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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जी.एस.टी. प्रबंधन के विभिन्न आयाम

  • 06 Jun 2017
  • 6 min read

संदर्भ 
1 जुलाई से प्रभावी होने वाले जी.एस.टी. के 'प्रोजेक्ट प्रबंधन' के लिये जीएसटी परिषद ने एक तीन स्तरीय संरचना को मंज़ूरी दी है। इसके अंतर्गत राजस्व सचिव जो सर्वोच्च स्थान पर होगा, उसके बाद प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टीम होंगी। इन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टीमों में जी.एस.टी. कार्यान्वयन समिति (GST implementation committee) के साथ स्थाई समितियाँ होंगी। इसके अतिरिक्त, 18 क्षेत्रीय समूह (sectoral group) भी होंगे, जो विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित विशिष्ट विषयों पर ध्यान देंगे,जैसे- दूरसंचार, बैंकिंग, खनन, और औषधि इत्यादि।

मुख्य बिंदु 

  • जीएसटी कार्यान्वयन समिति की प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टीम में केंद्र और राज्यों से चार-चार अधिकारी और जीएसटी परिषद का एक अधिकारी शामिल होगा।
  • इसके साथ ही, आठ स्थायी समितियाँ प्रस्तावित की गई हैं, वे इस प्रकार हैं-

1. कानून और नियम समिति (Law and Rules committee)
2. आई.टी. समिति (IT committee)
3. सिंगल इंटरफेस कमिटी (Single Interface committee)
4. फिटमेंट कमिटी (Fitment committee)
5. पब्लिसिटी और आउटरीच कमिटी (Publicity and outreach committee)
6. क्षमता निर्माण और सुविधा समिति (Capacity building and Facilitation committee)
7. फंड सेटलमेंट कमिटी (Fund Settlement committee) 
8. गाइडेंस नोट्स कमिटी (Guidance notes committee) 

  • प्रत्येक समिति को अपनी क्षेत्रीय ज़िम्मेदारियों में शामिल किये जाने वाले कदमों की पहचान करने और समयबद्ध तरीके से लिये गए विभिन्न कदमों का एक ब्लू प्रिंट तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
  • इन आठ समितियों में, कानून और नियम समिति सभी नियमों को अंतिम रूप देने, गैर-टैरिफ अधिसूचनाओं का प्रारूप तैयार करने (Drafting of Non-tariff notifications) और कानूनी मुद्दों पर व्यापार के सभी अभ्यावेदनों की जाँच करेगी (All representations of trade on legal issue), जबकि आई.टी. समिति केंद्र तथा राज्यों की आई.टी. संबंधी तैयारी के साथ-साथ  जी.एस.टी. नेटवर्क (GSTN) की निगरानी के लिये ज़िम्मेदार होगी।
  • सिंगल इंटरफेस कमेटी करदाताओं की पहचान करने के लिये प्रवसन और पिछले क्रेडिट के परीक्षण के बीच समन्वय करेगी और राज्यवार समन्वय टीमों का निर्माण करेगी। 
  • फंड सेटलमेंट कमेटी राजस्व से संबंधित सभी मुद्दों के लिये ज़िम्मेदार होगी, जैसे जी.एस.टी. के बाद मिलने वाले मुआवज़े तथा आई.जी.एस.टी. फण्ड सेटलमेंट आदि।
  • अब तक, जीएसटी से संबंधित कार्य में केंद्र और राज्यों के अधिकारियों की केवल दो समितियाँ थीं। एक कानून समिति थी, जिसने जी.एस.टी. कानूनों का मसौदा तैयार किया और दूसरी फीटमेंट समिति थी, जो वस्तु और सेवाओं पर जी.एस.टी. दरों की सिफारिश करने में शामिल थी। राजस्व सचिव का मानना था कि मौजूदा समितियों के अतिरिक्त जी.एस.टी. के सुचारू रूप से चलने के लिये अतिरिक्त समितियों की स्थापना की जानी चाहिये।
  • परिषद ने आठ क्षेत्रीय समूहों को भी मंज़ूरी  दी है जिनमें– बैंकिंग; वित्त और बीमा; दूरसंचार; निर्यात उन्मुख इकाइयों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों सहित;निर्यात; आईटी / आई.टी.ई.एस. (IT enabled services);परिवहन और लॉजिस्टिक (Transport and Logistic); एम.एस.एम.ई . आदि क्षेत्रों में क्षेत्रीय विश्लेषण करेंगे।

जी.एस.टी. परिषद से संबंधित कुछ तथ्य

  • वित्त मंत्री  की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद में  राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि   भी  शामिल हैं।
  • लगभग सभी वस्तुओं और सेवाओं के लिये  कर की दर को तय करने का मुख्य कार्य परिषद का होगा।
  • इस कार्य के तहत परिषद् ने  सोने और कीमती धातुओं को छोड़कर सभी वस्तुओं और सेवाओं को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्लैब में रखा है तथा सोने और कीमती धातुओं पर  3 प्रतिशत की दर निर्धारित की गई है। हीरे पर 0.25 प्रतिशत की दर से  कर लगाया जाना सुनिश्चित किया गया है।

निष्कर्ष
जी.एस.टी. की नवीन व्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य निर्धारित करने वाली एक महत्त्वाकांक्षी पहल है। इसके लिये ये आवश्यक है कि एक सक्षम प्रबंधनीय तंत्र के द्वारा इसके कार्यों का कार्यान्वयन किया जाए। अतः इस संदर्भ में जी.एस.टी. की त्रि-स्तरीय प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की योजना में काफी संभावनाएँ हैं।

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