इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बीड मॉडल

  • 14 Jun 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, बीड मॉडल

मेन्स के लिये:

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का किसानों के लिये महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के 'बीड मॉडल' के राज्यव्यापी कार्यान्वयन के लिये कहा।

प्रमुख बिंदु:

बीड मॉडल:

  • बीड महाराष्ट्र का एक ज़िला है जो सूखाग्रस्त मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित है।
  • 80-110 फॉर्मूला: इस मॉडल को 80-110 फॉर्मूला भी कहा जाता है।
    • बीमा फर्म को सकल प्रीमियम के 110 प्रतिशत से अधिक के दावों पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। बीमाकर्त्ता को नुकसान (पुल राशि) से बचाने के लिये एकत्र किये गए प्रीमियम के 110 प्रतिशत से अधिक मुआवजे की लागत राज्य सरकार को वहन करनी होगी।
    • हालाँकि यदि मुआवज़ा एकत्र किये गए प्रीमियम से कम है तो बीमा कंपनी राशि का 20% हैंडलिंग शुल्क के रूप में रखेगी और शेष राशि राज्य सरकार (प्रीमियम अधिशेष) को प्रतिपूर्ति करेगी।

इस मॉडल को लागू करने का कारण:

  • राज्यों को लाभ:
    • फंड का एक अन्य स्रोत: अधिकांश वर्षों में क्लेम-टू-प्रीमियम अनुपात कम होता है। बीड मॉडल में बीमा कंपनी के लाभ में कमी आने की उम्मीद है और राज्य सरकार को धन के दूसरे स्रोत तक पहुँच प्राप्त होगी।
    • PMFBY के वित्तपोषण बोझ को कम करना: प्रतिपूर्ति की गई राशि से अगले वर्ष के लिये राज्य द्वारा PMFBY हेतु कम बजटीय प्रावधान हो सकता है, या एक वर्ष के फसल के नुकसान के मामले में राशि का भुगतान करने में मदद मिल सकती है।
  • PMFBY में खामियाँ:
    • वित्तीय संकट से जूझ रहे राज्यों ने PMFBY हेतु प्रीमियम बिल जमा करने के लिये वर्षों से असहमति जताई है, जिसके परिणामस्वरूप बीमाकर्त्ता समय पर किसानों के दावों का भुगतान नहीं कर रहे हैं।
    • वर्ष 2020 में मध्य महाराष्ट्र के बीड ज़िले में सामान्य से कम मानसून की वर्षा ने बीमाकर्त्ताओं को खरीफ 2020 हेतु PMFBY के तहत ज़िले के किसानों को कवर करने से रोक दिया।

चुनौतियाँ:

  • इस पर सवाल उठ रहा है कि राज्य सरकार अतिरिक्त राशि कैसे जुटाएगी और प्रतिपूर्ति की गई राशि को कैसे प्रशासित किया जाएगा।
  • किसानों को इस मॉडल का कोई सीधा लाभ होता नहीं दिख रहा है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:

  • PMFBY को वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया था।
    • यह फसल के खराब होने की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करती है जिससे किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिलती है।
  • दायरा: सभी खाद्य और तिलहन फसलें तथा वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलें जिनके लिये पिछली उपज के आँकड़े उपलब्ध हैं।
  • प्रीमियम: सभी खरीफ फसलों के लिये किसानों द्वारा निर्धारित प्रीमियम का भुगतान 2% और सभी रबी फसलों के लिये 1.5% है। वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम 5% है।
    • किसानों के हिस्से से अधिक प्रीमियम लागत पर राज्यों और भारत सरकार द्वारा समान रूप से सब्सिडी दी जाती है।
    • हालाँकि भारत सरकार इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये पूर्वोत्तर राज्यों हेतु प्रीमियम सब्सिडी का 90% साझा करती है।
  • PMFBY 2.0 (PMFBY को वर्ष 2020 के खरीफ सीज़न में नया रूप दिया गया था):
    • पूरी तरह से स्वैच्छिक: वर्ष 2020 से पहले यह योजना उन किसानों के लिये वैकल्पिक थी, जिनके पास ऋण लंबित नहीं था लेकिन ऋणी किसानों हेतु यह अनिवार्य था। वर्ष 2020 से यह सभी किसानों हेतु वैकल्पिक है।
    • केंद्रीय सब्सिडी की सीमा: कैबिनेट ने इस योजना के तहत असिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये 30% और सिंचित क्षेत्रों/फसलों हेतु 25% तक की प्रीमियम दरों के लिये केंद्र की प्रीमियम सब्सिडी को सीमित करने का निर्णय लिया।
    • राज्यों को अधिक लचीलापन: सरकार ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को PMFBY को लागू करने की छूट दी है और उन्हें किसी भी संख्या में अतिरिक्त जोखिम कवर/सुविधाओं का चयन करने का विकल्प दिया है।
    • IEC गतिविधियों में निवेश: बीमा कंपनियों को सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों पर एकत्रित कुल प्रीमियम का 0.5% खर्च करना पड़ता है।

PMFBY के तहत प्रौद्योगिकी का उपयोग:

  • फसल बीमा एप:
    • यह किसानों को आसान नामांकन सुविधा प्रदान करता है।
    • किसी भी घटना के 72 घंटे के भीतर फसल के नुकसान की सूचना देना आसान बनाना।
  • नवीनतम तकनीकी उपकरण: फसल के नुकसान का आकलन करने के लिये उपग्रह इमेजरी, रिमोट-सेंसिंग तकनीक, ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग किया जाता है।
  • PMFBY पोर्टल: भूमि अभिलेखों के एकीकरण हेतु।

योजना का प्रदर्शन:

  • इस योजना में प्रतिवर्ष के अनुसार औसतन 5.5 करोड़ से अधिक किसान आवेदन शामिल हैं।
  • आधार सीडिंग (इंटरनेट बैंकिंग पोर्टल के माध्यम से आधार को लिंक करना) ने किसानों के खातों में सीधे दावा निपटान में तेज़ी लाने में मदद की है।
  • एक उल्लेखनीय उदाहरण यह है कि राजस्थान में वर्ष 2019-20 में रबी सीज़न के दौरान टिड्डियों के हमले के कारण लगभग 30 करोड़ रुपए के मध्य-मौसम प्रतिकूलता के दावे किये गए हैं। 

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2