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भारतीय अर्थव्यवस्था

नीति आयोग ने लॉन्च की हिमालयन क्षेत्र में सतत विकास हेतु पाँच थीमेटिक रिपोर्टें

  • 24 Aug 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हिमालय की विशिष्टता और निरंतर विकास की चुनौतियों को समझते हुए नीति आयोग ने जून, 2017 में पाँच कार्य दलों का गठन किया, ताकि विषय संबंधी पाँच थीमेटिक क्षेत्रों में कार्य करने के लिये एक रोडमैप तैयार किया जा सके।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • इन पाँच थीमेटिक विषयों में - जल सुरक्षा के लिये नवाचार और हिमालय क्षेत्र में झरनों को फिर से चालू करना, भारतीय हिमालय क्षेत्र में सतत पर्यटन, कृषि की ओर बढ़ने के लिये परिवर्तनीय दृष्टिकोण, हिमालय क्षेत्र में कौशल और उद्यमिता परिदृश्य को मज़बूत बनाना तथा सुविज्ञ फैसले लेने के लिये  डेटा/जानकारी उपलब्ध कराना शामिल हैं।
  • हालाँकि, विषय संबंधी इन क्षेत्रों का हिमालय के लिये काफी महत्त्व है।
  • इस पर्वत की विशिष्टता को बनाए रखने के लिये अनुकूल भवन निर्माण जैसे विशेष प्रयासों की आवश्यकता है जिससे वहाँ सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके।
  • पाँच कार्य दलों की रिपोर्टों में इसके महत्त्व, चुनौतियों, वर्तमान कार्यों और भविष्य के रोडमैप के बारे में चर्चा की गई।
  • रिपोर्ट में विषय संबंधी सभी पाँच क्षेत्रों की चुनौतियाँ बताई गई हैं।
  • गौरतलब है कि जल सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण करीब 30 प्रतिशत झरने सूख रहे हैं और 50 प्रतिशत में बहाव कम हुआ है।
  • हिमालय क्षेत्र में हर वर्ष पर्यटन 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और उसके कारण ठोस कचरा, पानी, यातायात, जैव-संस्कृति विविधता के नुकसान के कारण बड़ी चुनौतियाँ खड़ी हो रही हैं।
  • भारत के हिमालयी क्षेत्र के राज्यों में 2025 तक पर्यटकों की संख्या दोगुनी होने का अनुमान लगाया गया है, कचरा प्रबंधन और जल संकट जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों के साथ-साथ पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों से संबंधित अन्य विषयों के समाधान के लिये तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • पूर्वोत्तर राज्यों में हज़ारों परिवार अभी भी स्थानांतरित/झूम कृषि  की प्रक्रिया को जारी रखे हुए है, अतः पर्यावरण, खाद्यान्न और पोषण सुरक्षा को देखते हुए इसका समाधान किया जाना ज़रूरी है।
  • पहाड़ों में अकुशल कार्य बल भी एक चुनौती बनी हुई है, युवकों के पलायन की समस्या को दूर करने के लिये उच्च प्राथमिकता देनी की आवश्यकता है।
  • साथ ही आँकड़ों की उपलब्धता, प्रामाणिकता, संगतता, गुणवत्ता, वैधता तथा हिमालयी राज्यों के लिये यूजर्स चार्जेज से जुड़ी चुनौतियों से निपटना भी ज़रूरी है ताकि शासन के विभिन्न स्तरों पर सुविज्ञ निर्णय लिये जा सकें।
  • रिपोर्टों में प्रमुख संदेशों को शामिल किया गया है जिसमें झरनों की मैपिंग और उन्हें दोबारा शुरू करना, हिमालयी राज्यों में विभिन्न चरणों में 8 चरणीय प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करना आदि प्रमुख हैं।
  • इसके साथ ही सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों में सामान ले जाने की सीमा निर्धारित करना; पर्यटन क्षेत्र के मानकों को लागू करना और उनकी निगरानी तथा उन राज्यों के लिये कार्य निष्पादन आधारित प्रोत्साहन जैसे मानकों का पालन करना भी प्रमुख है।
  • हिमालयी क्षेत्रों में प्रकृति का आकलन और कृषि क्षेत्र में बदलाव की सीमा, बेहतर नीतिगत सामंजस्य, एक निर्धारित समय तक सुरक्षा और संबंधित कार्यक्रमों/योजनाओं तक बेहतर पहुँच आदि प्रमुख सिफारिशें की गई हैं।
  • उल्लेखनीय है कि कौशल और उद्यमिता को मज़बूती प्रदान करने के लिये चिन्हित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, लाभ वाले क्षेत्रों, प्रशिक्षकों के लिये निवेश, उद्योग साझेदारी में प्रशिक्षण केंद्र पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
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