रैपिड फायर
जैव उत्तेजक
- 19 Jul 2025
- 4 min read
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स
हाल ही में आयोजित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ में केंद्रीय कृषि मंत्री ने जैव-उत्तेजकों (बायोस्टिमुलेंट्स) की अनियंत्रित बिक्री के मुद्दे पर जोर दिया और घोषणा की कि केवल वही जैव-उत्तेजकों को मंज़ूरी दी जाएगी जो सभी आवश्यक मानदंडों को पूरा करते हैं और वैज्ञानिक रूप से किसानों के लिये लाभकारी सिद्ध होते हैं।
- ये अनुमोदन पूर्णतः वैज्ञानिक सत्यापन के आधार पर प्रदान किये जायेंगे।
जैव उत्तेजक
- परिचय: बायोस्टिमुलेंट्स ऐसे पदार्थ या सूक्ष्मजीव (जैसे लाभकारी बैक्टीरिया, फफूंद या पौधों से प्राप्त अर्क) होते हैं, जो जब बीजों, पौधों या मिट्टी पर लगाए जाते हैं, तो पौधों की प्राकृतिक प्रक्रियाओं को सक्रिय या प्रोत्साहित करते हैं।
- जैव उत्तेजक पदार्थ पोषण दक्षता, अजैविक तनाव सहनशीलता, फसल की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।
- सतत् कृषि में योगदान:
- पौधों की अजैविक तनाव (abiotic stress) जैसे कि सूखा, अत्यधिक तापमान (ठंड, पाला और गर्मी) तथा लवणीयता (salinity) के प्रति सहनशीलता को बेहतर बनाना।
- लागू किए गए और पहले से मौजूद पोषक तत्वों के अवशोषण और कुशल उपयोग को बढ़ाना।
- लाभकारी मिट्टी सूक्ष्मजीवों को प्रोत्साहित करके मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करना।
- पौधों के स्वास्थ्य और शक्ति के माध्यम से फसल की गुणवत्ता में वृद्धि
फसल योग्य पैदावार में वृद्धि
जैव उत्तेजक का वर्गीकरण |
||
जैव उत्तेजक |
विवरण |
उदाहरण |
ह्यूमिक और फुल्विक एसिड |
पौधों, पशुओं और सूक्ष्मजीवी अवशेषों से प्राप्त मृदा कार्बनिक पदार्थ। |
पीट, लियोनार्डाइट, सेमी-सॉफ्ट कोल |
समुद्री शैवाल के अर्क |
विभिन्न निष्कर्षण प्रक्रियाओं के माध्यम से व्युत्पन्न। |
घुलनशील पाउडर या तरल अर्क |
कम्पोस्ट खाद कम्पोस्ट |
सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये खाद को स्वामित्व सामग्री के साथ मिलाया जाता है। |
कम्पोस्ट खाद से तरल जैवउर्वरक |
लाभकारी बैक्टीरिया और फफूंद/कवक |
बैक्टीरिया और कवक जो जड़ों की वृद्धि में सहायता करते हैं। |
बैसिलस, राइज़ोबियम कवक |
- भारत में बाज़ार परिदृश्य: भारत में जैव उत्तेजक बाज़ार का मूल्य वर्ष 2024 में लगभग 355-362 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और वर्ष 2032 तक इसके 1.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच पहुँचने का अनुमान है।
- संबंधित प्रावधान: भारत में, जैव उत्तेजक पदार्थों को उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) नियंत्रण आदेश (FCO), 1985 के माध्यम से विनियमित किया जाता है, जिसे हाल ही में वर्ष 2024 और 2025 में संशोधित किया गया है।
- कृषि सहकारिता विभाग द्वारा प्रशासित उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत जारी किया गया है।
जैविक खेती से संबंधित पहल
- राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना (NPOF) 2004 में शुरू की गई
- परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन (MOVCDNER)