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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत एवं ईएफटीए स्टेट्स

  • 02 May 2023
  • 16 min read

यह एडिटोरियल 01/05/2023 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित ‘‘Economic pact between India and EFTA states will further boost trade, investment’’ लेख पर आधारित है। इसमें यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ राज्यों के साथ व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते के संपन्न होने से संबद्ध संभावित लाभों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (European Free Trade Association- EFTA) के महासचिव ने भारत और EFTA राज्यों- आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड के बीच एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (Trade and Economic Partnership Agreement- TEPA) के संभावित लाभों पर बल दिया है।

  • उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2023 में नई दिल्ली में आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे, स्विट्ज़रलैंड और भारत के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों ने TEPA की दिशा में अपनी वार्ता को पुनः आरंभ करने की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिये एक बैठक की। वार्ता के अंत में जारी संयुक्त वक्तव्य ने ‘‘सभी लंबित मुद्दों को हल करने के लिये अपने प्रयासों को जारी रखने और आर्थिक साझेदारी को गहन एवं सशक्त करने की दिशा में काम करने’’ के लिये पक्षकारों के साझा निर्णय को प्रकट किया।
  • वे अपनी आर्थिक साझेदारी को गहन एवं सशक्त करने और एक अधिक समावेशी वैश्विक व्यापार प्रणाली में योगदान देने का लक्ष्य रखते हैं।

EFTA क्या है?

  • EFTA एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसे वर्ष 1960 में उन यूरोपीय राज्यों के लिये एक वैकल्पिक व्यापार ब्लॉक के रूप में स्थापित किया गया था जो यूरोपीय संघ (EU) में शामिल होने में असमर्थ या अनिच्छुक थे।
  • EFTA में आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं, जो यूरोपीय संघ के अंग नहीं हैं, लेकिन विभिन्न समझौतों के माध्यम से इसके एकल बाज़ार तक पहुँच रखते हैं।

भारत के लिये EFTA राज्यों का आर्थिक महत्त्व

  • मानव संसाधन:
    • हालाँकि EFTA राज्य 14 मिलियन से कुछ अधिक की एक छोटी आबादी ही रखते हैं, लेकिन उनकी अर्थव्यवस्थाएँ नवाचार, प्रतिस्पर्द्धात्मकता, प्रति निवासी धन सृजन, जीवन प्रत्याशा और जीवन की गुणवत्ता के मामले में विश्व की सर्वाधिक उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं।
  • व्यापार:
    • वर्ष 2021 में 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात व निर्यात के साथ वे विश्व में 10वें सबसे बड़े मर्चेंडाइज़ ट्रेडर्स और 8वें सबसे बड़े सर्विस ट्रेडर्स होने की स्थिति रखते हैं।
  • वैश्विक अग्रणी कंपनियाँ:
    • EFTA राज्यों की विभिन्न कंपनियाँ फार्मास्यूटिकल्स, जैव प्रौद्योगिकी, मशीनरी निर्माण, R&D संचालित प्रौद्योगिकी उत्पादों, भू-तापीय संबंधित प्रौद्योगिकियों, समुद्री प्रौद्योगिकी, ऊर्जा-संबंधी सेवाओं, वित्तीय सेवाओं, बैंकिंग और बीमा में विश्व में अग्रणी स्थान रखती हैं।
  • EFTA के व्यापार समझौतों की सफलता का इतिहास:
    • EFTA 40 भागीदार देशों के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापार समझौतों पर वार्ता संपन्न करने का एक ट्रैक रिकॉर्ड रखते हैं, जिनमें 29 मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) शामिल हैं।
      • EFTA राज्यों का लगभग 22% आयात इन FTA भागीदारों से संपन्न होता है।
    • उन्होंने हांगकांग, इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर के साथ समझौते संपन्न किये हैं, जबकि मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम के साथ समझौता वार्ता चल रही है।

TEPA क्या है?

