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भारतीय विरासत और संस्कृति

पट्टनम साइट

  • 05 Apr 2023
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पुरातत्त्व स्थल, मुज़िरिस, ग्रीको-रोमन शास्त्रीय युग, दक्षिण भारतीय सभ्यता।

मेन्स के लिये:

पट्टनम साइट।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केरल में पट्टनम साइट पर हुए कुछ उत्खनन से पता चला है कि पट्टनम 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 5वीं शताब्दी ईस्वी तक एक संपन्न शहरी केंद्र था। 

पट्टनम साइट के प्रमुख बिंदु:

  • परिचय: 
    • मध्य केरल में स्थित पट्टनम, भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी तट पर एकमात्र बहु-सांस्कृतिक पुरातात्त्विक स्थल है।
    • साइट पर हुए उत्खनन से अभी तक मात्र 1% से भी कम का खुलासा हुआ है, किंतु साक्ष्यों से पता चला है कि यह 5वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास यह एक संपन्न शहरी केंद्र था जिसका चरम चरण 100 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक था।  
    • इसे मुज़िरिस के रूप में जाना जाता था, जो हिंद महासागर का "पहला बाज़ार" था, जिसमें ग्रीको-रोमन शास्त्रीय युग और प्राचीन दक्षिण भारतीय सभ्यता के मध्य मज़बूत सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक आदान-प्रदान था। 
      • माना जाता है कि मुज़िरिस नाम की उत्पत्ति तमिल शब्द "मुकिरी" से हुई है, जिसका अर्थ है "सात नदियों की भूमि"।
  • नई खोज: 
    • सामाजिक पदानुक्रम का अभाव: 
      • प्राचीन पट्टनम में संस्थागत धर्म या जाति व्यवस्था का कोई प्रमाण नहीं है।  
    • मूर्ति पूजा का अभाव: 
      • यहाँ देवी-देवताओं की मूर्तियाँ या पूजा के भव्य स्थान नहीं मिले। 
    • हथियारों की अनुपस्थिति: 
      • यहाँ परिष्कृत हथियारों की अनुपस्थिति भी अन्य पट्टनम-समकालीन स्थलों के विपरीत है।
      • पट्टनम के लोग शांतिप्रिय हो सकते हैं जिन्होंने धार्मिक और जातिगत सीमाओं को आश्रय नहीं दिया।
    • दाह संस्कार और दफन प्रथाएँ: 
      • पट्टनम स्थल पर दफनाने की प्रथा खंडित कंकाल अवशेषों तक ही सीमित थी और दफन "द्वितीयक" प्रकृति के थे, जहाँ मृतकों का पहले अंतिम संस्कार किया गया था, साथ ही अस्थि अवशेषों को औपचारिक रूप से बाद में दफनाया गया था। 
    • धर्मनिरपेक्ष लोकनीति:  
      • धार्मिक रीति-रिवाज़ों से संबंधित प्राप्त कलाकृतियों से पता चलता है कि समाज में एक धर्मनिरपेक्ष लोकाचार प्रचलित था।
      • भिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को एक ही तरह दफनाया जाना दर्शाता है कि एक धर्मनिरपेक्ष समाज की व्यापकता थी।
        • संगम-युग के साहित्य पर कार्य करने वाले शोधकर्त्ता धर्मनिरपेक्षता को संगम युग के स्रोतों से प्राप्त साक्ष्य को आधार मानते हैं ताकि यह इंगित किया जा सके कि उस समय के लोग अपने अत्यधिक परिष्कृत और बहुलतावादी समाज के हर पहलू में धर्मनिरपेक्ष थे।
  • महत्त्व: 
    • प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध की दिशा में एक जातिविहीन समाज से परे सामुदायिक जीवन के सार्थक विकल्पों की आकांक्षा रखने वाले लोगों के लिये पट्टनम स्थल अत्यधिक मूल्यवान और महत्त्वपूर्ण है।

ग्रीको-रोमन शास्त्रीय युग (The Greco-Roman classical age): 

  • ग्रीको-रोमन शास्त्रीय युग से तात्पर्य 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 5वीं शताब्दी ईस्वी तक विस्तृत प्राचीन इतिहास की अवधि से है, जब ग्रीस और रोम की संस्कृतियों ने भूमध्यसागरीय विश्व तथा उससे आगे के क्षेत्रों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला।
  • यह अवधि कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान और राजनीति में अपनी कई उपलब्धियों के लिये जानी जाती है और इसने कई सांस्कृतिक परंपराओं की नींव रखी जो आज भी आधुनिक विश्व को आकार दे रही हैं।
  • इस अवधि  के दौरान ग्रीस और रोम ने मानव इतिहास में कुछ सबसे प्रभावशाली विचारकों (सुकरात, प्लेटो, अरस्तू), कलाकारों और नेताओं को जन्म दिया जिनके विचार एवं उपलब्धियाँ आज भी लोगों को प्रेरित कर रही हैं।

स्रोत: द हिंदू

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