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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत: शीर्ष प्रेषण प्राप्तकर्त्ता

  • 21 Jul 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रेषण रसीद, आर्थिक सर्वेक्षण, वैश्विक प्रेषण रसीद स्तर पर भारत की स्थिति, डब्ल्यूएचओ, शरणार्थियों और प्रवासियों के स्वास्थ्य पर विश्व रिपोर्ट।

मेन्स के लिये:

प्रेषण का महत्त्व, प्रवासन के नकारात्मक प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही मे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 'शरणार्थियों और प्रवासियों के स्वास्थ्य पर जारी विश्व रिपोर्ट' के अनुसार, भारत को वर्ष 2021 में प्रेषण (Remittance) द्वारा 87 बिलियन अमेरिकी डाॅलर प्राप्त हुए हैं।

रिपोर्ट के बारे में:

  • परिचय:
    • यह स्वास्थ्य और प्रवास की वैश्विक समीक्षा की पेशकश करने वाली पहली रिपोर्ट है और दुनिया भर में शरणार्थियों एवं प्रवासियों को उनकी ज़रूरतों के लिये संवेदनशील स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुँच प्रदान करने हेतु तत्काल और ठोस कार्रवाई करने का आह्वान करती है।
  • परिणाम:
    • प्रवासन:
      • रिपोर्ट के अनुसार, 'विश्व स्तर पर प्रत्येक आठ में से लगभग एक व्यक्ति प्रवासी है (कुल 1 अरब प्रवासी हैं)।
      • 1990 से 2020 तक:
        • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की कुल संख्या 153 मिलियन से बढ़कर 281 मिलियन हो गई है।
          • लगभग 48% अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी महिलाएँ हैं और लगभग 36 मिलियन बच्चे हैं।
      • वर्ष 2020 तक यूरोप और उत्तरी अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या मौजूद थी, इसके बाद उत्तरी अफ्रीका एवं पश्चिमी एशिया का स्थान है।
      • वर्ष 2021 की पहली छमाही के दौरान नए मान्यता प्राप्त शरणार्थियों में से आधे से अधिक पाँच देशों से थे:
        • मध्य अफ्रीकी गणराज्य
        • दक्षिण सूडान
        • सीरियाई अरब गणराज्य
        • अफग़ानिस्तान
        • नाइजीरिया
  • प्रेषण:
    • वर्ष 2021 में शीर्ष पांँच प्रेषण प्राप्तकर्त्ता (अमेरिकी डॉलर में) निम्न और मध्यम आय वाले देश थे:
      • भारत: 83 अरब
        • वर्ष 2021 में भारत के प्रेषण में 4.8% की वृद्धि हुई। (वर्ष 2020 में प्रेषण 83 बिलियन अमेरिकी डाॅलर था)।
      • चीन: 53 अरब डाॅलर
      • मेक्सिको: 53 अरब डाॅलर
      • फिलीपींस: 36 अरब डाॅलर
      • मिस्र: 33 अरब डाॅलर
    • सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के हिस्से के रूप में वर्ष 2021 में शीर्ष पांँच प्रेषण प्राप्तकर्त्ता छोटी अर्थव्यवस्थाएंँ थीं:
      • टोंगा: 44%
      • लेबनान: 35%
      • किर्गिज़स्तान: 30%
      • ताजिकिस्तान: 28%
      • होंडुरास: 27%
    • यूरोप और मध्य एशिया, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, दक्षिणी एशिया और उप-सहारा अफ्रीका व अधिकांश अन्य क्षेत्रों में म5-10% की वृद्धि दर्ज करते हुए प्रेषण में तीव्र सुधार हुआ है।
    • लेकिन चीन को छोड़कर पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 1.4% की धीमी गति से वृद्धि हुई।

प्रेषण:

