इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ताप विद्युत बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पादित फ्लाई ऐश के बेहतर प्रबंधन हेतु प्रयास

  • 10 Feb 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा एक वेब आधारित निगरानी प्रणाली फ्लाई ऐश मोबाइल एप ‘ऐश ट्रैक’ लॉन्च की गई है। यह प्लेटफार्म ताप बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पादित ऐश के बेहतर प्रबंधन में सहायक होगा क्योंकि यह फ्लाई ऐश उत्पादकों (ताप बिजली संयंत्र) तथा सड़क ठेकेदारों, सीमेंट संयंत्रों जैसे संभावित उपयोगकर्त्ताओं के बीच सेतु का काम करेगा।

फ्लाई ऐश क्या होती है?

  • फ्लाई ऐश (Fly ash) बहुत सी चीज़ों (जैसे कोयला) को जलाने से निर्मित महीन कणों से बनी होती है।
  • ये महीन कण वातावरण में उत्सर्जित होने वाली गैसों के साथ ऊपर उठने की प्रवृत्ति रखते हैं। इसके इतर जो राख/ऐश ऊपर नहीं उठती है, वह 'पेंदी की राख' कहलाती है।
  • कोयला संचालित विद्युत संयंत्रों से उत्पन्न फ्लाई ऐश को प्रायः चिमनियों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है।
  • यहाँ यह जानना बेहद महत्त्वपूर्ण है कि फ्लाई ऐश में सिलिकन डाईआक्साइड और कैल्सियम आक्साइड बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है।
  • इसके अलावा भी बहुत सी ऐसी चीज़ें होती हैं जिनकी फ्लाई ऐश में उपस्थिति होती है।

लक्ष्य

  • ‘कम-से-कम ऐश उत्पादन और अधिकतम ऐश उपयोग’ होना चाहिये। 

इसे कैसे डाउनलोड किया जा सकता है?

  • एनड्रॉएड ओएस के लिये गूगल प्ले स्टोर से तथा एप्पल आईओएस के लिये एप स्टोर से यूज़र ‘ऐश ट्रैक’ मोबाइल एप डाउनलोड कर सकते है।

विशेषताएँ
‘ऐश ट्रैक’ मोबाइल एप की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  • उपभोक्ताओं के लिये
    ♦ यह एप एक निश्चित स्थान से 100 किलोमीटर तथा 300 किलोमीटर के दायरे में स्थापित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को प्रदर्शित करता है।
    ♦ यूज़र जहाँ से फ्लाई ऐश लेना चाहता है उस पावर स्टेशन का चयन कर सकता है।
    ♦ इसमें ऐश उपलब्धता, यूज़र के स्थान से दूरी, सम्पर्क व्यक्ति का ब्योरा प्रदर्शित होगा।
    ♦ यूज़र ऐश आंवटन के लिये ऑलाइन आवेदन कर सकते हैं।
    ♦ एसएमएस फौरन आवेदनकर्त्ता तथा संबंधित बिजली संयंत्रों को भेजा जाएगा।
  • बिजली स्टेशनों के लिये
    ♦ एप बिजली संयंत्र से 100 किलोमीटर और 300 किलोमीटर के दायरे में संभावित ग्राहकों को दिखाता है।
    ♦ बिजली स्टेशन, बिजली संयंत्र के आस-पास के संभावित ऐश उपयोगकर्त्ताओं जैसे- सीमेंट संयंत्र, एनएचएआई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) जैसी परियोजनाएँ और ईट निर्माता आदि को दिखा सकते हैं।
    ♦ बिजली संयंत्र ऐश सप्लाई के लिये संभावित ऐश उपयोगकर्त्ताओं से संपर्क कर सकते हैं।
  • ऐश उपयोगीकरण डेटा
    ♦ यह एप देश में संयंत्रवार, उपयोगिता के अनुसार तथा राज्यवार ऐश उपयोग की स्थिति प्रदान करता है।
    ♦ रियल टाइम ऐश उत्पादन तथा उपयोग का ब्योरा दिखाता है।
  • ताप संयंत्र नियमित रुप से वेब पोर्टल और इस एप पर फ्लाई ऐश उत्पादन उपयोगीकरण तथा स्टॉक की स्थिति को अद्यतन बनाएंगे। इससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। 
  • फ्लाई ऐश कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान प्रज्वलन का अंतिम उत्पाद होता है।
  • यह निर्माण उद्योग के कार्यों में संसाधन सामग्री के रूप में काम आता है और फिलहाल इसका इस्तेमाल पोर्टलैंड सीमेंट बनाने, ब्रिक्स/ब्लाक/टाइल्स निर्माण सड़क तटबंध निर्माण और निचले क्षेत्रों के विकास कार्यों में किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • फ्लाई ऐश का उचित प्रबंधन न केवल पर्यावरण के लिये महत्त्वपूर्ण है बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पादित ऐश ज़मीन का बड़ा हिस्सा घेरती है। वर्तमान में लगभग 63 प्रतिशत फ्लाई ऐश का उपयोग किया जाता है, भविष्य में इसे बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • हालाँकि, इसके लिये शिक्षा और जागरूकता पर विशेष बल दिये जाने की आवश्यकता है। सड़क ठेकेदारों तथा निर्माण इंजीनियरों को निर्माण कार्य में फ्लाई ऐश के इस्तेमाल के लाभों के बारे अधिक-से-अधिक जानकारी होनी चाहिये।
  • इसके लिये सबसे ज़रुरी यह हिसाब लगाना है कि फ्लाई ऐश का इस्तेमाल करके प्रति किलोमीटर सड़क निर्माण में कितना खर्च आने की संभावना है। यदि यह महँगा साबित होता है तो कर ढाँचा सब्सिडी तथा परिवहन सेवाओं को तर्कसंगत बनाकर लागत को कम किया जा सकता है।
  • इसी प्रकार से सीमेंट संयंत्रों में भी फ्लाई ऐश के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • इस संबंध में उपलब्ध आँकड़ों का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल में वृद्धि के बावजूद कोयला भारत में बिजली क्षेत्र का आधार स्तम्भ रहेगा। अर्थात् अर्थव्यवस्था के विकास में कोयले का इस्तेमाल और महत्त्व बरकरार रहेगा।
  • गुणवत्ता की दृष्टि से अन्य देशों के कोयले की तुलना में भारतीय कोयले में ऐश की मात्रा काफी अधिक होती है। इसलिये फ्लाई ऐश प्रबंधन के लिये चौतरफा दृष्टकोण अपनाने की आवश्यकता है।
  • उद्गम स्थान पर ही कोयले की सफाई कर देने से ऐश को बिजली संयंत्रों तक आने से रोका जा सकता है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2