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UP PCS Mains-2024

  • 19 Apr 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 6 उत्तर प्रदेश स्पेशल

    दिवस- 40: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिये क्या प्रयास किये हैं? इससे संबंधित मुद्दों का भी उल्लेख कीजिये। (125 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उत्तर प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की स्थिति को संक्षेप में समझाइये।
    • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उन्नति के लिये उत्तर प्रदेश द्वारा किये गए प्रयासों पर चर्चा कीजिये।
    • इसमें शामिल मुद्दों पर प्रकाश डालिये।
    • आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय:

    विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश (U.P.) की विरासत बहुत समृद्ध है। जौनपुर में जन्मे लालजी सिंह, जिन्हें “भारतीय DNA फिंगरप्रिंटिंग के जनक” के रूप में जाना जाता है, से लेकर मुज़फ्फरनगर में जन्मे ब्रह्मा सिंह, जो एक महान भारतीय बागवानी वैज्ञानिक हैं, वैज्ञानिक प्रगति में राज्य का योगदान महत्त्वपूर्ण है।

    विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश (CST, U.P.) की स्थापना 1 मई 1975 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विज्ञान एवं पर्यावरण विभाग के अधीन की गई थी। CST, U.P. को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत निकाय के रूप में स्वायत्त दर्जा दिया गया था।

    मुख्य भाग:

    विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उन्नति के लिये उत्तर प्रदेश द्वारा किये गए निम्नलिखित प्रयास:

    • वैज्ञानिक एवं अनुसंधान आधारित संस्थाओं की स्थापना: राज्य में कई प्रमुख संस्थान स्थापित किये गए हैं, जैसे- SGPGI लखनऊ, IIT कानपुर, एम्स गोरखपुर, कल्याण सिंह कैंसर संस्थान लखनऊ आदि।
    • R&D प्रोत्साहन: CST, U.P. ने MSC प्रथम और द्वितीय वर्ष (उत्तर प्रदेश में अध्ययनरत) के प्रतिभाशाली छात्रों के लिये भारत के प्रमुख संस्थानों के प्रसिद्ध प्रोफेसरों/वैज्ञानिकों के साथ काम करने के लिये 'ग्रीष्मकालीन अनुसंधान फैलोशिप' शुरू की है। बजट 2023-24 में, यह घोषणा की गई है कि उत्तर प्रदेश राज्य औषधि अनुसंधान एवं विकास संस्थान की स्थापना करेगा और इस उद्देश्य के लिये 20 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है।
    • जैव प्रौद्योगिकी: जैव प्रौद्योगिकी के लिये राज्य में बुनियादी ढाँचे और क्षमता विकास एक पहल है जो जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों (कृषि-बायोटेक, बायोफार्मा और डायग्नोस्टिक्स, जैव सूचना विज्ञान, पर्यावरण और बायोरेमेडिएशन, बायोएनर्जी, औद्योगिक बायोटेक) में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
    • विज्ञान लोकप्रियता- सभी के लिये विज्ञान: इसका उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार करना, वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जनता के बीच वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करना है (ज़िला स्तरीय बच्चों का विज्ञान महोत्सव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी और मेला)।
    • तारामंडल: इंदिरा गांधी तारामंडल के भूतल पर एक प्रदर्शनी गैलरी स्थित है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और खगोल विज्ञान से संबंधित मॉडल एवं प्रदर्शनों का संग्रह है। वीर बहादुर सिंह तारामंडल, विशेष रूप से बच्चों के लिये एक शैक्षिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। वहीं, रामपुर स्थित आर्यभट्ट तारामंडल आम जनता के लिये नियमित रूप से संचालित किया जाता है।
    • नवाचार प्रोत्साहन: CST, U.P. ज़मीनी स्तर के नवप्रवर्तकों और पारंपरिक ज्ञान विशेषज्ञों को मान्यता देने, सम्मान देने एवं पुरस्कृत करने के लिये काम कर रहा है। लक्षित समूह किसान, कारीगर, श्रमिक, मैकेनिक, पारंपरिक चिकित्सा व्यवसायी और छात्र हैं।
    • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): बौद्धिक संपदा अधिकारों के संबंध में क्षेत्रीय स्तर की सेवाएँ प्रदान करने के लिये, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से CST, U.P. द्वारा एक पेटेंट सूचना केंद्र की स्थापना की गई है।
    • डेटा सेंटर: उत्तर प्रदेश ने ग्रेटर नोएडा में उत्तर भारत का पहला हाइपर-स्केल डेटा सेंटर 'योट्टा डी 1' स्थापित किया है।
    • उत्तर प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं का मानचित्रण: पूरे राज्य के प्रासंगिक क्षेत्रीय क्षेत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप की आवश्यकता वाली समस्याओं की सूची बनाना।
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में प्रशिक्षण: यह एक उद्यमिता विकास कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के तहत, बेरोज़गार युवाओं को अपना खुद का व्यवसाय/उद्यम या स्वरोज़गार शुरू करने के लिये प्रेरित और प्रशिक्षित किया जाता है। कृषि प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, हर्बल फार्मास्युटिकल, इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे चयनित/महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

    उत्तर प्रदेश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति से संबंधित मुद्दे:

    • वित्तपोषण की कमी: राज्य में अनुसंधान एवं विकास की अपर्याप्तता का एक मुख्य कारण अनुसंधान एवं विकास के लिये पर्याप्त वित्तपोषण, विशेष रूप से निजी निवेश का अभाव है।
    • बुनियादी ढाँचे का अभाव: राज्य में अच्छी तरह से सुसज्जित प्रयोगशालाएँ और अनुसंधान सुविधाएँ बहुत कम हैं, जिससे शोधकर्त्ताओं की उन्नत अनुसंधान करने की क्षमता सीमित हो जाती है।
    • शिक्षा जगत और उद्योग के बीच सीमित सहयोग: यह नवाचार और अनुसंधान के व्यावसायीकरण में बाधा डालता है। अनुप्रयुक्त अनुसंधान पर भी ध्यान केंद्रित नहीं किया जाता है, जो नए उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • अपर्याप्त शिक्षा और प्रशिक्षण: शोधकर्त्ताओं के लिये अपने कौशल को निखारने और अपने क्षेत्र की नवीनतम प्रगति से अद्यतित रहने हेतु पर्याप्त प्रशिक्षण अवसर उपलब्ध नहीं हैं।

    निष्कर्ष:

    इस प्रकार, उत्तर प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर ज़ोर दे रहा है, यह समझते हुए कि यह सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इसलिये, राज्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक तथा समावेशी विकास के लिये एक राज्य-विशिष्ट विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति लाने की आवश्यकता है।

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