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UP PCS Mains-2024

  • 18 Apr 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 6 उत्तर प्रदेश स्पेशल

    दिवस- 39: उत्तर प्रदेश सरकार की जैव विविधता संरक्षण पहलों का परीक्षण कीजिये। राज्य के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों का भी उल्लेख कीजिये। (125 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जैव-विविधता को संक्षेप में परिभाषित कीजिये।
    • उत्तर प्रदेश की जैव-विविधता संरक्षण नीतियों की व्याख्या कीजिये।
    • उत्तर प्रदेश के प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्यों का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय :

    जैव-विविधता में पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी प्रकार के जीवन की विविधता शामिल होती है, जिसमें स्थलीय, समुद्री एवं जलीय पारिस्थितिक तंत्र सम्मिलित हैं। यह तीन स्तरों पर विविधता को दर्शाती है: आनुवंशिक विविधता (प्रजातियों के भीतर), प्रजातीय विविधता (प्रजातियों के बीच) और पारिस्थितिक तंत्रीय विविधता (पारिस्थितिक तंत्रों के बीच)।

    उत्तर प्रदेश में वनस्पति एवं जीव-जंतु की भरपूर विविधता पायी जाती है। ISFR 2023 के अनुसार, राज्य का हरित आवरण अब उसकी कुल भौगोलिक सीमा का 9.96% है। राज्य में 1 राष्ट्रीय उद्यान, 24 वन्यजीव अभयारण्य, तथा 10 रामसर स्थल हैं, जो इसकी समृद्ध जैविक विविधता में योगदान करते हैं।

    मुख्यभाग:

    जैव-विविधता संरक्षण के लिये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई कार्रवाई:

    • उत्तर प्रदेश जैव-विविधता बोर्ड की स्थापना 2006 में जैव-विविधता अधिनियम 2002 के अंतर्गत की गयी थी, जिसका उद्देश्य जैव-विविधता का संरक्षण और इसके घटकों के सतत् उपयोग को सुनिश्चित करना है।
    • ग्राम पंचायत जैव-विविधता प्रबंधन समितियों को जैव संसाधनों के संरक्षण और दस्तावेज़ीकरण को सुनिश्चित करने का अधिकार दिया गया है।
    • स्थल-आधारित संरक्षण (In-situ Conservation):
      • राष्ट्रीय उद्यान: दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, जो उप-हिमालयी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तराई क्षेत्र में स्थित है, राज्य के संरक्षित क्षेत्रों में प्रमुख है।
      • वन्यजीव अभयारण्य: उत्तर प्रदेश में 24 वन्यजीव अभयारण्य स्थित हैं, जिनमें हस्तिनापुर अभयारण्य, किशनपुर अभयारण्य, तथा राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य आदि शामिल हैं।
      • टाइगर रिज़र्व: उत्तर प्रदेश में चार टाइगर रिज़र्व हैं — दुधवा, रणीपुर, अमानगढ़, तथा पीलीभीत।
    • स्थानांतरित संरक्षण (Ex-situ Conservation): औषधीय एवं सुगंधित पौधों के केंद्रीय संस्थान (CIMAP) द्वारा लखनऊ में 128 औषधीय पौधों का DNA बैंक स्थापित किया गया है। राज्य में बीज बैंक, प्राणी उद्यान, वनस्पति उद्यान, हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र, तथा प्राणि उद्यान स्थित हैं।
    • जैव-विविधता पार्क: उत्तर प्रदेश में जैव विविधता उद्यान स्थापित करने की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना को केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृति दी गयी है। इनमें प्रमुख हैं: मोहनपुर जैव विविधता उद्यान, मिर्जापुर, रामघाट जैव विविधता उद्यान, बुलंदशहर, आलमगीरपुर जैव विविधता उद्यान, हापुड़।
    • राज्य वन नीति: उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2017 में अपनी वन नीति घोषित की थी, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक एवं रोपित वनों के संरक्षण, विकास तथा वैज्ञानिक एवं प्रबंधन के माध्यम से उनके स्तर में सुधार करना है। राज्य का कुल वन क्षेत्र, राज्य की कुल भौगोलिक सीमा का 6.98% है।
    • आर्द्रभूमियाँ: उत्तर प्रदेश में 10 रामसर स्थल अधिसूचित हैं, जिनमें प्रमुख हैं: नवाबगंज पक्षी विहार, सूर सरोवर, सरसई नावर झील आदि।

    उत्तर प्रदेश के प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य:

    • चंद्रप्रभा वन्यजीव अभ्यारण्य: यह उत्तर प्रदेश के चंदौली ज़िले में स्थित है और काशी वन्यजीव प्रभाग का हिस्सा है। इसका नाम चंद्रप्रभा नदी के नाम पर रखा गया है। यहाँ पाये जाने वाले प्रमुख जीवों में तेंदुआ, लकड़बग्घा, लोमड़ी, भालू, चिंकारा/चीतल, सियार आदि शामिल हैं।
    • कतर्निया वन्यजीव अभयारण्य: यह उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले में स्थित है। इसकी स्थापना घड़ियाल की जनसंख्या के संरक्षण हेतु की गयी थी।
    • कछुआ वन्यजीव अभयारण्य: यह वाराणसी ज़िले में स्थित है। यहाँ पायी जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ हैं — भारतीय सॉफ्टशेल कछुआ और तीन धारियों वाला रूफ्ड टर्टल।
    • बखिरा पक्षी अभयारण्य: यह संत कबीर नगर ज़िले में स्थित है और इसमें बखिरा झील शामिल है। यह सेंट्रल एशियन फ्लाईवे पर प्रवास करने वाली 25 से अधिक पक्षी प्रजातियों के लिये शीतकालीन प्रवास स्थल प्रदान करता है। इसे वर्ष 2021 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
    • महावीर स्वामी वन्यजीव अभयारण्य: यह झाँसी से 125 किमी की दूरी पर स्थित है। यह अभयारण्य सागौन के वृक्षों से युक्त है और इसे "दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश का अंतिम सागौन वन" भी कहा जाता है।

    निष्कर्ष:

    जैव-विविधता मानव जीवन एवं कल्याण के लिये अत्यंत आवश्यक है। यह सभी विकासात्मक गतिविधियों का आधार है क्योंकि यह भोजन, चारा, औषधियाँ, जल, स्वच्छ वायु सहित अन्य कई वस्तुएँ और सेवाएँ प्रदान करती है। अतः उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिये कि वह संरक्षण प्रयासों की गति को बढ़ाने के लिये एक स्वतंत्र राज्य जैव-विविधता संरक्षण नीति लेकर आये।

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