इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


भारतीय अर्थव्यवस्था

राज्य की अर्थव्यवस्था में शराब की भूमिका

  • 05 May 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

राज्य के राजस्व स्रोत

मेन्स के लिये

कर राजस्व एकत्रीकरण की चुनौतियाँ और समाधान

चर्चा में क्यों?

दिल्ली सरकार ने शराब बिक्री पर 70 प्रतिशत ‘विशेष कोरोना शुल्क’ (Special Corona Fee) लगाने की घोषणा की है, जिससे राजधानी में शराब की कीमतों में काफी वृद्धि हो जाएगी। ध्यातव्य है कि संपूर्ण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के तीसरे चरण में प्रतिबंधों में कुछ ढील दी गई है, जिसके कारण शराब की दुकानों के बाहर काफी लंबी लाइनें दिखाई दे रही हैं, जो कि सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) जैसी अवधारणाओं को पूर्णतः विफल बना रहा है।

राज्य की अर्थव्यवस्था में शराब की भूमिका

  • विदित हो कि शराब पर लगाया गया दिल्ली सरकार का ‘विशेष कोरोना शुल्क’ (Special Corona Fee), राज्यों की अर्थव्यवस्था में शराब के महत्त्व को रेखांकित करता है।
  • शराब का निर्माण और बिक्री राज्य सरकार के राजस्व के प्रमुख स्रोतों में से एक है और शराब की दुकानों को खोलने का कार्य ऐसे समय में किया जा रहा है जब सभी राज्य लॉकडाउन के कारण होने वाले व्यवधान के मद्देनज़र राजस्व प्राप्त करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
  • गुजरात और बिहार, जहाँ शराब निषेध है, के अतिरिक्त सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी राजस्व में शराब का काफी योगदान है।
  • सामान्यतः राज्य शराब के निर्माण और बिक्री पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) लगाया जाता है। कुछ राज्य जैसे- तमिलनाडु शराब पर मूल्य वर्द्धित कर (Value Added Tax-VAT) भी लगाते हैं।
  • राज्य आयात की जाने वाली विदेशी शराब पर विशेष शुल्क भी लेते हैं, जिसमें परिवहन शुल्क; लेबल एवं ब्रांड पंजीकरण शुल्क आदि शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने आवारा पशुओं के रखरखाव जैसे विशेष उद्देश्यों के लिये धन एकत्र करने हेतु भी ‘शराब पर विशेष शुल्क’ (Special Duty on Liquor) लगाया है।
  • बीते वर्ष सितंबर में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आया था कि अधिकांश राज्यों के कुल कर राजस्व का तकरीबन 10-15 प्रतिशत हिस्सा शराब पर लगने वाले राज्य उत्पाद शुल्क से आता है।
    • यही कारण है कि राज्यों ने सदैव शराब को वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax-GST) के दायरे से बाहर रखा है।

शराब से राज्य सरकारों की कमाई?

  • RBI की रिपोर्ट दर्शाती है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान, 29 राज्यों और दिल्ली तथा पुदुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों ने शराब पर राज्य द्वारा लगाए गए उत्पाद शुल्क से संयुक्त रूप से 1,75,501.42 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट रखा था, जो कि अपने आप में काफी बड़ी संख्या है।
    • यह संख्या वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान एकत्र किये गए 1,50,657.95 करोड़ रुपए से 16 प्रतिशत अधिक है।
  • RBI के अनुसार, राज्यों ने वर्ष 2018-19 में शराब पर उत्पाद शुल्क से प्रति माह औसतन लगभग 12,500 करोड़ रुपए एकत्र किये और वर्ष 2019-20 में प्रति माह औसतन लगभग 15,000 करोड़ रुपए एकत्र किये, जो मौजूदा वित्तीय वर्ष में प्रति माह औसतन 15,000 करोड़ रुपए के पार जा सकता है।
    • हालाँकि यह अनुमान COVID-19 महामारी से पूर्व का है।

उत्तर प्रदेश को मिला सर्वाधिक राजस्व

  • वित्तीय वर्ष 2018-19 के आँकड़ों के अनुसार, शराब पर उत्पाद शुल्क से सर्वाधिक राजस्व प्राप्त करने वाले पाँच राज्यों में उत्तर प्रदेश (25,100 करोड़ रुपए), कर्नाटक (19,750 करोड़ रुपए), महाराष्ट्र (15,343.08 करोड़ रुपए), पश्चिम बंगाल (10,554.36 करोड़ रुपए) और तेलंगाना (10,313.68 करोड़ रुपए) शामिल थे।
    • उत्तर प्रदेश को शराब पर उत्पाद शुल्क से सर्वाधिक राजस्व प्राप्त होने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि राज्य शराब के निर्माण एवं बिक्री पर केवल उत्पाद शुल्क वसूलता है।
    • उत्तर प्रदेश में तमिलनाडु जैसे राज्यों के विपरीत, शराब की बिक्री पर अलग से VAT एकत्र नहीं किया जाता है, इसलिये इन राज्यों (जैसे तमिलनाडु) में शराब से प्राप्त राजस्व का आँकड़ा काफी कम है, क्योंकि VAT तथा अन्य विशेष कर से संबंधित आँकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं।
  • विदित हो कि बिहार और गुजरात में शराब के कारण प्राप्त होने वाला राजस्व शून्य है, क्योंकि इन राज्यों पर शराब पर प्रतिबंध लगा हुआ है।

राज्य के राजस्व के अन्य स्रोत

  • राज्य के राजस्व को आमतौर पर दो श्रेणियों में बाँटा जाता है- कर राजस्व और गैर-कर राजस्व। कर राजस्व को आगे दो और श्रेणियों में बाँटा गया है- राज्य का अपना कर राजस्व और केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा। 
  • राज्यों के अपने कर राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत होते हैं-
    • आय पर लगने वाला कर: कृषि आय पर कर, व्यवसायों की आय पर कर और रोज़गार की आय पर कर।
    • संपत्ति और पूंजी लेनदेन पर कर: भू-राजस्व, टिकट और पंजीकरण शुल्क और संपत्ति कर।
    • वस्तुओं और सेवाओं पर कर: बिक्री कर, केंद्रीय बिक्री कर, बिक्री कर पर अधिभार, राज्य उत्पाद शुल्क, वाहनों पर कर और राज्य GST।
  • RBI की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019-20 में राज्यों के स्वयं के कर राजस्व में राज्य GST की हिस्सेदारी सबसे अधिक (43.5 प्रतिशत) थी, उसके पश्चात् बिक्री कर (23.5 प्रतिशत), राज्य उत्पाद शुल्क (12.5 प्रतिशत) और संपत्ति तथा पूंजी लेनदेन पर कर (11.3 प्रतिशत) आदि शामिल हैं।

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

    close
    एसएमएस अलर्ट
    Share Page
    images-2
    images-2
    × Snow