  • यह एक प्रकार का आर्थिक साझेदारी समझौता है।
  • व्यापक दायरा:
    • TEPA समझौते माल, सेवाओं एवं निवेश में व्यापार के साथ-साथ बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्द्धा नीति एवं सरकारी खरीद जैसे अन्य क्षेत्रों सहित आर्थिक गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला को कवर करते हैं।
  • लचीलापन:
    • TEPA समझौते वार्ता के नियमों एवं शर्तों के मामले में लचीलेपन की पेशकश करते हैं, जहाँ संलग्न पक्षकार अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं एवं हितों के अनुरूप समझौते की रूपरेखा तय कर सकते हैं।
  • परस्पर लाभ:
    • TEPA समझौते किसी एक पक्ष में झुके होने के बजाय दोनों पक्षों के लिये परस्पर लाभ को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से डिज़ाइन किये गए हैं।
    • इसका अर्थ यह है कि दोनों पक्षों को समझौते से लाभ प्राप्त होगा, जहाँ व्यापार और निवेश में वृद्धि से आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन में वृद्धि होगी।
  • प्रबल प्रावधान:
    • TEPA समझौतों में प्रायः श्रम एवं पर्यावरण मानकों पर प्रबल प्रावधानों के साथ-साथ विवाद निपटान और प्रवर्तन तंत्र के प्रावधान शामिल होते हैं।

TEPA के संभावित लाभ

  • संवृद्ध व्यापार:
    • भारत और EFTA राज्यों के बीच एक TEPA का संपन्न होना ऐसे विश्वसनीय लोकतांत्रिक भागीदारों के बीच मज़बूत भागीदारी का समर्थन और व्यापार की वृद्धि करेगा जो सतत विकास और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने जैसे मूल्यों को साझा करते हैं।
    • भारत के प्रभावशाली आर्थिक विकास और हरित प्रौद्योगिकियों में इसकी अग्रणी स्थिति को EFTA राज्यों के पूरक समर्थन से लाभ प्राप्त होगा, जहाँ व्यापार एवं निवेश संबंध सशक्त बनेंगे।
  • बाज़ार तक पहुँच:
    • माल के लिये बेहतर बाज़ार पहुँच EFTA बाज़ारों में भारत की निर्यात क्षमता को बढ़ावा देगी, जहाँ EFTA के निर्यात उत्पाद प्रायः भारतीय निर्यात उद्योगों में इनपुट के रूप में कार्य करते हैं।
  • निवेश की वृद्धि:
    • EFTA राज्यों ने भारत में मशीनरी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और धातु, फार्मास्यूटिकल्स, बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा, निर्माण और फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) जैसे क्षेत्रों में 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का महत्त्वपूर्ण निवेश किया है।
    • TEPA से भारत में निवेश में व्यापक वृद्धि होने का अनुमान है।
  • परस्पर लाभ:
    • EFTA राज्य अत्यधिक कुशल भारतीय कार्यबल से, विशेष रूप से सेवा क्षेत्र में, लाभान्वित होते हैं।
    • भारत EFTA राज्यों द्वारा स्थापित 400 से अधिक कंपनियों से लाभान्वित होता है, जो 1,50,000 से अधिक नौकरियाँ सृजित करते हैं।
    • व्यापार समझौते से सेवा क्षेत्र में पूर्वानुमेयता बढ़ेगी, जिससे कुशल भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिये अधिक व्यावसायिक अवसर उत्पन्न होंगे।
  • नवीकरणीय प्रौद्योगिकियाँ:
    • भारत वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के 50% की पूर्ति नवीकरणीय स्रोतों से करने का लक्ष्य रखता है जहाँ सौर, पवन, पनबिजली और भू-तापीय ऊर्जा में परियोजनाओं एवं सहयोग को आगे बढ़ाने की क्षमता है।
    • EFTA राज्य अपनी अत्याधुनिक तकनीकों के साथ भारत की हरित विकास आकांक्षाओं में योगदान कर सकते हैं।

