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कृषि

विश्व मधुमक्खी दिवस

  • 23 May 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व मधुमक्खी दिवस, मधुमक्खी पालक, जलवायु परिवर्तन, मधुमक्खी, FAO

मेन्स के लिये:

किसानों की आय दोगुनी करना, मीठी क्रांति, मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना

चर्चा में क्यों? 

विश्व मधुमक्खी दिवस प्रतिवर्ष 20 मई को मनाया जाता है। 

विश्व मधुमक्खी दिवस: 

  • परिचय: 
    • यह दिन आधुनिक मधुमक्खी पालन के अग्रणी एंटोन जनसा की जयंती का प्रतीक है।
    • एंटोन जनसा स्लोवेनिया में मधुमक्खी पालकों के एक परिवार से हैं, जहांँ मधुमक्खी पालन एक महत्त्वपूर्ण कृषि गतिविधि है, जिसकी एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है।  
      • एंटोन ने यूरोप के पहले मधुमक्खी पालन स्कूल में दाखिला लिया और मधुमक्खी पालक के रूप में पूर्णकालिक काम किया।
        • उनकी पुस्तक 'डिस्कशन ऑन बी-कीपिंग' भी जर्मन में प्रकाशित हुई थी।
  • 2022 के लिये थीम: 
    • “बी एंगेज्ड: मधुमक्खियों और मधुमक्खी पालन प्रणालियों की विविधता का जश्न मनाना" (Bee Engaged: Celebrating the diversity of bees and beekeeping systems)।

मधुमक्खी पालन का महत्त्व: 

  • महत्त्वपूर्ण परागणकर्त्ता:
    • मधुमक्खियांँ सबसे महत्त्वपूर्ण परागणकों में से हैं, जो खाद्य और खाद्य सुरक्षा, टिकाऊ कृषि और जैव विविधता सुनिश्चित करती हैं।
  • जलवायु परिवर्तन के शमन में योगदान:
    • मधुमक्खियांँ जलवायु परिवर्तन को कम करने और पर्यावरण के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।
    • दीर्घावधि में मधुमक्खियों का संरक्षण और मधुमक्खी पालन क्षेत्र गरीबी एवं भूख को कम करने में मदद कर सकता है, साथ ही एक स्वस्थ पर्यावरण व जैव विविधता सुनिश्चित करने में सहायक हो सकता है।
  • सतत् कृषि और ग्रामीण रोज़गार सृजित करना:
    • सतत् कृषि और ग्रामीण रोज़गार सृजित करने की दृष्टि से भी मधुमक्खी पालन महत्त्वपूर्ण है।
    • परागण द्वारा वे कृषि उत्पादन में वृद्धि करते हैं, इस प्रकार खेतों में विविधता एवं बहुरूपता बनाए रखते हैं।
    • इसके अलावा वे लाखों लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं और किसानों की आय का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
  • किसानों की आय दोगुनी करने के भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना:
    • खाद्य और कृषि संगठन के डेटाबेस के अनुसार, वर्ष 2017-18 में भारत शहद उत्पादन (64.9 हज़ार टन) के मामले में दुनिया में आठवें स्थान पर था, जबकि चीन (551 हज़ार टन के उत्पादन के साथ) पहले स्थान पर था।
    • इसके अलावा किसानों की आय को दोगुना करने के वर्ष 2022 के लक्ष्य को प्राप्त करने में मधुमक्खी पालन महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

भारत में मधुमक्खी पालन की स्थिति:

  • विश्व स्तर पर मधुमक्खी पालन बाज़ार का अनुमान है कि 2020-25 की अवधि के दौरान एशिया-प्रशांत द्वारा प्रमुख उत्पादक के रूप में 4.3% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की जाएगी।
  • भारतीय मधुमक्खी पालन बाज़ार वर्ष 2024 तक 33,128 मिलियन रुपए तक पहुंँचने की उम्मीद है, जो लगभग 12 प्रतिशत की CAGR से बढ़ रहा है।  
  • भारत छठा प्रमुख प्राकृतिक शहद निर्यातक देश है। 
    • वर्ष 2019-20 के दौरान 633.82 करोड़ रुपए के प्राकृतिक शहद का रिकॉर्ड निर्यात किया गया जो कि 59,536.75 मीट्रिक टन था। प्रमुख निर्यात गंतव्य संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, कनाडा और कतर थे।
    • जैविक मधुमक्खी पालन दिशा-निर्देशों को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में जैविक शहद की मांग का लाभ उठाया जा सकता है।
  • इस क्षेत्र के प्रचार-प्रसार के लिये मधुमक्खी पालन के परिदृश्य और प्रजातियों का व्यावसायिक स्तर पर विस्तार किया जा सकता है।

