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जैव विविधता और पर्यावरण

वितरित नवीकरणीय ऊर्जा हेतु नीतिगत मसौदा

  • 23 Feb 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने हेतु योजनाएँ और कार्यक्रम।

मेन्स के लिये:

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ, भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य, चुनौतियाँ और लक्ष्य प्राप्त करने हेतु पहलें।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने 14 फरवरी, 2022 को वितरित नवीकरणीय ऊर्जा (DRE) आजीविका अनुप्रयोगों हेतु एक मसौदा नीति ढाँचा जारी किया है।

  • इसका उद्देश्य देश में विशेष रूप से उन ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों में विकेंद्रीकृत और वितरित नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जहाँ बिजली की कम या पहुँच नहीं है।

मसौदा नीति ढाँचे के प्रावधान: 

  • प्रगति की निगरानी हेतु समिति:
    • MNRE ने DRE परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी के लिये एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिसकी बैठक प्रत्येक छह महीने में कम-से-कम एक बार होगी।
    • समिति के भीतर, प्रत्येक सदस्य मंत्रालय अंतर-मंत्रालयी सहयोग के लिये संपर्क अधिकारी को नामित करेगा।
  • DRE-संचालित समाधानों का डिजिटल कैटलॉग:
    • MNRE जागरूकता बढ़ाने के लिये विभिन्न हितधारकों द्वारा उपयोग किये जाने वाले DRE-संचालित समाधानों का एक डिजिटल कैटलॉग उपलब्ध कराएगा।

नए ढाँचे में उल्लिखित मुख्य उद्देश्य:

  • बाज़ार-उन्मुख पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करना।
  • अंतिम उपयोगकर्त्ता के लिये आसान वित्त को सक्षम करके DRE-आधारित आजीविका समाधानों को अपनाना।
  • उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के विकास और प्रबंधन को प्रोत्साहित करना।
  • नवाचार के साथ-साथ अनुसंधान और विकास के माध्यम से प्रभावी DRE आजीविका अनुप्रयोगों का विकास करना।
  • उच्च क्षमता वाले आजीविका उत्पादों के लिये ऊर्जा दक्षता मानकों की स्थापना करना। 
  • मुख्य ग्रिड के साथ-साथ हाइब्रिड मोड में संचालित मिनी/माइक्रो-ग्रिड द्वारा संचालित अनुप्रयोगों का उपयोग करना।

वितरित अक्षय ऊर्जा का महत्व:

  • डीआरई (DRE) और इसके डाउनस्ट्रीम एप्लीकेशन न केवल भारत के जलवायु और ऊर्जा पहुँच लक्ष्यों को पूरा करने का अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि वित्तीय निवेशकों को आकर्षक रिटर्न भी प्रदान करते हैं।
  • यह भारत की कच्चे तेल पर आयात-निर्भरता को कम करने के साथ-साथ लंबे समय में आर्थिक विकास और रोज़गार सृजित करने का मार्ग भी प्रदान करता है।
  • इसके अलावा मौजूदा नीति और वित्तीय अंतराल को संबोधित करने से न केवल सरकारी खर्च पर कार्यक्रमों के बेहतर लक्ष्यीकरण तथा ज़ोखिम-प्रतिरक्षा की अनुमति मिलेगी, बल्कि पूंजी को कुशलता से पुनर्नवीनीकरण करने की अनुमति मिलेगी जिससे प्रभाव और परिमाण दोनों में वृद्धि होगी।

DRE से संबंधित मुद्दे:

  • प्रौद्योगिकी का अभाव: 
    • अपनी आजीविका में अक्षय ऊर्जा का उपयोग करने के लिये लोगों को प्रौद्योगिकी और वित्तपोषण तक पहुंँच की आवश्यकता होती है जो भारत में अधिकांश ग्रामीण परिवारों के पास उपलब्ध नहीं है, जबकि छोटे पैमाने पर अक्षय ऊर्जा-आधारित आजीविका अनुप्रयोगों को लागू करने के लिये कई प्रौद्योगिकी विकल्प मौजूद हैं।
    • गांँवों में स्थानीय समुदायों को अक्सर इन नवाचारों हेतु अग्रिम भुगतान करना मुश्किल होता है।
  • महिलाओं के समक्ष भिन्न  चुनौती:
    • जब संपत्ति हासिल करने की बात आती है तो माइक्रोबिज़नेस, कम लोगों वाले समूह और महिलाओं को अलग प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। परिणामस्वरूप व्यवसाय जो परिचालन व्यय-आधारित वित्तीय मॉडल पर आधारित होते हैं, जैसे- भुगतान, या लीजिंग, क्रेडिट सुविधा के लिये पात्र हो सकते हैं।
  • अन्य:
    • उचित वित्तपोषण चैनलों की कमी, उपभोक्ता जागरूकता, उपभोक्ता सामर्थ्य और गुणवत्ता वाले उत्पाद/मानक भारत में डीआरई के सामने आने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं।

आगे की राह

  • अंतिम-उपयोगकर्त्ता और कॉर्पोरेट वित्तपोषण: वित्तीय संस्थान ऐसे वित्तपोषण विकल्प विकसित करने पर विचार कर सकते हैं जिनमें संपार्श्विक की आवश्यकता नहीं होती है। अन्य राज्य नोडल एजेंसियाँ ​​जैसे- राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को वित्तीय सहायता देने के लिये अपने मौजूदा संस्थागत ढाँचे का उपयोग कर सकती हैं।
  • अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम आजीविका दोनों को ध्यान में रखना: अपस्ट्रीम आजीविका स्थानीय विनिर्माण और तकनीकी सेवा प्रदाताओं को DRE सिस्टम को डिज़ाइन, स्थापित और बनाए रखने के लिये प्रभावित करती है। 
  • जागरूकता को बढ़ावा देना: जागरूकता अभियान अंतिम उपयोगकर्त्ताओं और वित्तपोषकों द्वारा इन उत्पादों के प्रति विश्वास और उन्हें अपनाने में मदद करेंगे, क्योंकि ये प्रौद्योगिकियाँ कई उपभोक्ताओं के लिये नई हैं।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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