संबद्ध चुनौतियाँ

  • आर्थिक संरचनाओं में व्याप्त अंतर को संबोधित करना:
    • EFTA राज्य उच्च तकनीकी उद्योगों एवं सेवाओं पर केंद्रित होने के साथ अत्यधिक विकसित अर्थव्यवस्थाएँ हैं, जबकि भारत एक अधिक विविध आर्थिक संरचना संपन्न विकासशील अर्थव्यवस्था है।
    • TEPA पर समझौता वार्ता संपन्न करने में इन विभिन्न आर्थिक संरचनाओं के बीच के अंतराल को भरना चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकता है।
  • बाज़ार पहुँच की चुनौतियाँ:
    • समझौते को बाज़ार पहुँच संबंधी मुद्दों और टैरिफ, कोटा एवं गैर-टैरिफ बाधाओं से संबंधित चिंताओं को संबोधित करना होगा ताकि पक्षकारों के बीच मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार को सुनिश्चित किया जा सके।
  • नियामक चुनौतियाँ:
    • विनियमों, मानकों और विधिक ढाँचे में अंतर एक सहज व्यापारिक संबंध स्थापित करने में चुनौती उत्पन्न कर सकता है।
    • विनियामक बाधाओं को दूर करना और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना समय लेने वाली प्रक्रिया सिद्ध हो सकती है और इसके लिये पक्षकारों के बीच व्यापक सहयोग की आवश्यकता होगी।
  • प्रतिस्पर्द्धी चुनौतियाँ:
    • EFTA राज्य छोटे हैं, लेकिन उनकी अर्थव्यवस्थाएँ अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी हैं, विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स, जैव प्रौद्योगिकी और मशीनरी निर्माण जैसे क्षेत्रों में।
    • एक समान अवसर और निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के लिये प्रतिस्पर्द्धी चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।
  • पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियाँ:
    • पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों को संबोधित करना (जैसे सतत विकास और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना) पक्षकारों के बीच दीर्घकालिक और सफल साझेदारी स्थापित करने हेतु महत्त्वपूर्ण है।
  • वार्ता संबंधी चुनौतियाँ:
    • संलग्न सभी पक्षों के हितों की पूर्ति करने वाले पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते पर वार्ता संपन्न करना चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकता है।
    • इसमें अनसुलझे मुद्दों को संबोधित करना और प्रबल राजनीतिक भागीदारी एवं मार्गदर्शन के साथ संतुलित समझौता करना शामिल है।

आगे की राह

  • अनसुलझे मुद्दों को संबोधित करना:
    • EFTA और भारत के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों को ऐसे किसी भी अनसुलझे मुद्दे को हल करने की दिशा में कार्य करना चाहिये जो पारस्परिक रूप से लाभकारी TEPA को संपन्न करने में बाधक बन सकते हैं।
  • पारस्परिक लाभ के क्षेत्रों की पहचान करना:
    • व्यापार और निवेश संबंधों को आगे बढ़ाने के लिये संलग्न पक्षकारों को पारस्परिक लाभ के क्षेत्रों (जैसे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, R&D एवं नवाचार, व्यापार सहयोग और वस्तुओं के लिये बाज़ार पहुँच) की पहचान करनी चाहिये।
  • कुशल श्रम पर सहकार्यता:
    • TEPA को सेवा क्षेत्र में अनुमेयता बढ़ाने, कुशल भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिये अधिक व्यावसायिक अवसर पैदा करने और दोनों पक्षों के आर्थिक विकास एवं कल्याण में योगदान देने पर भी ध्यान देना चाहिये।
  • प्रबल राजनीतिक भागीदारी और मार्गदर्शन:
    • भारत और EFTA को TEPA वार्ताओं को प्राथमिकता देनी चाहिये तथा एक संतुलित समझौते की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ने के लिये प्रबल राजनीतिक भागीदारी और मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: भारत और EFTA राज्यों के बीच एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) के संभावित लाभों पर चर्चा करें तथा बताएँ कि यह दोनों पक्षों के आर्थिक विकास एवं कल्याण में कैसे योगदान कर सकता है।

 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2018)

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2. कनाडा
  3. चीन
  4. भारत
  5. जापान
  6. अमेरीका

उपर्युक्त में से कौन आसियान के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में से हैं?

(A) 1, 2, 4 और 5
(B) 3, 4, 5 और 6
(C) 1, 3, 4 और 5
(D) 2, 3, 4 और 6

उत्तर: (C)

व्याख्या:

  • एसोसिएशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के छह भागीदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौते हैं अर्थात् पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, कोरिया गणराज्य, जापान, भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड। अतः 1, 3, 4 और 5 सही हैं।
  • आसियान की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान घोषणापत्र (बैंकाक घोषणा) पर आसियान के संस्थापकों, अर्थात् इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड द्वारा हस्ताक्षर किये जाने के साथ हुई थी। ब्रुनेई दारुस्सलाम 7 जनवरी, 1984 को, वियतनाम 28 जुलाई, 1995 को, लाओ पीडीआर और म्याँमार 23 जुलाई, 1997 को और कंबोडिया 30 अप्रैल, 1999 को शामिल हुए, जो आज आसियान के दस सदस्य देश हैं।
  • अत: विकल्प (C) सही उत्तर है।
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