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सामाजिक न्याय

ऑनलाइन शिक्षा का संकट

  • 24 Nov 2020
  • 3 min read

प्रिलिम्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण नहीं

मेन्स के लिये:

ऑनलाइन शिक्षा से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय (Azim Premji University) द्वारा ई-लर्निंग की प्रभावकारिता और पहुँच पर किये गए अध्ययन ने देश में ऑनलाइन शिक्षा में शामिल विभिन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला है।

प्रमुख बिंदु:

  • छात्र विशिष्ट निष्कर्ष:
    • छात्रों की ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुँच की कमी के कारण:
      • उपयोग या साझा करने के लिये स्मार्टफोन की गैर-उपलब्धता या अपर्याप्त संख्या।
      • ऑनलाइन सीखने के लिये एप्लिकेशन का उपयोग करने में कठिनाई।
      • दिव्यांग बच्चों को ऑनलाइन सत्र में भाग लेना अधिक कठिन लगा।
  • माता-पिता विशिष्ट निष्कर्ष:
    • सर्वे के अनुसार, सरकारी स्कूल के छात्रों के 90% अभिभावक इस स्थिति में अपने बच्चों को वापस स्कूल भेजने के लिये तैयार थे यदि उनके बच्चों की सेहत का ख्याल रखा जाएगा।
    • सर्वेक्षण में शामिल 70% माता-पिताओं का मानना था कि ऑनलाइन कक्षाएँ प्रभावी नहीं रहीं और उनके बच्चों के सीखने में भी सहायक नहीं रहीं।
  • शिक्षक विशिष्ट निष्कर्ष:
    • ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान शिक्षकों की मुख्य समस्या एकतरफा संचार का होना थी, जिसमें उनके लिये यह आकलन करना मुश्किल हो गया था कि छात्र समझ भी पा रहे हैं या नहीं कि उन्हें क्या पढ़ाया जा रहा है।
    • सर्वेक्षण में शामिल 80% से अधिक शिक्षकों ने कहा कि वे ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान छात्रों के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखने में असमर्थ थे, जबकि 90% शिक्षकों ने महसूस किया कि बच्चों के सीखने का कोई सार्थक आकलन संभव नहीं था।
    • सर्वे में 50% शिक्षकों ने बताया कि बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान साझा किये गए असाइनमेंट को पूरा करने में असमर्थ थे, जिसके कारण सीखने में गंभीर कमी आई है।
    • सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि लगभग 75% शिक्षकों ने औसतन, किसी भी ग्रेड के लिये ऑनलाइन कक्षाओं में एक घंटे से भी कम का समय दिया है।
    • कुछ शिक्षकों ने यह भी बताया कि वे ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफार्मों के माध्यम से पढ़ाने में समर्थ नहीं थे।
    • सर्वेक्षण में आधे से अधिक शिक्षकों ने साझा किया कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और शिक्षण के तरीकों पर उनका ज्ञान और उपयोगकर्ता-अनुभव अपर्याप्त था।

स्रोत: द हिंदू

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