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सड़क दुर्घटनाओं पर विश्व बैंक की रिपोर्ट

  • 17 Feb 2021
  • 10 min read

हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री द्वारा  ‘ट्रैफिक क्रैश इंजरी एंड डिसएबिलिटीज़: द बर्डन ऑन इंडिया सोसाइटी’ (Traffic Crash Injuries And Disabilities: The Burden on India Society) शीर्षक से विश्व बैंक (World Bank) की रिपोर्ट जारीकी गई है।

  • इस रिपोर्ट को एनजीओ- सेव लाइफ फाउंडेशन (Save Life Foundation) के सहयोग से तैयार किया गया है। 
  • सर्वेक्षण में शामिल किये गए आँकड़ों को भारत के चार राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु और महाराष्ट्र से एकत्र किया गया था।

प्रमुख  बिंदु:

सड़क दुर्घटना के कारण मृत्यु के वैश्विक आँकड़े:

  • सड़क यातायात के कारण चोटिल (Road Traffic Injuries- RTIs) होना मृत्यु का आठवाँ प्रमुख कारण है।
  • सड़क दुर्घटना मृत्यु दर (Road Crash Fatality Rate) उच्च आय वाले देशों की तुलना में निम्न आय वाले देशों में तीन गुना अधिक है ।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतें:

  • सड़क दुर्घटनाओं के कारण विश्व भर में होने वाली कुल मौतों में से 11% मौतें भारत में होती हैं, जो कि विश्व में सर्वाधिक है।
  • प्रतिवर्ष लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं, जिसमें 1.5 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है।

सड़क दुर्घटनाओं के आर्थिक प्रभाव:

  • अनुमानित आर्थिक नुकसान सकल घरेलू उत्पाद ( Gross Domestic Product- GDP) का 3.14%, है जो कि देश में सड़क दुर्घटनाओं की पर्याप्त रिपोर्टिंग की कमी को दर्शाता है।
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) का अनुमान -
    • सड़क दुर्घटनाओं की सामाजिक-आर्थिक लागत सकल घरेलू उत्पाद के  0.77% के बराबर है।
    • सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों में से 76.2% लोग 18-45 वर्ष की  आधारभूत कार्यशील आयु (Prime Working-Age) वर्ग के हैं।

सामाजिक प्रभाव:

  • परिवारों पर भार:
    • सड़क दुर्घटना तथा इससे होने वाली मृत्यु ने व्यक्तिगत स्तर पर जहाँ आर्थिक दृष्टि से मज़बूत परिवारों के गंभीर वित्तीय बोझ में वृद्धि की है वहीं उन परिवारों को कर्ज़ लेने के लिये बाध्य किया है जो पहले से ही गरीब हैं।
    • सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु की वजह से गरीब परिवारों की लगभग सात माह की घरेलू आय कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित परिवार गरीबी और कर्ज़ के चक्र में फँस जाता है।
  • संवेदनशील सड़क उपयोगकर्त्ता (VRUs):
    • संवेदनशील सड़क उपयोगकर्त्ता (Vulnerable Road Users- VRUs) वर्ग द्वारा दुर्घटनाओं के बड़े बोझ को सहन किया जाता है। देश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों और गंभीर चोटों के कुल मामलों में से आधे से अधिक हिस्सेदारी VRUs वर्ग की है।
      • VRUs वर्ग में सामान्यत: गरीब विशेष रूप से कामकाज़ी उम्र के पुरुष जिनके द्वारा सड़क का उपयोग किया जाता  है, को शामिल किया जाता है।
      • अनौपचारिक क्षेत्र की गतिविधियों में आकस्मिक श्रमिकों के रूप में कार्यरत दैनिक वेतन पर कार्य करने वाले श्रमिक और कर्मचारी, नियमित गतिविधियों में लगे श्रमिकों की तुलना में सड़क दुर्घटना के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
    • भारत में संवेदनशील वर्ग को कम संवेदनशील वर्ग के साथ सडक साझा करने के लिये बाध्य किया जाता है। अत: ऐसी स्थिति में एक व्यक्ति की आय पर उसके द्वारा  उपयोग किये जाने परिवहन खर्च का प्रत्यक्ष भार पड़ता है।

