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15 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 6
उत्तर प्रदेश स्पेशल
दिवस- 37: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित राज्य राजधानी क्षेत्र (SCR) की अवधारणा का परीक्षण कीजिये। इस योजना की प्रासंगिकता एवं संभावित सामाजिक-आर्थिक और प्रशासनिक प्रभावों का विश्लेषण कीजिये। (125 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- राज्य राजधानी क्षेत्र (SCR) का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
- SCR की प्रासंगिकता और महत्त्व का परीक्षण कीजिये।
- SDG11 (सतत् शहर एवं संतुलित समुदाय) लक्ष्य के साथ अपने उत्तर का समापन कीजिये।
परिचय
उत्तर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की तर्ज पर एक राज्य राजधानी क्षेत्र (SCR) बनाने की योजना बना रही है, जो लखनऊ और मध्य उत्तर प्रदेश के पड़ोसी ज़िलों को जोड़ेगा, जिसका उद्देश्य समन्वित एवं संतुलित विकास के लिये राज्य की राजधानी की क्षमता को बढ़ाना है।
लखनऊ-SCR निकटवर्ती सात ज़िलों-हरदोई, सीतापुर, रायबरेली, कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव और बाराबंकी को कवर करेगा।
मुख्य भाग:
राज्य राजधानी क्षेत्र की प्रासंगिकता:
- राजधानी लखनऊ अत्याधुनिक शहरी सुविधाओं से सुसज्जित है। विभिन्न शहरों से लोग यहाँ आकर इसे अपना स्थायी निवास बनाने की इच्छा रखते हैं।
- आसपास के ज़िलों में जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है, तो वहीं अनियोजित विकास की शिकायतें भी मिल रही हैं। समन्वित विकास की दृष्टि से SCR का गठन उपयोगी सिद्ध होगा।
- हाल ही में आयोजित वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन (GIS) में उत्तर प्रदेश को प्राप्त कुल 33.50 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों में से लखनऊ को 6.79% प्रस्ताव प्राप्त हुए, जबकि अन्य सात ज़िलों को मिलाकर केवल 3.77% ही प्राप्त हो सके, जो निवेशकों की ज़िला-केंद्रित रुचि और राज्य की राजधानी तथा इसके आसपास के ज़िलों के बीच बढ़ते अंतर को दर्शाता है।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 2,528 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले लखनऊ की जनसंख्या 45,89,838 है, जबकि 4,402 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले निकटवर्ती बाराबंकी की जनसंख्या 32,60,699 है।
राज्य राजधानी क्षेत्र (SCR) का महत्त्व:
- यद्यपि लखनऊ और कानपुर नगर अपने कई सीमावर्ती ज़िलों की तुलना में छोटे शहर हैं, फिर भी इसका उद्देश्य मध्य उत्तर प्रदेश के इन महानगरीय केंद्रों में असंतुलित विस्तार तथा तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करना है।
- यह क्षेत्र के समन्वित विकास की दृष्टिकोण से उपयोगी होगा।
- SCR का विकास शहरी नियोजन से संबंधित भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
- इससे बढ़ती जनसंख्या के दबाव के मद्देनजर कुछ शहरों का योजनाबद्ध विकास सुनिश्चित होगा।
- पड़ोसी ज़िलों में भी जनसंख्या बढ़ रही है और अनियोजित विकास की शिकायतें हैं जिन्हें ठीक किया जाना चाहिये।
- दोनों शहरों (लखनऊ और कानपुर) के आसपास बड़ी संख्या में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जाएंगे, जिससे युवाओं के लिये रोज़गार उत्पन्न होंगे।
- लखनऊ-SCR का विकास दिल्ली-NCR के समान एक प्रति-चुंबकीय क्षेत्र के रूप में कार्य करेगा और निजी निवेश को आकर्षित करेगा तथा आंतरिक क्षेत्रों पर गुणात्मक प्रभाव डालेगा।
- SCR घटक ज़िलों में आकर्षक नौकरी एवं स्वरोज़गार के अवसर प्रदान करके लखनऊ में भीड़भाड़ कम करेगा तथा नौकरियों की तलाश में बड़े शहरों की ओर युवाओं के पलायन को रोकेगा।
- SCR ज़िलों को बेहतर परिवहन, रसद और बुनियादी अवसंरचना सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी। उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में ज़िले पहले से ही एक्सप्रेसवे और हवाई मार्गों से जुड़े हुए हैं, जो स्थानीय कृषि एवं पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये उपयोगी होंगे।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय नियोजन सम्मेलन-2023 में राज्य में SCR के अलावा छह विकास क्षेत्र– आगरा, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली और झाँसी बनाने का सुझाव दिया गया था, ताकि आसपास के ज़िले भी इन तेज़ी से विकसित हो रहे केंद्रों से लाभान्वित हो सकें।
SCR सतत् विकास लक्ष्य 11(सतत् शहर एवं संतुलित समुदाय) के अनुरूप भी है, जो शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, समुत्थानशील एवं संधारणीय बनाने पर केंद्रित है।