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  • 28 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस-37. भारत में निवेश आधारित संवृद्धि, विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार सृजन और रोज़गार के अवसरों में कैसे योगदान करती है? आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • निवेश आधारित विकास का परिचय दीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि निवेश-आधारित विकास भारत में विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार सृजन और रोज़गार के अवसरों में कैसे योगदान देता है?
    • इसके संबंधित कुछ मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह बताइये।

    आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में परिभाषित "निवेश-आधारित विकास" एक ऐसी आर्थिक रणनीति है जो बुनियादी ढाँचे, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी सहित आर्थिक उत्पादकता में योगदान देने वाले क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर केंद्रित है।

    • यह रणनीतिक दृष्टिकोण अधिक पूंजी संचय को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन में वृद्धि, रोज़गार सृजन और व्यापक आर्थिक उन्नति हो सकती है।

    विभिन्न क्षेत्रों में निवेश आधारित वृद्धि:

    क्षेत्रक रोज़गार सृजन में योगदान उदाहरण विशिष्ट डेटा और तथ्य
    बुनियादी ढाँचे का विकास निर्माण, इंजीनियरिंग और रखरखाव में नौकरियाँ पैदा करता है।

    - राजमार्गों और एक्सप्रेसवे का विकास।

    - मेट्रो रेल परियोजनाएँ।

    - 2019-20 (NSSO) में निर्माण क्षेत्र में 40 मिलियन से अधिक नौकरियाँ पैदा हुईं।

    - दिल्ली मेट्रो निर्माण से हजारों लोगों को रोज़गार मिला।

    विनिर्माण क्षेत्रक कारखानों की स्थापना से उत्पादन होने के साथ कुशल श्रमिकों को रोज़गार मिलता है।

    - "मेक इन इंडिया" के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण।

    - ऑटोमोटिव विनिर्माण।

    - विनिर्माण क्षेत्र ने वर्ष 2020 में भारत के लगभग 12% कार्यबल को रोज़गार दिया।
    - ऑटोमोटिव क्षेत्र में वृद्धि से उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला में नौकरियाँ सृजित होती हैं।

    प्रौद्योगिकी और नवाचार इससे सॉफ्टवेयर विकास, डेटा विश्लेषण और अनुसंधान में नौकरियाँ सृजित होती हैं।

    - सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियाँ।
    -अनुसंधान एवं विकास केंद्र।

    - IT उद्योग 4.5 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार देता है (NASSCOM)।
    - भारत का AI सेक्टर में वर्ष 2023 तक लगभग 2.8 मिलियन नौकरियाँ सृजित हो सकती हैं।

    पर्यटन इससे ट्रैवल एजेंसियों और आतिथ्य सेवाओं में नौकरियों का सृजन होता है।

    - होटल एवं रेस्तरां उद्योग.
    - ट्रैवल और टूर ऑपरेटर।

    - वर्ष 2019 में पर्यटन क्षेत्र ने 87 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार दिया (विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद)।
    - पर्यटन से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होते हैं।

    नवीकरणीय ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना और रखरखाव से रोज़गार सृजित होते हैं।

    - सौर ऊर्जा परियोजनाएँ.
    - पवन ऊर्जा प्रतिष्ठान।

    - भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र ने वर्ष 2019 में लगभग 100,000 लोगों को रोज़गार दिया (ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद)।

    कृषि एवं कृषि व्यवसाय खेती, कृषि-प्रसंस्करण और वितरण में रोज़गार पैदा होते हैं।

    - कृषि तकनीक स्टार्टअप. - खाद्य प्रसंस्करण उद्योग।

    - कृषि, भारत के लगभग आधे कार्यबल को रोज़गार देती है (NSSO)।
    - खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र विनिर्माण कार्यबल के लगभग 18% को रोज़गार देता है।

    हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल्स इससे स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, शोधकर्ताओं और फार्मास्युटिकल तकनीशियनों के लिए नौकरियाँ सृजित होती हैं ।

    - अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएँ।
    - दवा कंपनियाँ।

    - वर्ष 2018 (ILO) में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 40 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार मिला।
    - भारत जेनरिक दवाओं के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है।

    भारत में निवेश आधारित विकास से संबंधित विभिन्न चुनौतियाँ हैं:

    • बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ: अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, निवेश-आधारित विकास की दक्षता में बाधा बन सकता है।
      • उदाहरण: अपर्याप्त परिवहन नेटवर्क को दूरदराज़ के क्षेत्रों में स्थित उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में पहचाना गया है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो रही है (आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21)।
    • कुशल कार्यबल की कमी: निवेश-आधारित विकास के लिए कुशल कार्यबल की आवश्यकता होती है, लेकिन उद्योगों के लिए आवश्यक कौशल एवं श्रम बल के कौशल के बीच अक्सर अंतर होता है।
      • उदाहरण: राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) के अनुसार वर्ष 2022 तक भारत में कौशल अंतराल 29% तक पहुँचने का अनुमान है।
    • क्षेत्रीय असमानताएँ: निवेश-आधारित विकास कभी-कभी क्षेत्रीय असमानताओं को बढ़ा सकता है।
      • उदाहरण: आई.टी. क्षेत्र की वृद्धि मुख्य रूप से बेंगलुरु जैसे शहरों में केंद्रित रही है, जिससे प्रवासन और शहरी बुनियादी ढाँचे (विश्व बैंक) की मांग में वृद्धि हुई है।
    • पर्यावरणीय चिंताएँ: तीव्र निवेश-आधारित विकास से पर्यावरणीय क्षरण के साथ अस्थिर संसाधन खपत को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और समुदाय प्रभावित हो सकते हैं।
      • उदाहरण: खनन और विनिर्माण जैसे उद्योगों का विस्तार पर्यावरण प्रदूषण एवं संसाधन की कमी (विज्ञान तथा पर्यावरण केंद्र) से संबंधित है।
    • समावेशिता और आय असमानता: निवेश-आधारित संवृद्धि से लाभों का हमेशा समान वितरण सुनिश्चित नहीं हो सकता है, जिससे आय असमानता के साथ हाशिए पर रहने वाले समुदायों का बहिष्कार हो सकता है।
      • उदाहरण: औद्योगिक विकास के बावजूद ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय असमानताएँ बनी हुई हैं, जिससे सामाजिक तनाव को बढ़ावा मिल रहा है (ऑक्सफैम इंडिया)।

    आगे की राह:

    • कौशल विकास पर बल: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) की एक रिपोर्ट में शिक्षा और रोज़गार के बीच अंतर को कम करने के लिए कौशल विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
    • ग्रामीण बुनियादी ढाँचे का विकास: विश्व बैंक के एक अध्ययन से पता चलता है कि बेहतर ग्रामीण बुनियादी ढाँचे से कृषि उत्पादकता बढ़ने के साथ आय में वृद्धि हो सकती है।
    • स्टार्टअप और इनोवेशन को बढ़ावा मिलना: NASSCOM की एक रिपोर्ट में रोज़गार सृजन तथा आर्थिक विकास में स्टार्टअप की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
    • सतत शहरीकरण: बढ़ती शहरी आबादी को समायोजित करने और विनिर्माण, परिवहन एवं सेवाओं में रोज़गार सृजित करने के लिए टिकाऊ शहरी बुनियादी ढाँचे में निवेश करना आवश्यक है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा परिवर्तन: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट के अनुसार नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने से रोज़गार का लाभ हो सकता है।

    बजट 2022-2023 का लक्ष्य लोक निवेश को 35.4% तक बढ़ाना है, जिससे GDP में इसकी हिस्सेदारी पिछले साल के 2.2% से बढ़कर 2.9% हो जाएगी। राज्य निवेश हेतु सहायता अनुदान के माध्यम से लोक निवेश के लक्ष्य को सकल घरेलू उत्पाद के 4% से अधिक तक बढ़ाने से कौशल विकास, नवाचार, उद्यमशीलता और व्यापक नागरिक कल्याण को प्रोत्साहन मिलेगा।

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