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डेली न्यूज़

शासन व्यवस्था

संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना स्थगित

  • 07 Apr 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

संचित निधि, संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना 

मेन्स के लिये:

COVID-19 की चुनौती से निपटने हेतु सरकार के प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने COVID-19 की चुनौती से निपटने हेतु फंड जुटाने के लिये अगले दो वर्षों तक ‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (Members of Parliament Local Area Development Scheme- MPLADS) को स्थगित करने और अगले एक वर्ष के लिये सभी संसद सदस्यों के वेतन में 30% की कटौती करने का निर्णय लिया है।

मुख्य बिंदु:  

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 6 मार्च, 2020 को ‘संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954’ में संशोधन के लिये एक अध्यादेश जारी किया गया था। 
  • केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री के अनुसार, इस अध्यादेश के माध्यम से संसद सदस्यों के वेतन से कटौती के पश्चात प्राप्त राशि और MPLADS फंड (लगभग 8000 करोड़ रुपए) को ‘भारत की संचित निधि’ (Consolidated Fund of India) में जमा किया जाएगा, जिसका उपयोग COVID-19 से निपटने के लिये किया जाएगा।  

‘भारत की संचित निधि’

(Consolidated Fund of India):

  • संचित निधि सभी सरकारी खातों में सबसे महत्त्वपूर्ण है। 
  • सरकार को मिलने वाले सभी प्रकार के राजस्व (सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, आयकर, सम्पदा शुल्क आदि) और सरकार द्वारा किये गए खर्च (कुछ विशेष खर्च को छोड़कर) संचित निधि का हिस्सा हैं।  
  • संचित निधि की स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 के तहत की गई थी। 
  • संसद के अनुमोदन के बिना इस निधि से कोई धनराशि नहीं निकाली जा सकती है।
  • कुछ विशेष खर्च (जिनके लिये आकस्मिक निधि या सार्वजनिक निधि का प्रयोग किया जाता है) को छोड़कर सरकार के सभी खर्चों का वहन संचित निधि से ही किया जाता है।
  • केंद्र की ही तरह सभी राज्यों की अपनी संचित निधि होती है। 
  • इस अध्यादेश के अनुसार, अगले एक वर्ष (वित्तीय वर्ष 2020-21) के लिये सभी संसद सदस्यों (प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों सहित) के वेतन से 30 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। साथ ही संसद सदस्यों को अपने संसदीय क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिये में प्राप्त होने वाले MPLADS को भी अगले दो वर्षों (वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22) के लिये स्थगित कर दिया गया है।
  • MPLADS के स्थगन और सांसदों के वेतन में कटौती के संदर्भ में यह परिवर्तन 1 अप्रैल, 2020 को शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष से लागू होंगे।
  • सरकार के इस प्रयास में सहयोग देने के लिये राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों ने अपने वेतन में 30% की कटौती करने का निर्णय लिया है। 
  • हालाँकि सरकार ने यह स्पष्ट किया कि इसके तहत केवल संसद सदस्यों के वेतन से कटौती की जाएगी, सदस्यों के अन्य भत्तों और पूर्व सांसदों की पेंशन से कोई कटौती नहीं की जाएगी। 
  • ध्यातव्य है कि हाल ही में केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने COVID-19 से निपटने में अपने सहयोग के रूप में स्वेच्छा से अपने एक दिन के वेतन सरकार को देने का फैसला किया था। 
  • केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री के अनुसार, सरकार द्वारा MPLADS को स्थगित किये जाने से पहले ही कई संसद सदस्यों ने अपने फंड से COVID-19 के लिये सहयोग किया था। 
  • राज्यसभा सचिवालय द्वारा पिछले सप्ताह दी गई जानकारी के अनुसार, राज्यसभा के 74 सदस्यों ने कुल 100 करोड़ रुपए और 265 लोकसभा सदस्यों ने 265 करोड़ रुपए का योगदान दिया था।
  • संसद सदस्यों के वेतन में वृद्धि के संदर्भ में वर्ष 2018 की घोषणा के अनुसार, वर्तमान में संसद सदस्यों को प्रति माह वेतन के रूप में 1 लाख रुपए, 70 हजार रुपए (निर्वाचन क्षेत्र भत्ता), 60 हजार रुपए (कार्यालय चलने के लिये) के साथ कुछ अन्य सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।  

‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’

(Members of Parliament Local Area Development Scheme- MPLADS):

  • MPLADS की शुरुआत 23 दिसंबर, 1993 को हुई थी।
  • MPLADS पूर्ण रूप से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना है, इस योजना के तहत एक संसदीय क्षेत्र के लिये वार्षिक रूप से दी जाने वाली राशि की अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपए हैं।  
  • इस योजना के माध्यम से संसद सदस्य अपने संसदीय क्षेत्रों में स्थानीय ज़रूरतों के आधार पर विकास कार्यों को शुरू करने के लिये सुझाव दे सकते हैं। 
  • इस योजना की शुरुआत के बाद से ही देश में राष्ट्रीय प्राथमिकता जैसे- पेयजल, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, सड़क आदि के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किये गए हैं।
  • इसके तहत योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु नीति निर्माण, धनराशि जारी करने और निगरानी तंत्र के निर्धारण का कार्य ‘केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’ द्वारा किया जाता है।  

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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