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Mains Marathon

  • 31 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    दिवस-40. अफ्रीकी महाद्वीप में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के आलोक में भारत पर इसके संभावित प्रभावों का विश्लेषण कीजिये और उन रणनीतिक दृष्टिकोणों की रूपरेखा तैयार कीजिये जिन्हें भारत इस क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये अपना सकता है। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत-अफ्रीका संबंधों का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • अफ्रीकी अस्थिरता के भारत पर प्रभावों को बताते हुए उन रणनीतिक दृष्टिकोणों पर चर्चा कीजिये जिन्हें भारत इन चुनौतियों से निपटने हेतु अपना सकता है।
    • यथोचित निष्कर्ष दीजिये।

    भारत और अफ्रीकी महाद्वीप के बीच ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध हैं। भारत एवं अफ्रीका के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ उपनिवेशवाद-विरोधी एकजुटता का एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है। भारत का स्वतंत्रता आंदोलन उपनिवेशवाद से आज़ादी की इच्छा रखने वाले अफ्रीकी राष्ट्रवादियों के लिये एक प्रेरणा बन गया। भारत के कई अफ्रीकी देशों के साथ घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। अफ्रीका में अस्थिरता के पीछे कुछ कारण हैं जैसे- शहरीकरण एवं युवा बेरोज़गारी, सैन्य जनरलों की वापसी, अंतर-जनजातीय संघर्ष, आतंकवाद, खाद्य मुद्रास्फीति, कर्ज़ की अधिकता आदि।

    अफ्रीकी अस्थिरता का भारत पर प्रभाव:

    • आर्थिक प्रभाव: भारत के अफ्रीका के साथ महत्त्वपूर्ण व्यापार और निवेश संबंध हैं, जो महाद्वीप में अस्थिरता एवं असुरक्षा के प्रति संवेदनशील हैं।
      • वर्ष 2022-23 में भारत-अफ्रीका व्यापार 98 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया और भारत अफ्रीका में पाँचवाँ सबसे बड़ा निवेशक है।
      • भारत, अफ्रीका में विकास परियोजनाओं को निधि देने के लिये रियायती ऋण भी प्रदान करता है, रियायती ऋण में 12.37 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का विस्तार किया गया है।
      • भारत ने 197 परियोजनाएँ पूरी की हैं और वर्ष 2015 से 42,000 छात्रवृत्तियाँ प्रदान की हैं।
    • सुरक्षा प्रभाव: भारत का अफ्रीका में शांति और स्थिरता बनाए रखने में रणनीतिक हित निहित है (विशेष रूप से हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में, जो एक महत्त्वपूर्ण शिपिंग मार्ग है जो हिंद महासागर को स्वेज़ नहर से जोड़ता है)।
      • भारत, अफ्रीका में शांति स्थापना मिशनों के साथ आतंकवाद विरोधी प्रयासों में भी भाग लेता है, साथ ही अफ्रीकी सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।
      • अफ्रीका में अशांति, भारत के सुरक्षा हितों और उद्देश्यों के लिये खतरा पैदा करती है, क्योंकि यह आतंकवाद, समुद्री डकैती, संगठित अपराध एवं मानव तस्करी का आधार है।
    • राजनयिक प्रभाव: भारत की अफ्रीका के साथ दीर्घकालिक साझेदारी है, जो आपसी सम्मान, एकजुटता और सहयोग पर आधारित है। भारत आत्मनिर्भरता, लोकतंत्र और विकास के लिये अफ्रीकी देशों की आकांक्षाओं का समर्थन करता है।
      • भारत, भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (IAFS), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और राष्ट्रमंडल जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से उनके साथ जुड़ा हुआ है।
      • अफ्रीका में उथल-पुथल अफ्रीकी संघ (AU) और अन्य क्षेत्रीय संगठनों की विश्वसनीयता एवं प्रभावशीलता को कमज़ोर करती है
        • इससे अफ्रीकी देशों के बीच विभाजन और तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है जिससे चीन, रूस, फ्राँस, यूके तथा अमेरिका जैसे बाह्य तत्वों का हस्तक्षेप अधिक होता है।
    • मानवीय प्रभाव: अफ्रीका में भारत के काफी प्रवासी हैं जिसकी अनुमानित संख्या लगभग 30 लाख है, जिसमें से अधिकतर व्यापार, वाणिज्य और पेशेवर सेवाओं में लगे हुए हैं।
      • भारत संघर्षों, आपदाओं या महामारी से प्रभावित अफ्रीकी देशों को भोजन, दवा, उपकरण और कर्मियों जैसी मानवीय सहायता भी प्रदान करता है।

