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शासन व्यवस्था

श्रेयस योजना

  • 28 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministery of Human Resources Development) ने उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के लिये श्रेयस (Scheme for Higher Education Youth in Apprenticeship and Skills-SHREYAS) कार्यक्रम की शुरुआत की। इस योजना से युवाओं को रोज़गार प्राप्त करने और देश की प्रगति में योगदान करने में सहायता मिलेगी।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (National Apprenticeship Promotional Scheme-NAPS) के माध्यम से आने वाले सत्र के सामान्य स्नातकों को उद्योग शिक्षुता अवसर प्रदान करने के लिये उच्च शिक्षा के युवाओं के लिये प्रशिक्षण और कौशल (SHREYAS) की योजना शुरू की गई है।
  • वर्तमान समय में कौशल के साथ शिक्षा समय की आवश्यकता है। SHREYAS कार्यक्रम इस दिशा में एक बड़ा प्रयास होगा।
  • देश के डिग्रीधारी छात्रों को अर्थव्यवस्था की जरूरतों के लिये अधिक कुशल, सक्षम, रोज़गारपरक और संगठित किये जाने की आवश्यकता है ताकि वे देश की प्रगति में अधिकतम योगदान कर सकें और लाभकारी रोज़गार भी प्राप्त कर सकें।
  • SHREYAS कार्यक्रम में तीन केंद्रीय मंत्रालयों की पहल शामिल है - मानव संसाधन विकास मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय और श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय। साथ ही इस कार्यक्रम में सभी राज्यों से सहयोग की भी अपेक्षा की गई है।
  • इस दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय और कौशल विकास के लिये विज्ञान और उद्यमिता के क्षेत्र में 7 अन्य अपरेंटिसशिप पाठ्यक्रम को BBA (Bachelor of Business Administration) और BVoc (Bachelor of Vocation) पाठ्यक्रम के साथ संलग्न किया गया है।
  • 6 क्षेत्रीय कौशल परिषदों – सूचना प्रौद्योगिकी (IT), रिटेल (Retail), लॉजिस्टिक्स (Logistics), टूरिज़्म (Tourism), BFSI (Banking, Financial Services and Insurance), फूड प्रोसेसिंग (Food Processing) ने कौशल विकास के क्षेत्र में बढ़त बना ली है।
  • वर्तमान में चल रहे अधिकतर पाठ्यक्रमों में हेल्थकेयर (Healthcare), इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) और मीडिया क्षेत्र (Media Sectors) शामिल हैं।

SHREYAS कार्यक्रम के उद्देश्य

इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं -

  • उच्च शिक्षा प्रणाली सीखने की प्रक्रिया के दौरान छात्रों में रोज़गार प्रासंगिकता की शुरुआत कर उनकी क्षमता में सुधार करना।
  • स्थायी तौर पर शिक्षा और उद्योग/सेवा क्षेत्रों के बीच सकारात्मक कार्य करना।
  • छात्रों को समय की मांग के अनुसार प्रगतिशील तरीके से कौशल प्रदान करना।
  • उच्च शिक्षा के दौरान सीखने के साथ आय अर्जन सुनिश्चित करना।
  • अच्छी गुणवत्ता वाली जनशक्ति सुनिश्चित करके व्यापार/उद्योग क्षेत्र में सहयोग करना।
  • सरकार के प्रयासों को सुविधाजनक बनाने के साथ ही छात्र समुदाय को रोज़गार से जोड़ना।

स्रोत – PIB

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