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19 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 6
उत्तर प्रदेश स्पेशल
दिवस- 40: खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को अक्सर "सूर्योदय क्षेत्र" कहा जाता है। उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति, 2023 के संदर्भ में समझाइए। (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षेप में परिभाषित कीजिये कि खाद्य प्रसंस्करण क्या है।
- उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की प्रमुख विशेषताओं और इसकी क्षमताओं पर प्रकाश डालिये।
- उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023 की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
खाद्य प्रसंस्करण में आम तौर पर खाद्य पदार्थों की बुनियादी तैयारी, खाद्य उत्पादों में मूल्य संवर्द्धन की प्रक्रिया, संरक्षण और पैकेजिंग तकनीक शामिल होती है। इस क्षेत्र में वैकल्पिक रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने, निर्यात में सुधार करने और घरेलू आपूर्ति शृंखला को मज़बूत करने की क्षमता है। समावेशी विकास को बढ़ावा देने में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की अपार क्षमता को पहचानते हुए, इसे उभरते क्षेत्रों में से एक के रूप में पहचाना गया है।
मुख्य भाग:
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने में उत्तर प्रदेश ‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (FPI) नीति, 2023’ की भूमिका:
- सरकार नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना पर संयंत्र, मशीनरी और तकनीकी सिविल कार्य से संबंधित 35% पूंजीगत सब्सिडी देगी।
- FPI के लिये 12.5 एकड़ से अधिक भूमि (कृषि) खरीदने की अनुमति।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना के लिये खरीदी गई भूमि पर स्टाम्प शुल्क में 100% छूट।
- किसानों द्वारा प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे बेचे जाने वाले कृषि उत्पादों तथा उत्तर प्रदेश में प्रसंस्करण के लिये अन्य राज्यों से खरीदे जाने वाले कृषि उत्पादों के लिये मंडी शुल्क और उपकर से छूट।
- किसी क्षेत्र को रोग-मुक्त प्रामाणित/घोषित करने के लिये अध्ययनों को प्रायोजित करना (आलू - आगरा और कन्नौज; डरम गेहूँ-बुंदेलखंड)।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा उपयोगिताओं पर 50% सब्सिडी तथा प्रसंस्करण इकाइयों को बिजली आपूर्ति के लिये इसी श्रेणी की महिला उद्यमियों को 90% सब्सिडी।
- कोल्ड चेन और मूल्य संवर्द्धन से संबंधित बुनियादी ढाँचे के लिये 35% की सब्सिडी।
- मंडी शुल्क एवं उपकर के भुगतान के संबंध में संपूर्ण राज्य को खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिये एक एकीकृत बाज़ार माना जाएगा। राज्य की किसी भी मंडी के लाइसेंसधारक राज्य की अन्य मंडियों में भी कार्य करने के पात्र होंगे।
- कृषि मूल्य शृंखला विकास में लगे खाद्य प्रसंस्करण स्टार्ट-अप्स को आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने के लिये सहायता (₹5 करोड़ तक)।
- स्वयं सहायता समूह/किसान उत्पादक संगठन/किसान विकेंद्रीकृत प्रसंस्करण और भंडारण को बढ़ावा देने के लिये अनुदान के रूप में सहायता के लिये पात्र होंगे (कुल परियोजना लागत के 50% या 50 लाख रुपए की अधिकतम सीमा के अधीन)।
निष्कर्ष:
पर्याप्त फंडिंग और प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के साथ एक मज़बूत फसल मूल्य शृंखला की आवश्यकता है जो MSME क्षेत्र के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देगी। इसलिये, उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र किसानों को वैकल्पिक आय का अवसर प्रदान करके ग्रामीण संकट को कम करने और इस प्रकार उनकी आय को दोगुना करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।