लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

फिनटेक कंपनियों का विनियमन

  • 08 May 2019
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) कुछ फिनटेक क्षेत्रों, जो ई-वॉलेट और पेमेंट गेटवे सेवाओं पर केंद्रित हैं, को विनियमित करने की योजना बना रहा है।

प्रमुख बिंदु

नियमन क्यों आवश्यक है?

  • भारतीय फिनटेक कंपनियों को कई संस्थाओं जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण एवं बीमा नियामक तथा विकास प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
  • इस प्रकार कोई एकल नियामक निकाय न होने के कारण फिनटेक फर्मों के पास समर्पित दिशा-निर्देशों का एक विशिष्ट सेट नहीं है।
  • इसके फलस्वरूप नियमों में दोहराव या विरोधाभास की समस्या उत्पन्न होती है।
  • चूँकि, भारत की एक बड़ी आबादी इन फिनटेक कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाली वित्तीय सेवाओं जैसे पियर-टू-पियर लैंडिंग (Peer-to-Peer Lending), ई-वॉलेट, पेमेंट गेटवे आदि का लाभ उठाती है। अत: इस क्षेत्र का विनियमन आवश्यक हो गया है।
  • नियमन किये जाने के बाद ये संस्थाएँ भुगतान और निपटान अधिनियम, 2007 के तहत RBI के साथ पंजीकृत होंगी।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2013 में CRISIL ने देश के 666 ज़िलों में में वित्तीय समावेशन के स्तर और प्रगति का अनुमान लगाने के लिये भारत का पहला वित्तीय समावेश सूचकांक Inclusix लॉन्च किया था। वर्ष 2019 में भारत के 666 ज़िले इस सूचकांक में से आधे 'औसत से ऊपर' की श्रेणी में शामिल हैं।
  • वर्ष 2017 में RBI के एक कार्यकारी समूह ने सिफारिश की कि भारत में फिनटेक के लिये नियामक सैंडबॉक्स स्थापित किया जाए जो फिनटेक स्टार्ट-अप की नई सेवाओं को बाज़ार में प्रवेश करने से पहले उसका परीक्षण और संबंधित जोखिमों का आकलन कर सकें।

सैंडबॉक्स एक बुनियादी ढाँचा है जो बैंक द्वारा फिनटेक कंपनी को उपलब्ध कराया जाता है ताकि उत्पादों या सेवाओं के तैयार होने के बाद एवं बाज़ार में उनके आने से पहले उनका परीक्षण किया जा सके।

  • RBI के कार्यदल ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसके आधार पर हाल ही में RBI ने इससे जुड़ा एक मसौदा जारी किया ताकि फिनटेक कंपनियों को उनके उत्पादों और सेवाओं के सैंडबॉक्स में परीक्षण में सक्षम बनाया जा सके।

ज्ञातव्य है कि अब तक फिनटेक के किसी अन्य क्षेत्र में बहुत अधिक विनियमन नहीं हुआ है।

क्या हैं पी-2-पी लैंडिंग फर्म?

  • पी-2-पी लैंडिंग एक ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो असुरक्षित ऋण को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ऋणदाताओं (lenders) और ऋण लेने वालों (borrowers) के मध्य सामंजस्य स्थापित करता है।
  • पी-2-पी लैंडिंग फर्में उन क्षेत्रों में वित्त के वैकल्पिक रूपों को बढ़ावा देती हैं, जहाँ औपचारिक वित्त का पहुँचना संभव नहीं होता है।
  • कम परिचालन लागत तथा परंपरागत ऋणदाता चैनलों के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा के कारण इनमें लैंडिंग दरों को कम करने की भी क्षमता होती है।
  • रिज़र्व बैंक के अनुसार, पी-2-पी लैंडिंग 'क्राउडफंडिंग' (crowdfunding) का एक प्रकार है जिसका उपयोग ऐसे ऋणों की वसूली के लिये किया जाता है, जिनका भुगतान व्याज के साथ करना हो।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI)

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी।
  • इसका मुख्यालय मुंबई में है।
  • इसके मुख्य कार्य हैं-
  • प्रतिभूतियों (Securities) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना।
  • प्रतिभूति बाज़ार (Securities Market) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)

  • RBI की स्थापना हिल्टन यंग आयोग की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। इसकी स्थापना RBI अधिनियम, 1934 में की गई थी।
  • RBI का मुख्यालय शुरू में कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया।
  • शुरुआत में RBI निजी स्वामित्व वाला बैंक था। अगस्त 1947 को देश को आज़ादी मिली और 1949 में आरबीआई का राष्ट्रीयकरण हुआ। राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।
  • देश के चार महानगरों- मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में आरबीआई के स्थानीय बोर्ड हैं।
  • RBI के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
  • केंद्रीय बैंकिंग का कार्य।
  • नोटों को जारी करने का एकाधिकार।
  • करेंसी जारी करने के साथ उसका विनियमन।
  • विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक।
  • विदेशी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाज़ार का विकास करना एवं उसे बनाए रखना।
  • मौद्रिक नीति तैयार करना, उसे लागू करवाना और उसकी निगरानी करना।
  • विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।
  • सरकार का बैंकर अर्थात् यह केंद्र और राज्य सरकारों के लिये व्यापारी बैंक की भूमिका अदा करता है।
  • वाणिज्यिक बैंकों के लिये बैंकर और उनके लिये अंतिम ऋणदाता।
  • अनुसूचित बैंकों के बैंक खाते रखना।
  • गैर-मौद्रिक कार्यों के तहत बैंकों को लाइसेंस देने के साथ बैंकों की निगरानी करना।
  • बैंकिंग परिचालन के लिये मानदंड निर्धारित करना जिसके तहत देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली काम करती है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर काम करता है और भारत की सदस्यता का प्रतिनिधित्व करता है।

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI)

  • भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण की स्थापना 20 फरवरी, 1997 को हुई।
  • यह एक वैधानिक संस्था है जो भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 की धारा 3 के तहत स्थापित हुई है।
  • इसमें एक अध्यक्ष होता है एवं अधिकतम दो पूर्णकालिक एवं दो अंशकालिक सदस्य होते हैं।
  • यह भारतमें दूरसंचार सेवाएँ उपलब्ध करवानेवाली कंपनियों की नियामक संस्था है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA)

  • भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) वैधानिक निकाय है।
  • इसका गठन बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 के अंतर्गत किया गया था।
  • यह एक स्वायत्त संस्था है।
  • यह एक 10 सदस्यीय निकाय है जिसमें एक अध्यक्ष, पाँच पूर्णकालिक और चार अंशकालिक सदस्य होते हैं।
  • इसका कार्य भारत में बीमा और बीमा उद्योगों को विनियमित करना तथा उन्हें बढ़ावा देना है।
  • इसका मुख्यालय हैदराबाद में है।

स्रोत: लाइवमिंट

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2