  • प्रेषित धन या रेमिटेंस का आशय प्रवासियों द्वारा मूल देश में मित्रों और रिश्तेदारों को किये गए वित्तीय या अन्य तरह के हस्तांतरण से है।
  • यह मूलतः दो मुख्य घटकों का योग है- निवासी और अनिवासी परिवारों के बीच नकद या वस्तु के रूप में व्यक्तिगत स्थानांतरण और कर्मचारियों का मुआवज़ा, जो उन श्रमिकों की आय को संदर्भित करता है जो सीमित समय के लिये दूसरे देश में काम करते हैं।
  • प्रेषण, प्राप्तकर्त्ता देश में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करते हैं, लेकिन यह ऐसे देशों को उन पर अधिक निर्भर भी बना सकता है।
    • यह अक्सर प्रत्यक्ष निवेश और आधिकारिक विकास सहायता की राशि से अधिक होता है।
  • प्रेषण परिवारों को भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं।
  • भारत दुनिया में सबसे अधिक प्रेषण प्राप्तकर्त्ता है।
    • प्रेषण भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाता है और चालू खाते के घाटे को पूरा करने में मदद करता है।

प्रेषण का महत्त्व:

  • प्रेषण उपभोक्ता खर्च को बढ़ाते हैं या बनाए रखते हैं और इसने कोविड -19 महामारी के दौरान आर्थिक कठिनाई में मदद की हैं।
    • इन पूर्वानुमानों के बावजूद कि कोविड-19 महामारी (कुछ हद तक यात्रा प्रतिबंधों और आर्थिक मंदी के परिणामस्वरूप) के कारण प्रेषण गिर जाएगा या लचीला हो जाएगा
  • प्रेषण स्वयं प्रवासियों के लिये और अपने मूल देशों में शेष परिवार और दोस्तों के लिये प्रवासन का एक " महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक" आर्थिक परिणाम है।
  • प्रेषण अब आधिकारिक विकास सहायता से तीन गुना अधिक है और चीन को छोड़कर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की तुलना में 50% से अधिक है।

प्रवासन के नकारात्मक प्रभाव:

  • प्रतिभा पलायन:
    • कुशल श्रम के परिणामस्वरूप एक तथाकथित प्रतिभा पलायन हो सकता है आमतौर पर निम्न-आय वाले देशों से और उच्च आय वाले देशों में एक प्रक्रिया में मस्तिष्क लाभ होता है जिसे आमतौर पर मस्तिष्क परिसंचरण के रूप में जाना जाता है।
      • प्रतिभा पलायन का प्रभाव सेवाओं की उपलब्धता को नुकसान पहुँचा सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल, अत्यधिक कुशल डॉक्टर और नर्स बेहतर आर्थिक अवसर की तलाश में कम आय वाले देशों को छोड़ देते हैं।
  • प्रवासन परिवार:
    • प्रवासन न केवल उन लोगों को प्रभावित करता है जो आगे बढ़ते हैं बल्कि उनके परिवार और समुदाय के सदस्यों को भी प्रभावित करते हैं:
      • एक अनुमान के अनुसार लगभग 193 मिलियन प्रवासी श्रमिकों के परिवार के सदस्य अपने मूल देश या स्थान पर ही
    • नौकरी करने के लिये उच्च आय वाले देशों में व्यक्तियों का प्रवास उनके अपने परिवारों के लिये विशेष रूप से बच्चों और वृद्धों लोगों के देखभाल में कमपैदा कर सकता है।
  • भेदभाव और ज़ेनोफोबिया:
    • इससे शरणार्थियों और प्रवासियों को घृणित व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है।
      • ज़ेनोफ़ोबिया लोगों का उनकी भाषा, संस्कृति, उपस्थिति या जन्म स्थान के कारण बाहरी लोगों के प्रति किया गया अनुचित व्यवहार है।
      • ज़ेनोफोबिया मेजबान देशों में शरणार्थियों और प्रवासियों के प्रति भेदभाव, दुर्व्यवहार या हिंसा को बढ़ावा देता है जिसके गंभीर परिणाम परिलक्षित होते हैं।
  • मानव तस्करी एवं ह्यूमन ट्रैफिकिंग:
    • अधिकांश प्रवासन की घटना कानूनों या विनियमों के उल्लंघन के रूप में होती है,  अतः प्रवासियों के एक बड़े हिस्से  का आपराधिक नेटवर्क द्वारा दुरूपयोग एवं शोषण किया जाता है।

 स्रोत:  इकोनॉमिक टाइम्स

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