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जैव विविधता और पर्यावरण

तटीय विनियमन क्षेत्र

  • 14 May 2019
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते तटीय विनियमन क्षेत्र (Coastal Regulation Zone-CRZ) के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में केरल के एर्नाकुलम में मरादु नगरपालिका में पाँच अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स को एक महीने के भीतर गिराने का आदेश दिया।

  • न्यायालय ने यह आदेश केरल तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (Kerala Coastal Zone Management Authority-KCZMA) द्वारा दायर एक विशेष याचिका पर पारित किया है।
  • यद्यपि CRZ नियम केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बनाए गए हैं, लेकिन इनका कार्यान्वयन उनके तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरणों के माध्यम से राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है।
  • राज्यों को केंद्रीय नियमों के अनुसार अपने स्वयं के तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाओं को तैयार करना होता है।

तटीय नियमन ज़ोन (CRZ)

  • CRZ को ‘पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986’ के तहत  पर्यावरण और वन मंत्रालय (जिसका नाम अब पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय कर दिया गया है) द्वारा फरवरी-1991 में अधिसूचित किया गया था।
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश के संवेदनशील तटीय क्षेत्रों में गतिविधियों को नियमित करना है।
  • तटीय क्षेत्र का हाई टाइड लाइन (HTL) से 500 मीटर तक का क्षेत्र तथा साथ ही खाड़ी, एस्चूरिज,  बैकवॉटर और नदियों के किनारों को CRZ क्षेत्र माना गया है, लेकिन इसमें महासागर को शामिल नहीं किया गया है।
  • इसके अंतर्गत तटीय क्षेत्रों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है-

1. CRZ - 1


यह कम और उच्च ज्वार लाइन के बीच का  पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र हैं, जो तट के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखता है।

2. CRZ - 2


यह क्षेत्र तट के किनारे तक फैला हुआ होता है।

3. CRZ – 3


इसके अंतर्गत CRZ 1 और 2 के बाहरी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र आते हैं। इस क्षेत्र में कृषि से संबंधित कुछ खास गतिविधियों को करने की अनुमति दी गई है।

4. CRZ – 4


यह जलीय क्षेत्र में क्षेत्रीय सीमा (territorial limits) तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों की अनुमति है।

विरोध का कारण

  • राज्य का कहना था कि इन नियमों को यदि सख्ती से लागू किया जाता है, तो तट के करीब रहने वाले लोगों के लिये बेहतर घर बनाने और बुनियादी विकासात्मक कार्यों को पूरा करने जैसे सामान्य कार्य की भी अनुमति नहीं होगी।
  • 1991 के इन नियमों ने ओडिशा में POSCO स्टील प्लांट और प्रस्तावित नवी मुंबई हवाई अड्डे के औद्योगिक और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये भी बाधाएँ पैदा की थीं।

नियमों का उद्भव

  • केंद्र ने 2011 में नए सिरे से CRZ नियमों को अधिसूचित किया जिसने कुछ चिंताओं को दूर किया। इसके तहत नवी मुंबई हवाई अड्डे के निर्माण के लिये छूट दी गई (POSCO परियोजना अन्य कारणों से विफल रही थी।)।
  • परमाणु ऊर्जा विभाग की परियोजना जिसके तहत तट के पास परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की योजना थी, को छूट दी गई थी।
  • इसके बाद भी इन नियमों को अपर्याप्त पाया गया, हालाँकि 2014 में पर्यावरण मंत्रालय ने CRZ नियमों के संबंध में सुझाव देने के लिये पृथ्वी विज्ञान सचिव शैलेष नायक की अध्यक्षता में एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने 2015 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
  • इसके साथ ही चेन्नई स्थित नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट ने अस्पष्टता को दूर करने के लिये भारत की संपूर्ण तटरेखा के साथ एक नई उच्च-ज्वार रेखा (High-tide Line) को परिभाषित किया।
  • भारतीय सर्वेक्षण (Survey of India) ने अलग से मुख्य रूप से आपदा प्रबंधन योजना के लिये उपयोग किये जाने वाले तटों के साथ खतरनाक रेखा (Hazard Line) को परिभाषित किया।
  • कुछ अन्य इनपुट के आधार पर पर्यावरण मंत्रालय ने दिसंबर 2018 में नए CRZ नियम जारी किये जिसने निर्माण को लेकर लगे कुछ प्रतिबंधों को हटा दिया, क्लीयरेंस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया तथा तटीय क्षेत्रों में पर्यटन को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखा।

