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भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रत्यक्ष कर में वृद्धि कितनी कारगर?

  • 24 Oct 2018
  • 9 min read

संदर्भ

पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा कर आधार को बढ़ाने के क्रम में उठाए गए कदम अंततः लाभदायक हो सकते हैं। हाल ही में केद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Tax- CBDT) द्वारा जारी आँकड़ों के के अनुसार, पिछले चार वित्तीय वर्षों में देश में दायर कर रिटर्न की कुल संख्या में 80% से अधिक वृद्धि हुई है। कर आधार में वृद्धि किसी भी सरकार के लिये स्पष्ट रूप से अच्छी खबर है वो ऐसी सरकार के लिये जिसने अपने कार्यकाल की शुरुआत से कर संग्रह में सुधार करने का अपना इरादा घोषित कर दिया हो। 

केद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अनुसार

  • वित्तीय वर्ष 2013-14 में यह संख्या 3.79 करोड़ थी जबकि 2017-18 में यह संख्या 6.85 करोड़ है। 
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में जीडीपी के अनुपात में प्रत्यक्ष कर बढ़कर 5.98% हो गया, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक है। 
  • व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट करदाताओं द्वारा रिपोर्ट की गई औसत आय में पिछले तीन वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 18% अधिक है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxation)

वर्ष 1963 में ‘केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963’ (Central Board of Revenue Act, 1963) के माध्यम से केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन दो संस्थाओं का गठन किया गया था, जो निम्नलिखित हैं- 

  1. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxation) 
  2. केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Excise and Customs) 

ये दोनों ही संस्थाएँ ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) हैं। 

इनमें से CBDT. प्रत्यक्ष करों से संबंधित नीतियों एवं योजनाओं के संबंध में महत्त्वपूर्ण इनपुट प्रदान करने के साथ-साथ आयकर विभाग की सहायता से प्रत्यक्ष करों से संबंधित कानूनों का प्रशासन करता है। वहीं CBEC भारत में सीमा शुल्क (custom duty), केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty), सेवा कर (Service Tax) तथा नारकोटिक्स (Narcotics) के प्रशासन के लिये उत्तरदायी नोडल एजेंसी है।

सरकार द्वारा कर में वृद्धि के लिये किये गए कुछ प्रमुख उपाय

कर अनुपालन में इस वृद्धि के लिये केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों को जिम्मेदार ठहराया गया है सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में आय के स्रोतों के बारे में जानकारी एकत्रित करना, रिफंड में आसानी और अन्य कर अनुपालन लागत को कम करना शामिल है। 

  • 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी की शुरुआत। इस नई कर व्यवस्था के तहत 17 केंद्रीय और राज्य करों को समाहित किया गया।
  • केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद द्वारा कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय भी लिये गए तथा इस परिषद के अंतर्गत राज्य वित्त मंत्रियों को सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
  • ब्लैक मनी (अज्ञात विदेशी आय एवं संपत्ति) और कर अधिनियम, 2015 का कार्यान्वयन एवं प्रभाव।
  • करदाताओं द्वारा अपनी अज्ञात विदेशी संपत्ति की घोषणा करने के लिये 1 जुलाई से 30 सितंबर, 2015 तक का समय प्रदान किया गया, जिसके तहत एकल खिड़की के ज़रिये 640 से अधिक लोगों ने 4,100 करोड़ रुपए से अधिक की अज्ञात विदेशी संपत्ति की घोषणा की।
  • 2016 में आय घोषणा योजना (Income Declaration Scheme-IDS) के माध्यम से अज्ञात आय की घोषणा करने हेतु एकल खिड़की की सुविधा प्रदान की गई, विमुद्रीकरण के पश्चात् प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana-PMGKY) के अंतर्गत भी इसी का अनुसरण किया गया।
  • आईडीएस के तहत 71,000 से अधिक लोगों द्वारा 67,300 करोड़ रुपए की अज्ञात आय की घोषणा की गई, जबकि पीएमजीकेवाई के तहत लगभग 21,000 लोगों द्वारा तकरीबन 4,900 करोड़ रुपए की घोषणा की गई।
  • बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम, 1988 में संशोधन किया गया। इसके तहत 900 से अधिक संपत्तियों के मामलों को अस्थायी रूप से संलग्न किया गया।
  • 1 अप्रैल, 2017 से गार (General Anti-Avoidance Rules-GAAR) का कार्यान्वयन किया गया। 
  • मॉरीशस के साथ डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (Double Taxation Avoidance Agreement-DTAA) में संशोधन किया गया, जिसके तहत भारत को किसी मॉरीशियन टैक्स निवासी द्वारा अधिग्रहित भारतीय कंपनी के शेयरों की बिक्री या हस्तांतरण से उत्पन्न पूंजीगत लाभ पर कर वसूलने का अधिकार दिया।

सरकार द्वारा एकत्रित कुल कर राशि में प्रत्यक्ष करों का योगदान

  • सरकार द्वारा एकत्रित करों की कुल राशि में प्रत्यक्ष करों का योगदान वर्तमान में 52.2 9% है, उल्लेखनीय है की करों की कुल राशि में प्रत्यक्ष करों का योगदान इस सरकार के सत्ता में आने के समय के योगदान की तुलना कम है।
  • वास्तव में, इस वर्ष को छोड़कर, 2013-14 के बाद से प्रत्यक्ष करों की हिस्सेदारी में हर साल कमी आई। 
  • वित्तीय वर्ष 2009 -10  में सरकार द्वारा एकत्रित कुल कर राशि में प्रत्यक्ष करों का योगदान 60%  था उसकी तुलना में वर्तमान में प्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी बहुत कम है।
  • दूसरे शब्दों में, पिछले कुछ वर्षों में कुल कर संग्रह में जो वृद्धि हुई है उसमें अधिकाँश हिस्सा अप्रत्यक्ष कर संग्रह से आया है।
  • इस वर्ष अप्रत्यक्ष करों के संग्रह की तुलना में प्रत्यक्ष कर संग्रह की दर उच्च पाई गई। 

प्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी में वृद्धि से लाभ

  • भविष्य में प्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी में और अधिक वृद्धि से सरकार को उन प्रतिकूल अप्रत्यक्ष करों को कम करने में मदद मिलेगी जो गरीबों के ऊपर एक बड़ा बोझ होती है।
  • प्रत्यक्ष कर आर्थिक दक्षता के दृष्टिकोण से भी बेहतर विकल्प हैं क्योंकि वे वस्तु एवं सेवा कर जैसे अप्रत्यक्ष करों के गंभीर विरूपण प्रभाव से बचने में मदद करते हैं।

आगे की राह

  • यदि भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में अपना स्थान बरकरार रखना चाहता है तो वैश्विक कर प्रतिस्पर्धा में वृद्धि के दौरान भारत को कॉर्पोरेट कर दरों को कम करने के दबाव का सामना करना पड़ सकता है। 

निष्कर्ष

भारत में कर प्रणाली एक जटिल मुद्दा रही है लेकिन अब सरकार के विभिन्न प्रयासों के बाद कर प्रणाली अगले चरण में प्रवेश कर चुकी है। सरकार को कर प्रणाली को और सरल तथा सबके लिये उपयोगी बनाने के साथ प्रत्यक्ष कर से होने वाली आय में वृद्धि के लिये इससे जुड़े सभी संबंधित पक्षों को अपने दायरे में शामिल करना चाहिये। वर्तमान संदर्भों और विविध आँकड़ों के विश्लेषण के माध्यम से कर द्वारा एकत्रित राशि में प्रत्यक्ष कर को बढ़ाने के और प्रयास किये जा सकते हैं।

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