संबंधित पहल:

  • 'मीठी क्रांति':
    • यह मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसे 'मधुमक्खी पालन' '(Beekeeping) के नाम से जाना जाता है।
    • मीठी क्रांति को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा वर्ष 2020 में (कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत) राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन शुरू किया गया।
      • राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन का लक्ष्य 5 बड़े क्षेत्रीय एवं 100 छोटे शहद व अन्य मधुमक्खी उत्पाद परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित करना है।
      • इनमें में से 3 विश्व स्तरीय अत्याधुनिक प्रयोगशालाएंँ स्थापित की गई हैं, जबकि 25 छोटी प्रयोगशालाएंँ स्थापित होने की प्रक्रिया में हैं।
  • प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना:
    • भारत प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिये मधुमक्खी पालकों को भी सहायता प्रदान कर रहा है।
    • देश में 1.25 लाख मीट्रिक टन से अधिक शहद का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें से 60 हज़ार मीट्रिक टन से अधिक प्राकृतिक शहद का निर्यात किया जाता है।
  • वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाना: 
    • घरेलू शहद की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं वैश्विक बाज़ार को आकर्षित करने के लिये भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग के माध्यम से मधुमक्खी पालकों के क्षमता निर्माण पर सहयोग एवं ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

मधुमक्खियों की मुख्य विशेषताएँ:

  • दुनिया में मधुमक्खियों की लगभग 20,000 विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • मधुमक्खियाँ कॉलोनी में रहती हैं एवं प्रत्येक कॉलोनी में तीन प्रकार की मधुमक्खियाँ होती हैं, रानी मधुमक्खी, श्रमिक मधुमक्खी और नर मधुमक्खी।
    • श्रमिक और रानी दोनों ही मादा मधुमक्खी होती हैं, लेकिन केवल रानी मधुमक्खी ही प्रजनन कर सकती है। 
  • श्रमिक मधुमक्खियाँ कॉलोनी को साफ करती हैं, पराग और फूलों के रस का संग्रहण करती हैं तथा कॉलोनी की अन्य मधुमक्खियों का भरण-पोषण करती हैं एवं संतानों की देखभाल करती हैं। नर मधुमक्खी का एकमात्र कार्य अपने छत्ते की अनुवांशिकता को बढ़ाना है।   
  • भारत, सात मधुमक्खी प्रजातियों में से चार का घर है।
    • इनमें से दो पालतू हैं, एपिस सेराना (ओरिएंटल हनी बी) और एपिस मेलिफेरा (यूरोपियन हनी बी) तथा अन्य दो जंगली, एपिस डोरसाटा (जायंट/रॉक हनी बी) और एपिस फ्लोरिया (ड्वार्फ हनी बी) हैं।

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. जीवों के निम्नलिखित प्रकारों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. चमगादड़ 
  2. मधुमक्खी
  3. पक्षी

उपर्युक्त में से कौन-सा/से परागणकारी है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: D

व्याख्या:

  • परागण एक पौधे के नर भाग से पौधे के मादा भाग में पराग का स्थानांतरण है, इस प्रकार यह निषेचन और बीज के उत्पादन को सक्षम बनाता है, यह प्रक्रिया सजीव कारकों या हवा द्वारा संपन्न होती है।
  • परागणकारी प्रजातियों में कीड़े, पक्षी, मधुमक्खियाँ और चमगादड़ शामिल हैं , जबकि अन्य कारकों में पानी, हवा तथा यहाँ तक कि खुद पौधे (एक ही फूल के भीतर स्व-परागण) भी शामिल होते हैं। अत: कथन 1, 2 और 3 सही हैं।
  • परागण अक्सर समान प्रकार की प्रजाति के मध्य ही होता है परंतु जब यह विभिन्न प्रजातियों के बीच होता है तो यह प्रकृति में और पौधों के प्रजनन द्वारा संकर संतानों की उत्पत्ति कर सकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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