परिवर्तन के लिये अत्याधुनिक युक्तिपूर्ण ज्ञान केंद्र स्थापित किये जाने हेतु लखनऊ में जलवायु परिवर्तन ज्ञान केंद्र की स्थापना की जा रही है।
    • राज्य ने वर्ष 2022 में नई सौर नीति अधिसूचित की जिसका लक्ष्य वर्ष 2027 तक 22 गीगावाट सौर क्षमता लक्ष्य प्राप्त करना है। इसके अतिरिक्त, इसका लक्ष्य राज्य के 17 नगर निगमों को सौर ऊर्जा युक्त बनाना है।

    निष्कर्ष:

    उपर्युक्त उपायों के अतिरिक्त, हमें जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों का शमन करने हेतु जलभृतों का पुनः भरण करने, वर्षा जल संचयन करने, वनरोपण को बढ़ावा देने आदि जैसी प्रथाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। (सतत् विकास लक्ष्य 13- SDG 13)।

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