हालिया स्थिति

  • इस साल जनवरी में सरकार ने सतत् विकास को बढ़ावा देने तथा तटीय वातावरण के संरक्षण के घोषित उद्देश्यों के साथ नए CRZ नियमों को अधिसूचित किया।
  • CRZ-III (ग्रामीण) क्षेत्रों के लिये दो अलग-अलग श्रेणियों को निर्धारित किया गया है।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार, 2,161 प्रति वर्ग किमी. जनसंख्या घनत्व के साथ घनी आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों (CRZ-IIIA) में नो-डेवलपमेंट ज़ोन, अब उच्च-ज्वार स्तर (High Tide Level) से 50 मीटर है, जो पहले 200 मीटर निर्धारित था।
  • CRZ-IIIB श्रेणी (2,161 प्रति वर्ग किमी. के नीचे जनसंख्या घनत्व वाले ग्रामीण क्षेत्रों) में उच्च-ज्वार रेखा से 200 मीटर तक फैले नो-डेवलपमेंट ज़ोन जारी रहेगा।
  • नए नियमों में मुख्य भूमि के तट के पास के सभी द्वीपों और मुख्य भूमि के सभी बैकवाटर द्वीपों के लिये 20 मीटर का नो-डेवलपमेंट ज़ोन है।

केरल के मामले

  • केरल में पहले भी CRZ मानदंडों का उल्लंघन करने के आरोप में रिसॉर्ट्स या अपार्टमेंट के गिराए जाने के आदेश दिये गए हैं। लेकिन हितधारकों ने या तो स्थगन आदेश (Stay Order) प्राप्त कर लिया या उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलती रही।
  • 2014 में केरल उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने कोच्चि में DLF के एक तटवर्ती आवासीय परिसर को गिराने का आदेश दिया। बाद में एक डिवीज़न बेंच ने गिराए जाने के आदेश को रद्द कर दिया, लेकिन बिल्डर पर 1 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना लगाया।
  • KCZMA की अपील के बाद जनवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने डिवीज़न बेंच के फैसले को बरकरार रखा।
  • 2013 में उच्च न्यायालय ने अलाप्पुझा में 350 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए रिसॉर्ट को गिराने का आदेश दिया था। इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
  • तिरुवनंतपुरम के कोवलम समुद्र तट पर 26 रिसॉर्ट्स और होटलों को CRZ नियमों के उल्लंघन के आरोप में नोटिस दिये गए हैं। कोच्चि नगर निगम क्षेत्र में नियमों के उल्लंघन के 35 मामले दर्ज किये गए हैं।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986

  • संयुक्त राष्ट्र का प्रथम मानव पर्यावरण सम्मेलन 5 जून, 1972 को स्टाकहोम में संपन्न हुआ। इसी से प्रभावित होकर भारत ने पर्यावरण के संरक्षण के लिये पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 पारित किया।
  • इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वातावरण में घातक रसायनों की अधिकता को नियंत्रित करना व पारिस्थितिकी तंत्र को प्रदूषण मुक्त रखने के उपाय करना है।
  • इस अधिनियम के अन्य प्रमुख उद्देश्य हैं-
  • स्टाकहोम सम्मेलन के नियमों को लागू करना।
  • मानव, जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों को संकट से बचाना।
  • पर्यावरण का संरक्षण एवं सुधार।
  • वर्तमान कानूनों के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरणों का गठन करना तथा उनके क्रियाकलापों के बीच समन्वय स्थापित करना।
  • पर्यावरण संरक्षण हेतु सामान्य एवं व्यापक विधि निर्मित करना।

स्रोत : द इंडियन एक्सप्रेस

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