लिंग विशिष्ट प्रभाव

  • गरीब और अमीर दोनों ही पीड़ित परिवारों की महिलाएँ घर की ज़िम्मेदारी/भार उठाने हेतु अक्सर अतिरिक्त कार्य करती हैं, उनके द्वारा  ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करने के उद्देश्य से घरेलू गतिविधियों में अधिक योगदान दिया जाता है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना के बाद घरेलू आय में कमी आने के कारण लगभग 50% महिलाएंँ बुरी तरह प्रभावित हुईं।
    • लगभग 40% महिलाओं द्वारा दुर्घटना के कारण अपने कार्य को परिवर्तित किया गया, जबकि लगभग 11% महिलाओं द्वारा  वित्तीय संकट से निपटने हेतु अतिरिक्त कार्य किया गया।
  • ग्रामीण-शहरी विभाजन:
    • निम्न आय वाले शहरी (29.5%) और उच्च आय वाले ग्रामीण परिवारों (39.5%) की तुलना में निम्न-आय वाले ग्रामीण परिवारों (56%) की आय में काफी अधिक गिरावट देखी गई।

वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदम:

  • सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा (2015):
    • ब्राज़ील में आयोजित दूसरे वैश्विक उच्च-स्तरीय सम्मेलन में सड़क सुरक्षा हेतु घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये गए थे। इस घोषणापत्र  पर भारत ने भी हस्ताक्षर किये हैं।
    • देशों ने वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्य 3.6 (Sustainable Development Goal 3.6) अर्थात्  वैश्विक मौतों की संख्या और सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली चोटों की संख्या को आधा करने की योजना बनाई है।
  • सड़क सुरक्षा हेतु दशक:
    • संयुक्त राष्ट्र ( United Nations- UN) ने वर्ष 2011-2020 को सड़क सुरक्षा हेतु कार्रवाई के दशक के रूप में घोषित किया है।
  • संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह:
    • इसका आयोजन हर दो वर्ष में किया जाता है। इसके पाँचवें संस्करण (6-12 मई, 2019 से आयोजित) में  सड़क सुरक्षा के लिये मज़बूत नेतृत्व की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
  • अंतर्राष्ट्रीय सड़क मूल्यांकन कार्यक्रम (iRAP):
    • यह सुरक्षित सड़कों के माध्यम से लोगों की जान बचाने हेतु समर्पित एक पंजीकृत अनुदान है।

भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019:
    • यह अधिनियम यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, नाबलिकों द्वारा वाहन चलाने आदि के लिये दंड की मात्रा में वृद्धि करता है।
    • यह अधिनियम मोटर वाहन दुर्घटना हेतु निधि प्रदान करता है जो भारत में कुछ विशेष प्रकार की दुर्घटनाओं पर  सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को अनिवार्य बीमा कवरेज प्रदान करता है।
    • अधिनियम एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड को मंज़ूरी प्रदान करता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से स्थापित किया  जाना है।
    • यह मदद करने वाले व्यक्तियों के संरक्षण का भी प्रावधान करता है। 

आगे की राह:  

  • जीवन को सुरक्षित करने तथा पीड़ितों और उनके परिवारों की जिंदगी को वापस पटरी पर लाने के उद्देश्य से सुधार हेतु नीति-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें तत्काल वित्तीय, चिकित्सा और कानूनी सहायता प्रदान करना शामिल है।
  • जिन क्षेत्रों में तत्काल सुधार की आवश्यकता है, उनमें दुर्घटना के बाद आपातकालीन देखभाल और प्रोटोकॉल, बीमा कवरेज और मुआवज़ा प्रणाली शामिल है।
  • मौजूदा सुरक्षा प्रणाली में नीति निर्माताओं और संबंधित राज्य सरकारों को पूर्ण नीति निर्धारण को प्राथमिकता देने एवं सड़क सुरक्षा हेतु बेहतर प्रदर्शन के उद्देश्य से स्थायी समाधान उन्मुख, समावेशी उपायों को लागू करने की आवश्यकता है।

स्रोत: पी.आई.बी  

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