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भारतीय अर्थव्यवस्था

ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट-क्रेडिट सुइस

  • 24 Oct 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट (Global Wealth Report)

मेन्स के लिये:

वैश्विक स्तर पर धन वितरण में असमानता के कारण और प्रभाव

चर्चा में क्योें?

हाल ही में स्विट्ज़रलैंड के एक बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक क्रेडिट सुइस ग्रुप ने वार्षिक ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट (Global Wealth Report) जारी की।

प्रमुख बिंदु

  • यह रिपोर्ट आमतौर पर विश्व भर के करोड़पतियों और अरबपतियों के संदर्भ में धन की वृद्धि और वितरण के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर वितरण में असमानता पर प्रकाश डालती है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के शीर्ष 10% अमीरों में से अधिकांश व्यक्ति चीन से हैं। प्रति वयस्क धन (Per Adult Wealth) के संदर्भ में स्विट्जरलैंड शीर्ष पर है, वहीं अमेरिका और जापान व्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
  • लगभग 47 करोड़ लोगों के पास (जो कि विश्व की कुल वयस्क जनसंख्या का मुश्किल से 0.9% है), विश्व के कुल धन का 44% (158.3 ट्रिलियन डॉलर) है।
  • दूसरी तरफ विश्व की 57% वयस्क जनसंख्या (2.88 बिलियन लोग) के पास वैश्विक धन का सिर्फ 1.8% (6.3 ट्रिलियन डॉलर) है।
  • विषमता की दृष्टि से निचले स्तर पर आधे से अधिक लोेगों के पास कुल वैश्विक धन का 1% से भी कम हिस्सा है, जबकि सबसे अमीर 10% लोगों के पास वैश्विक धन का 82% है और शीर्ष पर मौजूद केवल 1% लोगों के पास कुल 45% धन है।
  • रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर प्रति वयस्क शुद्ध धन में 3.3% की दर से वृद्धि दर्ज की गई है जो पिछले 20 वर्षों की औसत वृद्धि दर 11% से काफी कम है।

भारत के संदर्भ में

  • विश्व भर में कुल करोड़पतियों की संख्या 46.8 करोड़ है जिनमें से 2% करोड़पति भारतीय हैं।
  • भारत के संदर्भ में कहा गया है कि घरेलू धन में 5.2% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो पिछले 20 सालों की औसत वृद्धि 11% से काफी कम है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 78% वयस्क जनसंख्या के पास 10,000 डॉलर से कम धन है, जबकि कुल जनसंख्या के 1.8% लोगों के पास 10,0000 डॉलर से अधिक धन है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अर्थव्यवस्था में 9 ट्रिलियन डॉलर से 360 ट्रिलियन डॉलर तक वृद्धि हुई, जिसमें भारत का योगदान कुल 625 बिलियन डॉलर (लगभग 7%) था।
  • वैश्विक स्तर पर प्रति वयस्क धन 70,849 डॉलर है। वहीं भारत में प्रति वयस्क धन 14589 डॉलर है।
  • भारत में वर्ष 2018-19 में घरेलू धन में वृद्धि, घरों की कीमतों में वृद्धि से प्रेरित थी।
    • पिछले कुछ वर्षों में रियल एस्टेट से रिटर्न में कमी के कारण ‘घरेलू संपत्ति की वृद्धि’ में कमी आई है।
  • घरेलू धन में वृद्धि, उपभोक्ता व्यय के लिये एक अच्छा संकेत है। ज्ञातव्य है कि उपभोक्ता के खर्चों में तभी वृद्धि होती है जब वे वित्तीय रूप से अपेक्षाकृत अधिक स्थिर ओर सुरक्षित महसूस करते हैं, इससे धीमी अर्थव्यवस्था में तेज़ी आती है।
  • उपभोक्ता और निजी खर्च में वृद्धि, सरकार द्वारा किये जाने वाले सार्वजनिक व्यय के बोझ को कम कर सकती है।
  • धन में वृद्धि, घरेलू आय में वृद्धि को प्रेरित कर सकती है और यह सरकार को प्राप्त होने वाली कर आधारित आय की वृद्धि में सहायक होगी।

धन (Wealth) क्या है?

  • सामान्य अर्थों में धन, किसी व्यक्ति, समुदाय कंपनी या देश के स्वामित्व वाली सभी मूर्त और अमूर्त संपत्ति के मूल्यों का योग है, जिसमें से देय ऋणों को घटा दिया जाता है।

राष्ट्रों के धन निर्धारक बिंदु

  • विभिन्न देशों के लिये धन के निर्धारण के तरीके अलग-अलग होते हैं। जैसे- जनगणना आधारित गणना, सकल घरेलू उत्पाद आधारित गणना इत्यादि।
  • उल्लेखनीय है घरेलू धन निर्धारण का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू कुल आय, कुल उपभोग या सकल घरेलू उत्पाद है। क्योंकि आर्थिक क्रियाओं में वृद्धि के कारण व्यापारिक और घरेलू दोनों स्तरों पर बचत और निवेश में वृद्धि होती है, जो वित्तीय और गैर-वित्तीय संपत्तियों के मूल्य में वृद्धि करती हैं।

क्रेडिट सुइस ग्रुप

क्रेडिट सुइस ग्रुप (Credit Suisse Group) की स्थापना वर्ष 1856 में स्विट्ज़रलैंड में हुई थी। यह एक बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक है जो वैश्विक धन प्रबंधक के रूप में कार्य करता है। इसका मुख्यालय ज्यूरिख में है।

स्रोत: ‘इंडियन एक्सप्रेस’, लाइव मिंट, फाइनेंसियल एक्सप्रेस, बिज़नेस स्टैंडर्ड

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