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राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड

  • 16 Sep 2023
  • 5 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में सर्वोच्च न्यायलय ने अपने केस डेटा को राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDC) पर एकीकृत किया है।

  • जनता को मामलों की पारदर्शी जानकारी प्रदान करने के लिये 'ओपन डेटा पॉलिसी (ODP)' के हिस्से के रूप में NJDC के साथ एकीकरण।
  • ODP नीतियों का एक समूह है, जो सरकारी डेटा को सभी के लिये उपलब्ध कराकर पारदर्शिता, जवाबदेही और मूल्य निर्माण को बढ़ावा देता है।

राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG): 

  • परिचय:
    •  NJDG पोर्टल देश भर के न्यायालयों के लंबित और निपटाए गए मामलों से संबंधित डेटा का एक राष्ट्रीय भंडार है।
    • यह ई-कोर्ट परियोजना के तहत एक ऑनलाइन मंच के रूप में बनाया गया 18,735 ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों तथा उच्च न्यायालयों के आदेशों, निर्णयों एवं मामले के विवरण का एक डेटाबेस है। 
    • इसकी मुख्य विशेषता यह है कि डेटा वास्तविक समय में अपडेट किया जाता है और इसमें तालुका स्तर तक का विस्तृत डेटा होता है।
    • वर्तमान में वादी 23.81 करोड़ मामलों तथा 23.02 करोड़ से अधिक आदेशों/निर्णयों की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • NJDG का विकास:
  • महत्त्व:
    • NJDG मामलों की पहचान, प्रबंधन तथा लंबित मामलों को कम करने के लिये एक निगरानी उपकरण के रूप में काम करता है।
    • यह न्यायिक प्रक्रियाओं में विशिष्ट बाधाओं की पहचान करने में मदद करता है। उदाहरण के लिये, यदि किसी विशेष राज्य में भूमि विवादों की संख्या बढ़ जाती है, तो इससे नीति निर्माताओं को यह पता लगाने में मदद मिलती है क्या उस विशिष्ट कानून को अधिक सशक्त करने की आवश्यकता है।
    • यह कानून के विशेष क्षेत्रों से संबंधित इनपुट उत्पन्न करने में भी मदद करता है। उदाहरण के लिये, भूमि विवाद से संबंधित मामलों को ट्रैक करने के लिये 26 राज्यों के भूमि रिकॉर्ड डेटा को NJDG के साथ जोड़ा गया है।

वर्तमान में मामलों की लंबितता की स्थिति:

  • वर्ष 2023 तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मामलों की कुल संख्या 64,854 है।
  • अगस्त 2023 में सर्वोच्च न्यायालय में 5,412 मामले दाखिल किये गए और 5033 मामलों का निपटारा किया गया।
  • सर्वोच्च न्यायालय में तीन जजों वाली पीठ के पास 583 मामले, पाँच जजों की पीठ के पास 288 मामले, सात जजों की पीठ के पास 21मामले और नौ जजों की पीठ के पास 135 मामले लंबित हैं, जिनमें से सभी दीवानी मामले हैं।

ई-कोर्ट परियोजनाओं के तहत अन्य पहलें

  • केस इनफाॅर्मेशन सॉफ्टवेयर
  • आभासी न्यायालय
  • वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग
  • राष्ट्रीय सेवा और इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रियाओं की ट्रैकिंग (National Service and Tracking of Electronic Processes- NSTEP)
  • न्यायालय की दक्षता में सुधार के लिये सर्वोच्च न्यायालय कोर्ट पोर्टल

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में न्यायिक पुनरीक्षण का अर्थ है (2017) 

(a) विधियों और कार्यपालिक आदेशों की संवैधानिकता के विषय में प्राख्यापन करने का न्यायपालिका का अधिकार।
(b) विधानमंडलों द्वारा निर्मित विधियों के प्रज्ञान को प्रश्नगत करने का न्यायपालिका का अधिकार।
(c) न्यायपालिका का सभी विधायी अधिनियमनों के, राष्ट्रपति द्वारा उन पर सहमति प्रदान किये जाने के पूर्व, पुनरीक्षण का अधिकार।
(d) न्यायपालिका का समान या भिन्न वादों में पूर्व में दिये गए स्वयं के निर्णयों के पुनरीक्षण का अधिकार।

उत्तर: (a)

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