    भारत के लिये आवश्यक कुछ रणनीतिक दृष्टिकोण:

    • राजनयिक उपस्थिति और समर्थन: भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध अफ्रीकी सरकारों के साथ मज़बूत राजनीतिक संबंध बनाने की नींव के रूप में कार्य कर सकते हैं। अपने राजनयिक प्रभाव और सद्भावना का उपयोग करके, भारत अफ्रीकी देशों को शांति, लोकतंत्र एवं विकास की दिशा में अटूट समर्थन प्रदान कर सकता है।
      • इसके अलावा भारत वैश्विक मंच पर अफ्रीकी देशों के हितों की वकालत कर सकता है तथा संयुक्त राष्ट्र, जी-20 और विश्व व्यापार संगठन जैसे मंचों पर उनका समर्थन कर सकता है।
    • आर्थिक साझेदारी और सहयोग: भारत और अफ्रीका के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। भारत अफ्रीका में बेहतर बाज़ार पहुँच, अधिमान्य प्रशुल्क और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों एवं सेवाओं की पेशकश करके व्यापार तथा निवेश में वृद्धि की सुविधा प्रदान कर सकता है।
      • विकास को और बढ़ावा देने के लिये रियायती ऋण, अनुदान और तकनीकी सहयोग सहित विस्तारित विकास सहायता के माध्यम से भारत द्वारा अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की जा सकती है।
      • विशेष रूप से कृषि, माइक्रोफाइनेंस, डिजिटल अर्थव्यवस्था और छोटे एवं मध्यम उद्यमों जैसे क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं तथा अनुभवों को साझा करके, भारत अफ्रीका के आर्थिक विकास व स्थिरता में योगदान दे सकता है।
    • क्षेत्रीय एकीकरण और सहयोग: अफ्रीका की सामूहिक प्रगति के लिये क्षेत्रीय एकीकरण का समर्थन करना महत्त्वपूर्ण है। भारत अफ्रीकी संघ द्वारा प्रवर्तित अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (AfCFTA) तथा अफ्रीकी शांति और सुरक्षा संरचना (APSA) जैसी पहलों का समर्थन करके महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
      • क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर भारत, अफ्रीकी देशों को सतत विकास और स्थिरता के लिये उनकी सामूहिक शक्ति एवं संसाधनों का उपयोग करने में सहायता कर सकता है।
    • सुरक्षा सहयोग और क्षमता निर्माण: भारत, सुरक्षा मामलों में सहयोग तथा स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है साथ ही साझा खतरों का मुकाबला भी कर सकता है। आतंकवाद-निरोध, शांति स्थापना एवं समुद्री सुरक्षा में भारत की विशेषज्ञता अफ्रीकी देशों के लिये अमूल्य हो सकती है।
      • प्रशिक्षण, खुफिया जानकारी साझा करने और उपकरण प्रावधान के माध्यम से भारत, अफ्रीकी सुरक्षा बलों की क्षमताओं को बढ़ा सकता है।
      • शांति मिशनों में अधिक संसाधनों और कर्मियों को लगाकर भारत इस क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने में योगदान दे सकता है।
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार विनिमय: साझा चुनौतियों से निपटने तथा अवसरों का दोहन करने के लिये विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में सहयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है। भारत, अफ्रीका में अनुसंधान और विकास परियोजनाओं का समर्थन कर सकता है एवं तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दे सकता है।
      • नवाचार आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करते हुए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं अनुकूलन को सुविधाजनक बनाने से स्वास्थ्य देखभाल, कृषि और टिकाऊ ऊर्जा समाधान जैसे क्षेत्रों में प्रगति हो सकती है।

    इन रणनीतिक दृष्टिकोणों को अपनाकर भारत न केवल अपने हितों की रक्षा कर सकता है बल्कि अफ्रीका की स्थिरता और समृद्धि में भी योगदान दे सकता है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में तीसरे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन में कहा था: "अफ्रीका हमारी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर होगा। हम अफ्रीका के साथ अपने समन्वय को बढ़ाना और गहन करना जारी रखेंगे।

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